906 से अधिक चिंहित निराश्रित पशुओं को नहीं मिल सका आश्रय

Meerut. आचार संहिता क्या लागू हुई शहर का गौवंश एक बार फिर आश्रय से महरूम रह गया. दरअसल, 906 से अधिक निराश्रित पशुओं को चिंहित किया गया था लेकिन इन्हें आश्रय देने की प्रदेश सरकार की प्रमुख योजना कान्हा उपवन एक बार फिर निगम की लापरवाही के चलते अधर में अटक गई. वहीं निगम का निराश्रित पशु पकड़ने का अभियान ठंडे बस्ते में जा चुका है. हालात ये है कि सूरजकुंड डिपो में पशुओं का रख-रखाव, दवा और चारे की अनदेखी से पशुओं की संख्या निरंतर कम होती जा रही है.

न चारा न पानी न दवा

सूरजकुंड डिपो में जिस तेजी से अस्थाई कान्हा उपवन बनाने की कवायद निगम ने शुरु की थी उतनी ही तेजी से आचार संहिता के बाद गौवंश के रख-रखाव का काम बंद हो गया. बजट के अभाव में पहले से ही चारे व दवा से वंचित पशुओं को गत सप्ताह से हरा चारा व दवा उपलब्ध नहीं हो सकी है. केवल पानी के भरोसे अधिकतर पशु टिके हुए हैं. वहीं निराश्रित गौवंश को लाने का अभियान भी निगम द्वारा रोक दिया गया है. ऐसे में एक बार फिर सड़कों पर निराश्रित पशुओं की संख्या में इजाफा होने लगा है.

अधर में कान्हा उपवन

निगम की योजना के अनुसार परतापुर में 7 हेक्टेयर जमीन को कान्हा उपवन के लिए चिंहित किया गया था. जिस पर करीब 15 करोड़ की लागत से कान्हा उपवन तैयार किया जाना है. मगर आचार संहिता लगने के बाद निगम अधिकारियों ने भी इस तरफ अपना ध्यान पूरी तरह हटा लिया है.

कान्हा उपवन और गौवंश संरक्षण के काम में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हो रही है. केवल चुनाव ड्यूटी के कारण कुछ काम रुके हुए हैं.

गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी