-इंडिया के 11 परसेंट न्यू बॉर्न की मौत होती है बिहार में

-बिहार में न्यू बॉर्न के हेल्थ में सुधार पर रोडमैप जारी

PATNA: बिहार में हर साल फ्0 लाख बच्चों का जन्म होता है, जिसमें से 90 हजार न्यू बार्न की मौत एक महीने के भीतर हो जाती हैं। इंडिया में हर साल नौ लाख चालीस हजार बच्चों की मौत पहले माह ही हो जाती है। इंडिया में इन मौतों का ग्यारह परसेंट बिहार में होती है। इसे लेकर अवेयरनेस और बेहतर देखभाल की जरूरत है। इसी उद्देश्य से शनिवार को होटल चाणक्या में 'बिहार में न्यू बार्न के हेल्थ में सुधार के लिए रोडमैप' का रिलीज किया गया। इस अवसर पर बिहार के एजुकेशन मिनिस्टर वृषिण पटेल, नेशनल न्यूनेटोलॉजी फोरम के चेयरमैन डॉ शेखर जैन और बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी के प्रोग्राम आफिसर डॉ बीके मिश्रा सहित कई उपस्थित थे। वर्ष ख्00ख् से ही नेशनल न्यूबॉर्न वीक क्भ् से ख्क् नवंबर तक सेलिब्रेट किया जाता है, लेकिन बिहार में इसके लिए विशेष फोकस करते हुए एक हफ्ते और इसे मनाने का निर्णय फोरम के द्वारा लिया गया।

बिहार में मौतें चिंताजनक

दिल्ली से आए डॉ विक्रम दत्ता ने बताया कि देश में न्यू बॉर्न का क्0 परसेंट मौत बिहार में होता है। यह बेहद चिंताजनक है। इसके इम्प्रूवमेंट के लिए स्टेट गवर्नमेंट और अन्य एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा। हर साल बिहार में 80 हजार की मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि इसमें कमी लाने के लिए गवर्नमेंट और अन्य एजेंसियों के बीच एक कनवर्जेश की जरूरत है।

फोकस्ड वर्क से मिलेगा रिजल्ट

इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के प्रेसिडेंट डॉ बीके सिंह ने कहा कि बिहार जैसे स्टेट में न्यू बार्न के डेथ में कमी लाने के लिए जरूरी है कि इसमें काम करने वाली पेड्रिसियन और न्यू नेटोलॉजी यूनिट, एएनएम और आशा वर्कर को अन्य काम में न लगाया जाए। तभी इसका एक्सक्लूसिव केयर संभव है। पीएमसीएच के पेडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एक्स हेड डॉ निगम प्रकाश नारायण ने बताया कि प्रति हजार में ख्8 बच्चों की मौत फ्0 दिनों के भीतर ही हो जाती है। इससे समझा जा सकता है यह कितना महत्वपूर्ण है। यूनिसेफ की ओर से हेल्थ एक्सपर्ट डॉ घनश्याम शेट्टी, निपुण गुप्ता, डॉ उत्पल कारा, अविनाश उज्जवल व अन्य मौजूद थे।