-जूना अखाड़ा की संन्यासिनी सहज योगिनी शैलजा देवी के शिविर में दिया जा रहा है यह खास प्रसाद

dhruva.shankar@inext.co.in
PRAYAGRAJ: संगम की रेती पर पहले शाही स्नान पर्व मकर संक्रांति के साथ ही कुंभ मेला का आगाज हो चुका है। अखाड़ों, दंडी बाड़ा व खाक चौक सहित देशभर से आए बड़े-बड़े संत-महात्माओं के शिविरों में प्रसाद का वितरण भी हो रहा है। आमतौर पर शिविरों में पूड़ी-सब्जी व नाश्ते में चाय व चना संतों को दिया जा रहा है। लेकिन एक शिविर ऐसा है जहां पर 'संत प्रसाद' की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था जूना अखाड़ा की संन्यासिनी सहज योगिनी शैलजा देवी के शिविर में की गई है। यहां प्रसाद के रूप में संतों को लजीज फास्ट फूड परोसा जा रहा है।

आओ संत-महात्मा, खुला है द्वार
सेक्टर-16 में प्रत्येक अखाड़ों की छावनी लगाई गई है। उसी में एक छावनी जूना अखाड़ा की संन्यासिनी सहज योगिनी शैलजा देवी की है। इनके शिविर में संत-महात्माओं को प्रसाद के रूप में संत प्रसाद वितरित किया जाता है। सहज योगिनी की राजकोट विश्वविद्यालय से आई आधा दर्जन शिष्याओं द्वारा प्रतिदिन संतों को प्रसाद खिलाने के लिए माइक से आवाज देकर बुलाया जाता है। इसका संबोधन है 'आओ संत-महात्मा खुला है द्वार। अलग है यहां का प्रसाद, आओ संत-महात्मा खुला है द्वार.'

बंगाल से आएं हैं खानसामे
खास बात है कि संत प्रसाद बनाने के लिए कोलकता से मनीष की अगुवाई में एक दर्जन खानसामा को बुलाया गया है। इन खानसामा के जरिए संत-महात्माओं को संत प्रसाद परोसा जाता है।

यह है मेनू

खमन ढोकला, दही बड़ा, राज कचौरी, छोला भटूरा व नारियल-पानी।

चाय-कॉफी भी स्पेशल

यहां श्री गिरनार साधना आश्रम, जूनागढ़ से मंगाई गई चाय और कॉफी भी मांगने पर उपलब्ध कराई जाती है।

प्रतिदिन दो हजार को प्रसाद
10 जनवरी से संत प्रसाद की व्यवस्था शुरू की गई है। इसमें डेढ़ से दो हजार संतों को प्रतिदिन शिविर में प्रसाद परोसा जाता है। इसके लिए किसी भी संत या महात्मा से शुल्क नहीं लिया जाता है। इतना ही नहीं अगर किसी संत को दुबारा छोला-भटूरा या राज कचौरी लेनी है तो स्टॉल पर जाकर वह स्वयं अपनी इच्छा भर प्रसाद ले सकता है। इसके लिए किसी भी स्तर रोक-टोक नहीं लगाई गई है।

शाही स्नान पर प्रसाद नहीं
शिविर में दस जनवरी से संत प्रसाद की सुविधा शुरू की गई है। यह चार मार्च को अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि तक चलता रहेगा। लेकिन जिस दिन शाही स्नान पर्व होगा उस दिन शिविर में संत प्रसाद की व्यवस्था नहीं की जाएगी। सहज योगिनी शैलजा देवी की मानें तो शाही स्नान पर्वो पर अत्याधिक भीड़ की वजह से संत प्रसाद की व्यवस्था को रोकना पड़ रहा है। बाकी दिन सुबह नौ बजे से लेकर शाम पांच बजे तक सुविधा प्रदान की जाएगी।

हमने सिंहस्थ कुंभ से संत प्रसाद की व्यवस्था शुरु की थी। प्रयागराज तीर्थों की नगरी है। यहां पुण्य कमाने के लिए आत्मिक शांति के लिए संतों को प्रसाद खिलाया जा रहा है। इसके लिए कोलकता से खानसामा को बुलाया गया है।

-सहज योगिनी शैलजा देवी, जूना अखाड़ा