- उत्पादन और डिमांड के बीच की दूरी कम करेगा सोलर पावर प्लांट
- घर बैठे मिलेगा लोगों को रोजगार, कम से कम दो रुपये पर यूनिट मिलेगा किराया
आगरा। देश और प्रदेश में डिमांड के हिसाब से विद्युत का उत्पादन नहीं है। यह चिंता का विषय है। डिमांड और उत्पादन के बीच बनी खाई को पाटने के लिए भवनों की छतों पर सोलर पावर प्लांट लगाए जाने का निर्णय लिया गया है। जो कंपनी छतों पर सोलर पावर प्लांट लगाएगी, वह छत का किराया भी देगी। जो भी सोलर पावर प्लांटों से बिजली का उत्पादन होगा, उसे दक्षिणांचल खरीदेगा।
हर साल बढ़ रही है डिमांड
बिजली की हर साल डिमांड बढ़ रही है, लेकिन उतना उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बिजली उत्पादन के लिए उतने संसाधन नहीं हैं, जितनी डिमांड है। यह चिंता का विषय है। डिमांड और उत्पादन के बीच की दूरी को खत्म किए जाने के लिए निजी कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे सरकारी, गैर सरकारी भवन व मकानों की छतों पर सोलर पावर प्लांट के जरिए बिजली का उत्पादन किया जाएगा। जो कि काफी हद तक इस प्रक्रिया के माध्यम से बीच की दूरी को कम किया जा सकेगा।
कंपनी देगी किराया
सरकारी हो या फिर गैर सरकारी किसी भी भवन की छत पर सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा, उसका किराया कंपनी देगी। जो भी उत्पादन होगा, उसका कम से कम दो रुपये प्रति यूनिट किराया दिया जाएगा।
गांव और कस्बा सभी में लगेंगे
गांव हो या फिर कस्बा और शहर सभी जगह छतों पर सोलर पावर प्लांट लगाए जाएंगे, जिससे अधिक से अधिक बिजली का उत्पादन हो सके।
यूपी नेडा से लेनी होगी एनओसी
वैसे तो कंपनी को ही अपने खर्च पर सोलर पावर प्लांट लगाना है। लेकिन यूपी नेडा का इसमें हस्तक्षेप रहेगा। इसके लिए कंपनी से यूपी नेडा से एनओसी लेनी होगी। यूपी नेडा का हस्तक्षेप ये रहेगा कि सोलर पावर प्लांट के तहत जो भी सोलर लगाए जाएंगे वे भारतीय कंपनी के ही होंगे। यह सुनिश्चित कराया जाएगा।
दक्षिणांचल को बेचेंगे बिजली
सोलर पावर प्लांट लगाने वाली कंपनी दक्षिणांचल को बेचेगी। किस रेट पर कंपनी से दक्षिणांचल खरीदेगा यह उसी वक्त तय हो सकेगा।
विद्युत उत्पादन और डिमांड में काफी अंतर है। इस अंतर को कम किए जाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी भवनों पर सोलर पावर प्लांट लगाए जाएंगी। जो भी उत्पादन होगा, उसे दक्षिणांचल खरीदेगा।
भारतभूषण, वरिष्ठ परियोजना अधिकारी, यूपी नेडा