-दो से तीन दिन में पहुंचने वाली स्पीड पोस्ट 10-11 दिन में हो रही डिलीवर

-पोस्ट ऑफिस अफसरों का कहना ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण पड़ा इफेक्ट

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कोहरे में ट्रेनों की लेटलतीफी के चलते पोस्ट ऑफिस के पार्सल, रजिस्ट्री के साथ स्पीड पोस्ट तक का समय बिगड़ गया है। इससे पब्लिक को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। इस तरह के कई मामलों की शिकायत परेशान लोग डाकघरों में करने भी जाते हैं लेकिन इस मामले में डाक विभाग भी अपना पल्ला यह कहकर झाड़ लेता है कि हमारे यहां से तो डाक समय से निकाल दी गई। अब आगे कहीं प्रॉब्लम रही होगी तो इसमें उनका कोई दोष नहीं हैं, लेकिन इसका खामियाजा पब्लिक को झेलना पड़ रहा है।

पोस्ट पहुंचने का समय निर्धारित

पोस्ट ऑफिस अफसरों का कहना है कि रजिस्ट्री और साधारण पोस्ट तो पहुंचने में कुछ समय लगता है लेकिन स्पीड पोस्ट पहुंचने के लिए समय निर्धारित होता है। समय पर पोस्ट पहुंचे इसके लिए ही स्पीड पोस्ट की जाती है, लेकिन कुछ दिनों से स्पीड पोस्ट भी देरी से डिलीवर हो रही हैं। ऐसा ट्रेनों के देरी से चलने और रद होने के कारण हो रहा है। लंबी दूरी की ज्यादातर ट्रेनें लेट चल रही हैं और कई ट्रेनें रद भी कर दी गई हैं। इसके चलते स्पीड पोस्ट भी समय से डिलीवर नहीं हो पा रही है। स्टेट के अंदर स्पीड पोस्ट डिलीवर होने में 10-11 दिन तक लग जा रहे हैं।

डेट निकलने के बाद पहुंच रही स्पीड पाेस्ट

केस:1

शहर के सिविल लाइंस निवासी रोहित ने 22 दिसम्बर 2018 शाम सात बजे मथुरा के लिए एक फॉर्म स्पीड पोस्ट किया था। स्पीड पोस्ट पहुंचने की लास्ट डेट 30 दिसम्बर थी, लेकिन स्पीड पोस्ट 1 जनवरी 2019 को पहुंची। तब तक स्पीड पोस्ट पहुंचने का समय भी निकल गया और फॉर्म भेजना बेकार हो गया। फॉर्म समय से पहुंच जाए इसी कारण फार्म स्पीड पोस्ट किया था। इस इस बारे में डाकघर जाकर जानकारी ली और शिकायत की तो वहां पर भी कोई समाधान नहीं हो सका।

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केस:2

रामपुर गार्डन निवासी मुजाहिद ने बताया कि उन्होंने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के लिए कुछ जरूरी पेपर्स रखा लिफाफा 20 दिसम्बर को स्पीड पोस्ट से भेजा था। लिफाफा 1 जनवरी को डिलीवर हुआ, जबकि पेपर 30 दिसम्बर 2018 तक पहुंच जाने चाहिए थे, अब देरी से पेपर्स पहुंचने के कारण काम भी खराब हो गया और स्पीड पोस्ट में फिजूल में रुपए भी खर्च किए। इससे तो अच्छा साधारण डाक से भी इतने दिन में पहुंच जाता। स्पीड पोस्ट भेजने का कोई मतलब नहीं बचा।

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केस:3

राजेन्द्र नगर निवासी संजना को मुम्बई में एक निजी कंपनी को कुछ जरूरी पेपर्स भेजने थे। उन्होंने अपने पेपर्स को 25 दिसम्बर 2018 को स्पीड पोस्ट से भेजा। मुम्बई में पेपर्स 30 जनवरी तक पहुंचना जरूरी था लेकिन पेपर्स का लिफाफा 3 जनवरी 2019 को डिलीवर हुआ। समय पर डाक पहुंचे इसलिए ही स्पीड पोस्ट किया लेकिन स्पीड पोस्ट का मतलब ही खत्म हो गया। इसका नाम तो स्पीड पोस्ट नहीं स्लो पोस्ट कर देना चाहिए।

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-स्पीड पोस्ट ऑल ओवर इंडिया में पहुंचने के लिए अधिक से अधिक छह दिन का समय लगता है। जबकि डिस्ट्रिक्ट में उसी दिन और स्टेट में स्पीड पोस्ट पहुंचने के लिए मात्र 3-4 दिन तक लग जाते हैं। लेकिन स्पीड पोस्ट देरी से डिलीवर हो रही है, तो इसका कारण ट्रेनों का देरी से चलना है।

एसके त्रिवेदी, सीनियर पोस्ट मास्टर