- लॉ में करियर की राह आज ज्यूडिशियरी तक ही सीमित नहीं

- स्टूडेंट्स के लिए मैनेजमेंट तक पहुंची लॉ की राह

- क्लैट से स्टूडेंट्स को गुजरना होगा टफ रैकिंग और मेरिट से

LUCKNOW: समय के साथ लॉ एजुकेशन में स्टूडेंट्स का क्रेज बढ़ा है। मौजूदा समय में लॉ ग्रेजुएशन के बाद करियर के कई नए ऑप्शंस खुले हैं। पारंपरिक तौर पर कोर्ट और वकालत का क्षेत्र तो है ही, इसके अलावा तमाम कंपनियां अपने यहां लीगल ऑफिसेस भी खोलती हैं। इसमें टैक्सेशन और सेल्स टैक्स आदि मामलों को देखने के लिए लॉ ग्रेजुएट्स को रखा जाता है। इन सबके अलावा एक बड़ा काम लीगल राइटिंग का भी है। यही कारण है कि लॉ में करियर की राह आज च्यूडिशियरी तक ही सीमित नहीं रह गई, बल्कि प्रशासन से लेकर मैनेजमेंट तक फैल गई है।

एक बेहतर करियर की ओर

इंडस्ट्री में लॉ प्रोफेशनल्स की कमी की वजह से अब क्लैट के माध्यम से सीनियर सेकेंडरी के बाद ही एंट्री शुरू हो गई है। इस क्षेत्र में करियर के अनेक ऑप्शन होने के कारण यूथ के बीच लॉ ज्यादा पॉपुलर हो रहा है। अगर आपको भी यह फील्ड लुभा रहा है तो किसी अच्छे यूनिवर्सिटी और कॉलेज में एंट्री लेकर लॉ में बेहतर करियर बना सकते हैं।

Score डिसाइड करेगा university

कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को काफी टफ रैकिंग और मेरिट से होकर गुजरना होगा। इसके लिए स्टूडेंट्स को न केवल अपने मेरिट के रैंक से, बल्कि सब्जेक्ट में स्कोर किए गए नम्बरों के आधार पर उनकी रैकिंग डिसाइड होगी। क्लैट में केवल हाई मेरिट हासिल कर लेने भर से ही कोई स्टूडेंट्स यह न समझे कि उसे बेस्ट यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल ही जाएगा। इसके लिए उसे रैकिंग और सब्जेक्ट के मा‌र्क्स का भी खास ध्यान रखना होगा।

Tie होने पर

टीम सत्यम के संजय कुमार सिंह ने बताया कि अगर दो कैंडीडेंट्स के क्लैट में रैंक एक समान आते हैं तो यह नहीं माना जाएगा कि उन दोनों को एक ही कॉलेज मिल जाएगा। ऐसी स्थिति में दोनों स्टूडेंट्स के लीगल रीजनिंग के मिले नम्बरों को देखा जाएगा। जिसका नम्बर ज्यादा होगा, उसके रैंक अपग्रेड कर दिया जाएगा। संजय कुमार सिंह ने बताया कि अगर रैंकिंग और लीगल रीजनिंग में भी नम्बर सेम होगा तो ऐसी स्थिति में स्टूडेंट्स के इंटरमीडिएट के परसेंटज देखा जाएगा। उसके आधार पर रैंक डिसाइड होगा। उन्होंने बताया कि इसके बारे में पूरी जानकारी www.clat.ac.in पर दी गई है। जहां से स्टूडेंट्स और भी जानकारी ले सकते हैं।

Depend करती है Choice

टीम सत्यम की डायरेक्टर सुरभि सहाय ने बताया कि क्लैट के फॉर्म भरते समय स्टूडेंट्स ने जो च्वाइस भरा होगा, वह उनके यूनिवर्सिटी और कॉलेज एलॉटमेंट के लिए अहम साबित होगा। उन्होंने बताया कि टॉप नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए जो च्वाइस स्टूडेंट्स ने भरा होगा, उसे उसकी च्वाइंस के हिसाब से ही एडमिशन दिया जाएगा। चाहे उसकी रैंक हाई ही क्यों न हो, उसकी च्वाइस को पहले प्रिफरेंस दिया जाएगा। सुरभि सहाय ने बताया कि इसी तरह अगर कोई स्टूडेंट्स को रैंक कम होती है उसे उसके च्वाइस के हिसाब से यूनिवर्सिटी एलॉट होती है। अगर स्टूडेंट्स फीस भी जमा कर देता है तो वह फीस एडमिशन लेने वाल यूनिवर्सिटी खुद दूसरे यूनिवर्सिटी को ट्रांसफर कर देगी।