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PATNA: 6 माह पहले फेसबुक पर एक खबर वायरल हुई जिससे पटना में भूचाल आ गया। मामला बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद से जुड़ा था। न्यूज में उन्हें 650 करोड़ का घोटालेबाज बताया गया था। यह एक बड़ी साजिश थी उन्हें बदनाम करने की। इस हाई प्रोफाइल मामले में जब पुलिस ने कड़ी से कड़ी मिलाया तो आदित्य और जितेंद्र की गिरफ्तारी हुई। मामले में सुपर 30 के आनंद कुमार भी सुर्खियों में आ गए जब वे जितेंद्र को छुड़ाने के लिए कोतवाली पहुंच गए। आदित्य ने ही पुलिस की पूछताछ में जितेंद्र का नाम लेते हुए कहा था कि उन्होंने सर के लिए आईडी मांगा था। इसी आईडी का इस्तेमाल पूर्व डीजीपी के खिलाफ फर्जी खबर को वायरल करने में किया गया था।

एक नजर में जान लेते हैं मामला

6 माह पहले तेजी से वायरल होती खबर जब मुम्बई निवासी और पटना में काम करने वाले सुजीत कुमार तक पहुंची तो वह सन्न रह गए क्योंकि खबर का आधार उन्हीं को बनाया गया था। खबर में पूर्व डीजीपी पर घोटाले के पीछे सुजीत कुमार द्वारा आरटीआई से जानकारी हासिल करने की बात कही गई थी। सुजीत कुमार ने मामले को फेक बताया और इसे लेकर मुकदमा दर्ज कराया। सुजीत कुमार का आरोप था कि उन्होंने आरटीआई से न तो कोई जानकारी मांगी है और न ही इस खबर से उनका कोई लेना-देना है। उन्होंने जांच की मांग करते हुए कार्रवाई की बात पुलिस अधिकारियों से की थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल भी शुरू कर दी।

10 साल पहले तैयार हुई थी बदनाम करने की साजिश

सुजीत कुमार की मानें तो वह मुम्बई से पटना में आनंद कुमार पर बायोपिक बनाने आए थे। सुजीत का आरोप है कि उनसे एक आरटीआई के फॉर्म पर यह कहकर हस्ताक्षर कराया गया था कि एक सूचना मांगनी है और उसमें ऐसे व्यक्ति की जरुरत है जिसे लोकल में कोई पहचान नहीं सके। सुजीत का कहना है कि उसी हस्ताक्षर का हवा देकर खबर तैयार की गई और उसे वायरल किया जा रहा है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

यह मुझे बदनाम करने की साजिश है। मैं सुपर 30 को कभी आइआइटी कोचिंग नहीं माना, यह मेरा सामाजिक प्रयास है। मुझे विश्वास है कि मामले में अनुसंधान पुलिस निष्पक्ष रूप से करेगी।

अभयानंद, पूर्व डीजीपी