अलीगढ़ में नकली टिकट का रैकेट पकड़े जाने के बाद मेरठ में शुरू हुई जांच

अभी सिर्फ संदिग्ध परिचालक और स्टाफ का खंगाला जा रहा रिकार्ड

Meerut। गत दिनों अलीगढ़ में नकली टिकट देने वाला गिरोह पकड़ में आने के बाद अब एसटीएफ ने मेरठ में भी अपनी पड़ताल शुरू कर दी है। हालांकि गोपनीय तौर पर चल रही इस जांच में अभी सिर्फ संदिग्ध परिचालक और स्टॉफ का पिछले आठ साल का रिकार्ड खंगाला जा रहा है। आरएम रोडवेज नीरज सक्सेना ने बताया कि अलीगढ़ में एक ही रुट पर गिरोह के सक्रिय होने की जानकारी मिली थी। इस मामले में जांच एसटीएफ कर रही है। हम अपने स्तर पर सभी परिचालकों की नियमित जांच कर रहे हैं और सचल दस्ते को भी सभी रूटों पर सक्रिय कर दिया गया है। एसटीएफ को जो मदद चाहिए हम देंगे।

ईटीएम मशीन तक नकली

दरअसल, अलीगढ़ में पकडे गए 11 लोगों में खुद रोडवेज के कर्मचारी शामिल थे। इनसे पूछताछ के आधार पर अलीगढ समेत आगरा, बुलंदशहर, मेरठ आदि में 280 से अधिक चालक-परिचालक व रोडवेज के अन्य स्टॉफ की मिलीभगत सामने आई है। इसलिए इस मामले की गोपनीय जांच एसटीएफ ने शुरू करते हुए पिछले आठ साल का रिकार्ड रोडवेज से तलब किया है।

खराब ईटीएम का प्रयोग

सूत्रों की मानें तो हर माह रोडवेज के विभिन्न डिपो में एक या दो ईटीएम गुम होने या खराब होने की जानकारी परिचालकों द्वारा दी जाती है। इन गुमशुदा या खराब ईटीएम का इस रैकेट द्वारा प्रयोग किया जा रहा है। मामला सामने आने पर अब विभाग ने अपनी खराब और गुम ईटीएम का भी रिकार्ड खंगालना शुरू कर ि1दया है।

ऐसे जारी होता है नकली टिकट

रोडवेज बसों में परिचालकों से मिलीभगत कर ईटीएम बदल दी जाती है।

असली ईटीएम की बजाए नकली से टिकट जारी कर यात्री को दे दिया जाता है।

इस नकली ईटीएम का रिकार्ड रोडवेज के रुट चार्ट में दर्ज नहीं किया जाता है।

निगम की एटीएम से बस में 12 से 15 यात्रियों को सही टिकट देकर रोडवेज के रुट चार्ट में एंट्री दिखा दी जाती है।

रोडवेज को रुट पर कम यात्रियों की संख्या दिखाकर रोडवेज की राजस्व का चूना लगाया जाता है।

नकली एटीएम से जारी टिकट का पैसा परिचालक और गिरोह के अन्य सदस्यों में बंट जाता है।

20 से 30 प्रतिश्ात टिकट

जानकारी के अनुसार मेरठ से आगरा, अलीगढ, मुजफ्फनगर, लखनऊ आदि लंबी दूरी की बसों में कई जगह इस प्रकार के नकली टिकट का प्रयोग किया जा रहा है। परंतु इन टिकटों की संख्या प्रति बस में 20 से 30 प्रतिशत होती है और इसी वजह से मामला पकड़ में नहीं आता।