पहले भी हो चुकी है लापरवाही

31 अगस्त 2018 : संभल के इकटोरिया में चार साल की मासूम दो घंटे स्कूल में बंद रही

18 अगस्त 2018 : बिजनौर के स्कूल में चौथी का बच्चा बेहोशी की हालत में छुट्टी के दो घंटे बाद निकाला गया।

02 अगस्त 2018 : गाजियाबाद में नर्सरी का बच्चा कई घंटे स्कूल में बंद रहा।

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क्या कहता है कानून

- जेजे एक्ट की धारा-23 कहती है कि जिसके पास भी बच्चे का चार्ज होगा, उसका उस पर कंट्रोल होगा।

- इस दौरान बच्चे को अगर किसी की लापरवाही से मानसिक या शारीरिक नुकसान होता है तो ऐसे शख्स जिसके पास वह बच्चा है उसे दोषी पाए जाने पर अधिकतम 6 महीने कैद की सजा का प्रावधान है।

- जेजे एक्ट की धारा-2 के मुताबिक, जो नेचुरल गार्जियन है वह गार्जियन होता है या फिर जिसके पास बच्ची की कस्टडी होती है वह उस वक्त गार्जियन के रोल में होता है। उसकी ड्यूटी होती है कि वह बच्चे को प्रोटेक्ट करे।

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फ्लैग । क्यारा में स्टूडेंट की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ का मामला आया सामने

- परिजनों द्वारा तलाशने पर बच्चा अपने क्लासरूम में लॉक मिला, स्कूल पर होगी कार्रवाई

BAREILLY:

सातवीं में पढ़ने वाला 14 साल का देव थर्सडे सुबह पढ़ने के लिए स्कूल आया था। दोपहर तीन बजे छुट्टी के बाद वह क्लास में ही लॉक हो गया। करीब पांच घंटे तक भूखा-प्यासा वह क्लास में ही बंद रहा। मामला क्यारा ब्लॉक के इटऊआ पूर्व माध्यमिक स्कूल का है। मात्र तीन रूम वाले इस स्कूल को यहां पढ़ाने वाले सात टीचर और एक चपरासी भी ढंग से चेक नहीं कर पाए। देर शाम तक घर नहीं पहुंचने पर जब उसे तलाशा गया तो बच्चा अपने क्लासरूम में लॉक मिला। सर्च के दौरान पूछे जाने पर स्कूल प्रबंधन का कहना था कि छुट्टी के बाद बच्चा घर चला गया था।

सबकी अलग-अलग दलीलें

बच्चे के क्लासरूम में लॉक होने को लेकर स्कूल की पि्रंसिपल असमा देवी और प्रधान वेदराम ने अलग-अलग तर्क दिए हैं। इस बात की पुष्टि करने के लिए जब पेरेंट्स से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। बच्चा सदमे में है।

1. प्रिंसिपल बोलीं- बच्चा दूसरा दरवाजा खोलकर चला गया था

छुट्टी के बाद जब बच्चा घर नहीं पहुंचा तो परिजन उसे तलाशते हुए स्कूल की प्रिंसिपल असमा देवी के पास पहुंच गए। असमा का कहना था कि देव छुट्टी के बाद घर चला गया था। यह पता चलने पर कि वह घर नहीं पहुंचा तो प्रिंसिपल ने स्कूल के फोर्थ क्लास कर्मचारी को क्लासरूम चेक करने के लिए भेजा। पि्रंसिपल के मुताबिक, पेरेंट्स और फोर्थ क्लास कर्मचारी के स्कूल पहुंचने से पहले ही बच्चा जा चुका था। उनहोंने बताया कि क्लासरूम में दो गेट हैं, जिसमें से एक अंदर से बंद रहता है और दूसरे को बाहर से लॉक करते हैं। अंदर से बंद दरवाजे को खालेकर गेट को खोलकर बच्चा बाहर चला गया था।

पेरेंट्स की डांट से नहीं गया घर

असमा देवी का आरोप है किस्कूल आने से पहले देव को उसके पेरेंट्स ने पढ़ाई न करने के कारण डांट दिया था। कहा था कि स्कूल से वापस आने पर वो उसकी पिटाई करेंगे। इस डर से बच्चा स्कूल में ही सीट के नीचे छिप गया था और चपरासी ने छुट्टी के बाद क्लासरूम लॉक कर दिया था।

2. प्रधान बोले, स्कूल में ही था देव

वहीं, प्रधान वेदराम का कहना था कि बच्चा स्कूल के अंदर ही था। क्योंकि जब परिजन स्कूल पहुंचे और उन्होंने बच्चे का नाम पुकारा तो तो उसने अंदर से आवाज दी। इसके बाद उसे निकाला गया।

स्कूल में तीन रूम आैर सात टीचर

स्कूल में कुल 7 टीचर्स है। इनमें दो अनुदेशक भी शामिल हैं। सात टीचर्स में दो कांधरपुर स्कूल में चल रही प्रतियोगिता में गए थे। अब हद तो इस बात की है कि पांच टीचर्स मिलकर भी स्कूल के तीन क्लास रूम को चेक नहीं कर पाए।

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वर्जन

स्कूल में बच्चे की बंद होने की सूचना मिली है। इसमें स्कूल की लापरवाही सामने आ रही है। बंद करने से पहले क्लास रूम को चेक करना चाहिए था। इस बारे में स्कूल पर कार्रवाई की जाएगी।

राजीव श्रीवास्तव, खंड शिक्षा अधिकारी

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