इंजर्ड बच्चों को राजवंशी नगर अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया गया। घटना के बाद सचिवालय थाना की पुलिस भी पहुंच गई। बच्चे के गार्जियन व रिलेटिव्स को जैसे ही इसकी खबर मिली, फौरन सब पहुंच गए। उधर, स्कूल ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि प्राइवेट बस ओनर को बच्चों को ढोने पर रोक लगा दिया गया है। पुलिस ने बच्चों की लिस्ट अपने पास रख ली। ड्राइवर ने बताया कि ब्रेक फेल होने की वजह से यह हादसा हुआ। घटना का कारण जो भी हो, पर स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन के पास बस नहीं है और प्राइवेट ओनर्स पैसे कमाने के नाम पर नियम-कानून की धज्जी उड़ा रहे हैं।

घिसी हुई बस की टायर
बीआर 06 पी-2171 बस पर 19 बच्चे सवार थे। गाड़ी के आठ चक्कों में सब के सब घिसे हुए हैं। एक तो बुरी तरह खराब हो चुका है। प्रत्यक्षदर्शियोंने बताया कि ब्रेक फेल होने के बाद गाड़ी सड़क पर इधर-उधर स्लीप करते हुए पेड़ से टकरा गई और पलटी मार गई। गाड़ी के सामने लिखा हुआ था कि गाड़ी की स्पीड चालीस लिमिट है, पर जब पलटी तब स्पीड में थी। सुबह से लेकर दोपहर तक बेली रोड पर स्कूल बस अपनी रफ्तार से चलती हैं। बस के कारण उस इलाके में अब तक दर्जनों एक्सीडेंट हो चुके हैं। जान जाने के बाद भी स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन या डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

वह स्कूल की बस नहीं थी। प्राइवेट बस थी। उसमें हमारे स्कूल के बच्चे सवार थे। बस का ब्रेक फेल हो गया था। ओनर को दस हजार रुपए का फाइन किया गया है। इसके साथ ही उस बस को बच्चों को ढोने पर भी रोक लगा दिया गया है।
डीके मुखर्जी
प्रिंसिपल, ज्ञान निकेतन 

महीने में एक बार स्कूली बस और ऑटो की चेकिंग का नियम है, लेकिन ऑफिसर की कमी की वजह से ऐसा करने में प्रॉब्लम आ रही है। इसके बाद भी जांच हर स्तर से चलती रहती है।
हरिहर प्रसाद
डीटीओ