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KANPUR : अगर आप क्रिएटिव हैं और दुनिया पर आपकी नजर है तो आपमें पूरी केपेबिलिटी होती है कुछ नया और इंटरेस्टिंग करने की। कुछ ऐसा ही किया आशीष हेमरजानी और उनके तीन दोस्तों ने। बुक माय शो के फाउंडर और सीईओ आशीष हेमरजानी को ऑनलाइन टिकट बुकिंग का आइडिया अपने वेकेशन के दौरान आया। मुंबई यूनिवर्सिटी के सिड्नहैम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए पूरा करने के बाद 1999 में उन्होंने जे. वाल्टर थॉम्पसन नाम की एक एडवरटाइजिंग कंपनी के साथ काम किया। इसी दौरान आशीष अपने दोस्तों के साथ साउथ अफ्रीका वेकेशन के लिए चले गए। वेकेशन के दौरान वह एक पेड़ के नीचे बैठकर रेडियो सुन रहे थे, जहां पर उन्होंने ऑनलाइन टिकट खरीदने की बात सुनी। आशीष को यह आइडिया काफी अपीलिंग लगा। फिर क्या था, उन्होंने यहां फैनडैंगो और टिकट-मास्टर जैसी इंटरनेशनल टिकटिंग कंपनियों की वेबसाइट खंगाली। अफ्रीका से लौटते हुए पूरे सफर के दौरान आशीष इन्हीं आइडियाज के बारे में सोचते रहे और मन ही मन इसका खाका तैयार करते रहें।

दोस्तों का मिला साथ

वापस आने के बाद उन्होंने नौकरी छोडऩे और बिग ट्री एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को शुरू करने का डिसीजन लिया। भले ही ये आइडिया आशीष का था लेकिन इसमें उनके दो दोस्तों ने भी बखूबी उनका साथ दिया। वो थे परीक्षित दर और राजेश बालपांडे। यहां परीक्षित ने टेक्नोलॉजी तो राजेश ने फाइनेंस की और आशीष ने इसके ओवरऑल डेवलपमेंट की रिस्पॉन्सिबिलिटी ली और शुरू कर दिया अपना काम।

एंटरटेनमेंट का हुआ आगाज

आशीष ने टेलीफोन और इंटरनेट के जरिए मूवी के टिकट बेचने का फैसला लिया लेकिन उस वक्त देश कम्प्यूटर से खुद को इंट्रोड्यूस कर ही कर रहा था, कम लोगों के पास क्रेडिट कार्ड हुआ करते थे और नेट बैंकिंग से तो कोई भी वाकिफ नहीं था। एक इंटरव्यू के दौरान राजेश बालपांडे ने बताया, 'हमारा आइडिया बेहतरीन था लेकिन उस वक्त हम भी बहुत छोटे थे और जल्द हीहमने रियलाइज किया कि ये आइडिया वक्त से काफी आगे था। इसीलिए प्लान के एग्जीक्यूशन को रोककर पहले उसके इंफ्रास्ट्रक्चर को इस्टैब्लिश करने पर फोकस किया।'

राइज, डाउनफॉल, राइज

आशीष ने अपने प्लान के बारे में बताते हुए चेज कैपिटल को अप्रोच किया और उन्हें आधा मिलियन डॉलर की फंडिंग भी मिल गई जिससे उन्होंने काम की शुरुआत की। उस दौर में थिएटर्स में ई-टिकटिंग सॉफ्टवेयर की कमी थी तो आशीष पहले थिएटर्स से बड़े अमाउंट में टिकट खरीदते और फिर कस्टमर्स को प्रोवाइड करवाते थे। 2001 में बिग ट्री के पास 160 कर्मचारियों की टीम तैयार हो चुकी थी कि तभी डॉट कॉम ठप पड़ गया। पर आशीष ने हार नहीं मानी और लगातार कोशिशों के बल पर उन्होंने कंपनी को संकट के दौर से निकाला।

इसके 16 लाख से अधिक ग्राहक

2002-04 में कंपनी को सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन प्रोवाइडर का दर्जा दिलाया, जो थिएटर्स को ऑटोमेटेड टिकटिंग सॉफ्टवेयर करती है। राजेश बालपांडे ने एक इंटरव्यू में बताया कि 2002 से 2007 तक वो लोग मल्टीप्लेक्सेज में जाकर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करते थे, ताकि टिकट्स ऑनलाइन सेल की जा सकें। 2007 में आशीष ने बिग ट्री को बुक माय शो के नाम से री-लॉन्च किया। आज बुक माय शो 1000 करोड़ के वैल्यूएशन क्लब में शामिल हो गया है और कंपनी ने ऑनलाइन एंटरटेनमेंट टिकटिंग का 90 फीसदी से ज्यादा बिजनेस अपने नाम कर लिया है। यह 4 देशों में चल रही है तथा इसके 16 लाख से अधिक ग्राहक हैं।

 

स्टार्टअप आइडिया

मेडिकल टेस्टिंग्स में भी अब दिखाएं समझदारी

किसी ट्रीटमेंट के दौरान होने वाली टेस्टिंग्स न सिर्फ महंगी होती है, बल्कि लैब या पैथोलॉजीस को ढूंढना, वहां जाकर सैंपल देना और फिर सैंपल कलेक्ट करना भी एक बड़ा टास्क होता है। पर 3एच केयर ने इसे काफी ईजी बना दिया है...

यह एक हेल्थ केयर कंपनी है जिसकी शुरुआत की सीए डॉक्टर रुचि अरोड़ा ने। उनका साथ दिया डॉक्टर रविंदर पाल सिंह और डॉक्टर गुरदीप सिंह रत्रा ने। तीनों ने मिलकर एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया जो लोगों को डायग्नोसिस लैब और पैथलॉजी की इंफॉर्मेशन देता है।

क्या है काम?

इस वेबसाइट के जरिए आप अपनी लोकैलिटी या स्पेसिफिक लोकैलिटी में अवेलेबल लैब को ढूंढ़ सकते हैं। इनफैक्ट आप यहां ये भी ढूंढ सकते हैं कि उस लैब में वो टेस्ट होता भी है या नहीं, जो आप करवाना चाहते हैं। जब आपको यहां वो टेस्ट अवेलेबल मिल जाए तो आप उस लैब में, उस पर्टिकुलर टेस्ट के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं।

प्राइस कंपैरिजन

यह वेबसाइट एक फायदा ये भी दे रही है कि यहां आप एक पर्टिकुलर टेस्ट के प्राइस को बाकी लैब्स में होने वाले टेस्ट्स से कंपेयर भी कर सकते हैं। जहां रेट्स कम हों, वहां उसे बुक कर लें।

डिस्काउंट्स

इसके अलावा, 3एच केयर टेस्ट्स पर कई तरह के डिसकाउंट्स भी प्रोवाइड करती है जो पेशेंट की पॉकेट के लिहाज से काफी फायदेमंद है। साथ ही पेशेंट को एमआरआई, सीटी स्कैन वगैरह के लिए एंबुलेंस की फेसिलिटी भी प्रोवाइड कराती है यह साइट।

QnA

स्टार्टअप इंडिया हब में अपनी प्रोफाइल क्रिएट करने के बाद एक इंडिविजुअल एनेबलर्स से कैसे कनेक्ट कर सकता है?

रजनीश, आगरा

यहां जो सिस्टम बनाया गया है वो कुछ ऐसा है कि आप अपनी इंडस्ट्री और प्रिफर्ड स्टेज के बेसिस पर रेलिवेंट स्टेकहोल्डर्स से कनेक्ट कर सकें। हर एनेबलर की प्रोफाइल के नीचे एक कनेक्ट या अप्लाई का ऑप्शन होगा। जब आप इस ऑप्शन पर जाकर क्लिक करेंगे तो उस पर्टिकुलर एनेबलर के पास आपकी रिक्वेस्ट पहुंच जाएगी। एनेबलर जब आपकी रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट कर लेगा, तब वो आपके लिए नया कनेक्शन बन जाएगा। लेकिन यहां एक बात याद रखने वाली है और वो ये कि आप हर हफ्ते सिर्फ तीन एनेबललर्स से ही कनेक्ट कर सकते हैं।

मैं इवेंट्स, टूल्स और टेंप्लेट्स, रिपोट्र्स, ब्लॉग्स वगैरह को स्टार्टअप हब पर शेयर करना चाहता हूं। वहां इसे पब्लिश करवाने के लिए मैं क्या कर सकता हूं?

कृष्णा, पटना

इस हब पर इन सभी चीजों को पब्लिश करवाने के लिए आप startupindiahub@investindia।org।in पर जाकर कनेक्ट कर सकते हैं।

Quick Guide

इंपॉर्टेंट है को-फाउंडर

जरूरी नहीं कि कोई एक इंडिविजुअल हर फील्ड की नॉलेज रखता हो। लेकिन अगर कोई कंपनी शुरू करनी है तो उसके लिए जरूरी है कि आपके पास रिलेटेड एरिया का कंप्लीट नॉलेज रिसोर्स हो। ऐसे में को-फाउंडर का होना काफी फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर इंडिविजुअल के पास कोई न कोई स्पेशलाइजेशन होता है। एक्सपट्र्स भी सजेस्ट करते हैं कि अगर आपके पास कोई यूनीक आइडिया है और इसके लिए आपको टेक्निकल और मार्केट या किसी अन्य तरीके के सपोर्ट की जरूरत है, जिसमें आपकी एक्सपर्टीज नहीं है, तो बेहतर होगा कि अपने साथ उस डोमेन के स्पेशलिस्ट को को-फाउंडर के रूप में शामिल करें। इसका दोहरा फायदा होगा। पहला कि आपको स्पेशलाइज सपोर्ट मिलेगा और दूसरा आपको दो या तीन लोग मिल कर सोच सकते हैं, जिसका फायदा स्टार्टअप को मिलेगा।

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