-आईएमए ने अव्यवहारिक बातों को हटाने के साथ सिंगल विंडो क्लीयरेंस की भी मांग

- क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट आईएमए के सुझावों के साथ चरणबद्व तरीके से होना है लागू

देहरादून,

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और सुविधाओं की मॉनिटरिंग के लिए राज्य में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने से पहले डॉक्टरों के सुझाव लिए जाएंगे। सरकार चरणबद्ध तरीके से एक्ट को लागू करने जा रही है। डॉक्टर्स से अव्यवहारिक विषयों पर सलाह मांगी तो प्रारम्भिक सुझाव में आईएमए ने इलाज से जुड़े संस्थानों को मान्यता के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस की मांग की है।

85 परसेंट हॉस्पिटल में मानक अधूरे

नए साल में दूनवासियों को बेहतर मेडिकल सुविधाएं देने के लिए सरकार ने अधूरे मानक वाले अस्पताल और क्लिनिक पर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है। स्वास्थ्य महकमे के दावे पर अगर गौर करें तो दून में 85 परसेंट हॉस्पिटल एक्ट के मानक पूरे नहीं करते हैं। लम्बे समय से क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लागू करने की कोशिश में जुटे स्वास्थ्य महकमे को पहले डॉक्टर्स के विरोध का सामना करना पड़ रहा हैख् ऐसे में अब सरकार इस एक्ट को लागू करने के लिए डॉक्टरों से ही सलाह लेकर चरणबद्व तरीके से एक्ट लागू करने पर काम करेगी। इसके लिए आईएमए से सुझाव मांगे गए हैं। सुझावों पर अमल करने के बाद ही काम होगा। इधर आईएमए ने जिन बातों पर फोकस किया है। उनमें स्टॉफ, रजिस्ट्रेशन फीस को लेकर दी गई गाइडलाइन के अलावा अलग अलग जगह क्लीयरेंस लेने के बजाय सिंगल विंडो क्लीयरेंस की मांग की र्है।

वर्जन-

हमने सरकार से अन्य राज्यों की तरह एक्ट में दी जाने वाले ढील देने की मांग की है। साथ ही स्टॉफ, रजिस्ट्रेशन फीस, सिंगल विंडो क्लीयरेंस जैसे कुछ सुझाव भी दिए हैं।

डा। गीता खन्ना, प्रेसिडेंट, आईएमए

क्या है एक्ट---

- क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अनुसार किसी भी तरह की स्वास्थ्य सेवा देने वाली संस्था का इस एक्ट के तहत सीएमओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन होगा। जहां इसके लिए अलग से सेल है। पहली बार कुछ प्रमाणपत्रों को प्रस्तुत करके एक वर्ष के लिए टेम्परेरी रजिस्ट्रेशन होगा और उसके बाद बाकायदा सभी मानकों की जांच करके पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।

मानक-

कोई भी क्लीनिकए हॉस्पिटल, डायग्नोस्टिक सेंटर आवासीय भवन या आवासीय भूमि में न हो। बिल्डिंग कंप्लीशन लाइसेंस, मशीनों के हर तरह के लाइसेंस, वेंडर के साथ एमओयू के लाइसेंस, फार्मेसी लाइसेंस, सेल्टी फूड लाइसेंस सहित दो दर्जन से अधिक लाइसेंस की जरूरत। क्लीनिकए ओपीडी आदि के लिए निर्धारित एरिया। वार्ड में प्रत्येक बेड के बीच निर्धारित दूरी। पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जरूरी। लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट की फिर से होगी सर्जरी