नियमों को ताक पर रखकर सड़कों पर दौड़ रही रोडवेज की बसें

बस से लेकर चालकों की फिटनेस में लापरवाह रोडवेज

Meerut। शनिवार सुबह दिल्ली रोड पर एक बार फिर रोडवेज बस से कुचल कर छात्र की मौत हो गई। यह पहली बार नही है जब शहर की सड़कों पर रोडवेज बस ने इस प्रकार हादसे को अंजाम दिया है। ऐसा हर माह हो रहा है लेकिन बावजूद इसके रोडवेज ना तो अपनी बसों की गति पर लगाम लगा पा रहा है और ना ही चालकों पर सख्त हो रहा है। इसी का नतीजा है कि गत एक साल में रोडवेज बसों द्वारा मेरठ शहर की सड़कों पर 48 से अधिक हादसे हो चुके हैं।

अधर में शिफ्टिंग

एनजीटी कोर्ट में भैंसाली बस डिपो को लेकर शिफ्टिंग का मामला चल रहा है। बस डिपो को शहर के पर्यावरण के लिए नुकसान दायक के साथ शहर के जाम और हादसों की समस्या का कारण मानते हुए जनहित याचिका के माध्यम से बस डिपो को शहर से बाहर शिफ्ट करने की मांग की गई थी लेकिन अभी तक यह मामला भी अधर में है।

एनजीटी का बैन भी दिखावा

एनजीटी ने एनसीआर में संचालित दस साल पुराने डीजल वाहनों पर रोक लगाई हुई है। उसके बावजूद खुद रोडवेज की 20 प्रतिशत से अधिक निगम की बसें इस आदेश को ताक पर रखकर शहर की सड़कों पर संचालित हो रही हैं। गत वर्ष केवल 72 बसों को आयु पूरी करने पर पूरब के डिपो में भेजा गया था। वहीं अनुबंधित बसों के संचालन में भी इस नियम की अनदेखी की जा रही है।

डग्गामार बसों का आंतक

रोडवेज विभाग के आंकडों के अनुसार दिल्ली से मेरठ मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत व सहारनपुर तक 50 से अधिक डग्गामार बसों का अवैध रुप से संचालन हो रहा है। इससे रोडवेज को हर माह करीब साढे तीन करोड़ से अधिक की चपत लग रही है। रोडवेज के अनुसार डग्गामार बसों से संचालक को प्रति बस करीब 20 से 25 हजार की प्रतिदिन आय होती है।

चालकों की फिटनेस भी जीरो

रोडवेज द्वारा हर साल चालकों की फिटनेस, नेत्र परीक्षण का प्रावधान हैं लेकिन गत डेढ़ साल से अभी तक चालकों की फिटनेस की जांच नही की गई है। केवल चालक के ड्राइविंग लाइसेंस पर ही उन्हें बस चलाने की अनुमति दे दी जाती है।

थम नहीं रहे हादसे

27 मार्च 2018- परतापुर तिराहे पर हादसे में 6 घायल

9 जुलाई 2018- परतापुर तिराहे के पास बाइक सवार की मौत

11 अक्टूबर 2018- रामराज में टैक्टर में टक्कर से 7 लोग घायल

22 दिसंबर 2017- करनाल मार्ग पर एक बाइक सवार की मौत

19 अप्रेल 2017- हापुड रोड पर कुचल कर बाइक सवार की मौत

डग्गामार बसों के संचालन रोकने के लिए हम लगातार प्रशासन से मांग कर रहे हैं। आरटीओ प्रवर्तन दल के साथ मिलकर लगातार अभियान चलाकर डग्गामार बसों को पकड़ा भी गया है। बस अड्डा शिफ्टिंग का मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

नीरज सक्सेना, आरएम, यूपी रोडवेज

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नहीं रहते ट्रैफिक पुलिसकर्मी

मेरठ: मेरठ में भारी वाहनों के प्रवेश बंद कराने को लेकर कई वार कवायद की गई किंतु यह असफल रही। ट्रैफिक विभाग की लापरवाही से दिल्ली रोड पर बड़े हादसे हो रहे हैं। वसूली में मशगूल ट्रैफिक पुलिसकर्मी और होमगार्ड वाहनों पर नजर नहीं रखते हैं। वहीं दूसरी ओर पड़ताल में यह भी निकलकर आया कि परतापुर से बेगमपुल तक 15 किमी की दूरी तक महज 4 स्थानों पर ट्रैफिक पुलिस तैनात रहती है, जबकि इस दूरी में 7-8 बड़े चौराहे हैं।

परतापुर से बेगमपुल तक सड़कों पर भीड़भाड़ और वाहनों के आवागमन के चलते सुबह 6 बजे से ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही अवैध ई-रिक्शा के खिलाफ धरपकड़ अभियान चलाया जाएगा।

-संजीव बाजपेयी, एसपी ट्रैफिक मेरठ