-पीयू के जियोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा शहरी क्षेत्रों की समस्या विषय पर टॉक आयोजित

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PATNA: आमतौर पर स्मार्ट सिटी का अर्थ थोड़ा गलत संदर्भ में लिया जाता है. जैसे यदि कहा जाए कि पटना स्मार्ट सिटी होगा तो इसका यह अर्थ नहीं है कि यह सिंगापुर या शंघाई जैसा दिखेगा. बल्कि इसमें सुविधाएं बढ़ जाएगी जिससे शहरी जीवन आसान हो जाएगा. यह उन शहरों की नकल नहीं होगी. ये बातें पटना यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिकल सोसाइटी की ओर से भारतीय शहरों में टेक्नोलॉजी, डिजाइन और इनोवेशन के चैलेंज विषय पर आयोजित टॉक में डॉ मिहिर भोले हेड एनआईडी (रिसर्च डिजाइन) ने कही. उन्होंने प्रजेंटेशन में बताया कि शहर में जो मौजूदा संसाधन है उसका बेहतर इस्तेमाल होना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में जो 100 स्मार्ट सिटी की बात हो रही है वह शहर हैं. इसलिए बसे-बसाये शहर को डेवलप में बडे़ स्तर पर तोड़फोड़ करने की बजाय छोटे-छोटे बदलाव किए जाएं.

तकनीकी जटिलता समस्या नहीं

अपने प्रजेंटेशन के अगले हिस्से में डॉ मिहिर भोले ने बताया कि स्मार्ट सिटी के विकास में तकनीकी जटिलता समस्या नहीं है. ध्यान इस बात पर देने की होनी चाहिए कि उसका यूजर इंटरफेस यानि उपयोगिता कितनी आसानी से संभव है. इसे इस प्रकार से समझना चाहिए कि मोबाइल जितना भी जटिल हो, फोन करने, विडियो बनाने, इंटरनेट आदि यूज करने में वह आसान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज यह जरूरी है कि सामान तकनीक से लेकर आर्टिफियल इंटेलिजेंस के इंटरवेंशन पर भी फोकस होना चाहिए.

गांव का भी विकास होना चाहिए

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पीयू के वीसी डॉ रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत में आज भी 60 से 65 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है. इसलिए जरूरी है कि स्मार्ट सिटी के साथ गांवों को भी स्मार्ट बनाने पर जोर दिया जाए. उन्होंने कहा कि हम सीधे विदेश से नकल न करें बल्कि अपनी जरूरतों के हिसाब से शहरों को स्मार्ट बनाएं ताकि पर्यावरण का भी संरक्षण किया जा सके. कार्यक्रम के अंत में वोट ऑफ थैंक्स पटना साइंस कॉलेज के जियोलाजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ अतुल आदित्य पांडेय ने किया. इस मौके पर पीयू के जीयोलाजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ रमेश शुक्ला सहित अन्य उपस्थित रहे.