RANCHI: शहर के लोग इन दिनों भोंपू के शोर से हलकान हैं। त्योहारों के मौसम में जहां एक तरफ सड़क पर भीड़ बढ़ी हुई है। ट्रैफिक जाम है वहीं तेज आवाज में बज रहे भोंपू लोगों को बहरा कर रहे हैं। ध्वनि प्रदूषण का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। हाल ही में गणेश चतुर्थी, विश्वकर्मा पूजा समाप्त हुई है तो मोहर्रम और करमा की तैयारी शुरू हो गई है। गली-मोहल्लों में डीजे के शोर से लोगों की रात बेकार हो रही है वहीं दिन में भी सुकून नहीं मिल पा रहा है। लोगों का कहना है कि पूजा पंडालों में बड़े-बड़े साउंड बॉक्स लगा दिए जाते हैं और भजनों के बजाय भोजपुरी, खोरठा और फिल्मी गीतों पर रातभर मजमा लगा रहता है।

कोर्ट का आदेश ताक पर

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, रात 10 बजे के बाद लाउड स्पीकर का उपयोग वर्जित है चाहे वो धर्म से संबंधित कार्यक्रम ही क्यों न हो। लेकिन सिटी में जिस प्रकार कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, उससे साफ है कि प्रशासन की ओर से न तो लोगों को जागरूक किया गया है और न ही पूजा और अनुष्ठान करने वाली समितियों के लोगों को नियमों से संबंधित किसी भी प्रकार की हिदायत दी गई है। इस मामले में प्रशासन की भूमिका भी संदेहास्पद नजर आती है।

अस्पतालों व स्कूलों की परेशानी

सिटी में कई ऐसे स्थान हैं जहां हर साल पूजा के नाम पर शोरगुल होता है। पूजा के अवसर पर होने वाले शोर से स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है वहीं अस्पतालों में मरीज भी परेशान हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो धर्म के नाम पर ध्वनि प्रदूषण से लोग परेशान हैं और कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। अस्पतालों में मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है।

वर्जन

सभी थानेदारों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। न्यायालय के आदेश और कानून के अनुसार ही कार्रवाई होगी। लोगों से अपील है कि नियमों के अनुसार ही त्योहार मनाएं और दूसरों का भी ध्यान रखें।

अनीश गुप्ता, एसएसपी, रांची