-सड़क और नाली की कमी से रोज हो रही थी दुर्घटना

-अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद अब खुद करा रहे निर्माण

-आपसी कंट्रीब्यूशन से खर्च करेंगे 1 लाख से अधिक

GORAKHPUR: वार्डो में विकास कार्य नहीं होने से नगर निगम के प्रति पब्लिक की नाराजगी बढ़ती जा रही है. निगम के चक्कर काटकर, धरना-प्रदर्शन कर और ज्ञापन सौंपकर थक चुके लोग अब अपने पैसों से ही निर्माण शुरू करवा रहे हैं. सिविल लाइंस द्वितीय, रुस्तमपुर व राजेन्द्र नगर के बाद अब बिछिया के लोग निगम से निराश होकर अपनी सड़क का खुद ही निर्माण करवा रहे हैं. निगम अधिकारियों द्वारा बजट की कमी का तर्क अब लोगों को बहाना लग रहा है. नागरिकों के ज्ञापन के जवाब में निगम के जेई प्रस्ताव बनाकर नागरिकों को एक कॉपी इस शर्त के साथ पकड़ा दे रहे हैं कि बजट मिलते ही निर्माण कार्य शुरू होगा. इस बात से नाराज बिछिया जंगल तुलसी राम के खजुरहिया मोहल्ले के लोग लाखों रुपए खर्च कर सड़क व नाली का निर्माण करवा रहे हैं.

150 लोग झेल रहें परेशानी

बिछिया खजुरहिया मोहल्ले में 30 परिवारों में 150 से अधिक लोग रहते हैं. मोहल्ले में सड़क व नाली का इंतजाम नहीं होने के कारण हल्की बारिश में ही घरों के अंदर पानी चला जाता है. बारिश अधिक हो गई तो घर छोड़कर परिचितों के यहां शरण लेनी पड़ती है. पिछले एक वर्ष में स्थानीय नागरिक मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, नगर आयुक्त से लेकर पार्षद तक के दरवाजों के चक्कर काट चुके हैं. मोहल्ले में रहने वाले दिव्यांग मनोज सिंह ने पिछले दिनों सीएम से मुलाकात की थी. इसका प्रभाव ये हुआ कि निगम ने 4.80 लाख रुपये का प्रस्ताव तो तैयार कर दिया, लेकिन बजट के अभाव का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए.

5-5 हजार रुपए किए इक्ट्ठा

मोहल्ले में एक परिवार में शादी है. उनकी पहल पर ही मोहल्ले के लोगों ने 5-5 हजार रुपए इक्ट्ठा करने का फैसला किया है. इक्ट्ठा हुए पैसे से अभी तक 15 ट्राली मिट्टी डाली जा चुकी है तो करीब 200 मीटर नाली का निर्माण भी शुरू करा दिया गया है. अनिल गुप्ता, रंजन गौड़, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. निशिकांत सिन्हा, अनिल कुमार गुप्ता, महेंद्र मौर्या, बंशराज मौर्या, पिंटू, जयप्रकाश यादव आदि ने करीब एक लाख रुपये इक्ट्ठा कर लिए हैं. जय प्रकाश यादव का कहना है कि अगले महीने बिटिया की शादी है. चंदा लगाकर सड़क व नाली का निर्माण कराने के अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. दिव्यांग मनोज सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री से मिलने मंदिर गए थे. सिर्फ प्रस्ताव बना, काम नहीं हुआ. लोगों के बीच पहुंचकर चंदा जुटाया. खुद निर्माण कार्य करा रहे हैं.

कोट

जलभराव के कारण घर में ताला लगाकर किराए के मकान में रहना पड़ता है. परिवार में और भी जरूरी खर्चे हैं लेकिन नगर निगम की बेरुखी के कारण अपने पैसों से मोहल्ले का विकास कराना पड़ रहा है.

अर्चना गौड़, हाउस वूमेन

घरों के पुरूष नौकरी पर चले जा रहे हैं, ऐसे में हमें ही निर्माण कार्य की निगरानी करनी पड़ रही है. नगर निगम यदि विकास कार्य कराने में असफल है तो हम लोगों से टैक्स भी नहीं लेना चाहिए.

संगीता मौर्या, हाउस वूमेन