- आरटीओ कैंपस में पर्याप्त नहीं सुरक्षा इंतजाम

- अलमारी में बंद वर्षो से खराब बंदूक, लाठी के भरोसे वाहन चेकिंग करते आरटीओ

GORAKHPUR: मुठभेड़ में मुंह से ठांय-ठांय की आवाज निकालने वाले दरोगा का वीडियो तो आपने देखा ही होगा। कुछ ऐसा ही हाल गोरखपुर के आरटीओ विभाग का भी है। अगर कैंपस या वाहन चेकिंग में कोई घटना घटती है तो जिम्मेदारों को भी मुंह से ही ठांय-ठांय कर काम चलाना पड़ेगा। ये हम नहीं गोरखपुर आरटीओ की लचर सुरक्षा व्यवस्था का हाल बोल रहा है। जहां लाठी के भरोसे वाहनों की चेकिंग होती है। सुरक्षा के लिए मिली इकलौती बंदूक भी वर्षो से खराब हाल में अलमारी में बंद है। उसे ठीक कराना तो दूर जिम्मेदारों को इस बात की जानकारी भी नहीं है कि उनकी सुरक्षा के लिए एक बंदूक भी मिली है। जिसके कारण जान जोखिम में डाल लाठी के भरोसे ही आरटीओ के जिम्मेदार वाहनों की चेकिंग करते हैं।

आरटीओ को भी नहीं जानकारी

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आरटीओ प्रवर्तन डीडी मिश्रा से बात की गई तो वेकोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। उन्होंने एक बाबू को बुलाकर जानकारी ली जिसनेबताया कि एक बंदूक मिली है जो वर्षो से खराब हालत में अलमारी में बंद है।

थानों के बगल में करते चेकिंग

वाहन चेकिंग के लिए डेली आरटीओ विभाग की दो टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में निकलती हैं। जो दिन और रात दोनों ही समय चेकिंग करती हैं। एक टीम में एक एआरटीओ के साथ चार सिपाही तैनात रहते हैं जिनके पास केवल लाठी मौजूद रहती है। रात को अगर चेकिंग के दौरान एआरटीओ का अपराधियों से पाला पड़ गया तो उन्हें बैकफुट पर जाना पड़ेगा। आरटीओ प्रवर्तन डीडी मिश्रा ने बताया कि रात के समय चेकिंग थानों के बगल में ही की जाती है। इससे कोई प्रॉब्लम होने पर पुलिस की मदद भी मिल जाती है।

कभी हो सकता है खतरा

एआरटीओ एसपी श्रीवास्तव ने बताया कि चेकिंग के दौरान उनके साथ चार सिपाही डंडे के साथ मौजूद रहते हैं। कौन सी गाड़ी में क्या छिपा है ये पता नहीं रहता। इसलिए कभी भी चेकिंग के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

नहीं चलाने आती बंदूक

वहीं, सूत्रों की मानें तो इस समय आरटीओ विभाग में तैनात ज्यादातर सिपाहियों को बंदूक चलाने ही नहीं आती। इस वजह से भी आरटीओ विभाग कभी बंदूक या गोलियों की डिमांड नहीं करता है।

घट गई राजस्व वसूली

सूत्रों की मानें तो डर कहिए या फिर कुछ और कारण इस बार आरटीओ विभाग की राजस्व वसूली भी घट गई है। जिसको लेकर गोरखपुर के आरटीओ विभाग के जिम्मेदारों की जोनल अधिकारी ने क्लास भी ली है।

वर्जन

बंदूक को निकलवाकर उसकी कंडीशन देखी जाएगी। एआरटीओ को बोलकर उसे ठीक करवाकर उसका यूज किया जाएगा।

- डीडी मिश्रा, आरटीओ प्रवर्तन