- परदेसी युवकों को बीवी की जुदाई पड़ रही भारी

- अकेलेपन की आंच में झुलसे, डिप्रेशन ले रहा जान

केस 1: जिंदगी से ज्यादा भली लगी मौत

15 नवंबर की सुबह चिलुआताल एरिया के बुढि़याबारी मोहल्ला निवासी सोनू यादव की डेडबॉडी पेड़ की डाल पर फंदे से झूलती मिली थी। गुजरात में रहकर कमाने वाले सोनू की इसी साल अप्रैल माह में शादी हुई थी। नवंबर के अंत तक उसका गवना होने वाला था। बीमारी की वजह से वह घर आ गया। लेकिन जिंदगी की जद्दोजहद की जंग में वह मौत से हार गया।

केस 2: पत्‍‌नी गई थी मायके, गंवा दी जान

30 अक्टूबर को गोला एरिया के सुअरज में पेड़ की डाली से लटकती मुनेंद्र उर्फ मोनू की डेडबॉडी मिली। वेल्डिंग का काम करने वाले मोनू की शादी एक साल पूर्व हुई थी। दंपति के बीच मनमुटाव पर उसकी पत्नी मायके चली गई थी। उसने कई बार पत्नी को वापस लाने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बन सकी।

GORAKHPUR: जिले में सुसाइड की घटनाएं घटने के बजाय बढ़ती जा रही हैं। हर माह औसतन कम से कम 20 लोग जान गवां रहे हैं। नवंबर माह में एक पखवारे के भीतर तीन महिलाओं सहित 11 लोग अपनी जान दे चुके हैं। सुसाइड करने वालों में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जिनकी निजी जिंदगी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पति-पत्नी के बीच विवाद की वजह से ज्यादातर लोगों ने जान गंवाई है। इनमें परदेस में रहकर कमाने वाले भी शामिल हैं। शुक्रवार की दोपहर सूर्यविहार कॉलोनी निवसी गौतम कुमार ने फंदे से झूलकर सुसाइड कर लिया। जुलाई माह में उसके बड़े भाई की मौत हो गई थी। तबसे वह डिप्रेशन में चल रहा था।

लेखपाल का मिला था शव, सुसाइड का इशारा

शाहपुर के राप्तीनगर फेज एक निवासी दुर्गेश अस्थाना सिद्धार्थनगर के उस्का में लेखपाल थे। नौ नवंबर की शाम मानीराम में किसी से मिलने की बात कहकर घर से निकले लेखपाल अचानक लापता हो गए। 14 नवंबर की सुबह उनकी डेडबॉडी चिलुआताल एरिया में रोहिन नदी से बरामद हुई। दम घुटने और सिर में चोट की बात पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आई। लेकिन पुलिस मामले को सुसाइड से जोड़ रही है। पुलिस का कहना है कि इसी साल लेखपाल की शादी हुई थी। लेकिन दंपति के रिश्तों में खटास होने से पत्नी मायके चली गई। इसको लेकर दोनों पक्षों में कई बार पंचायत हो चुकी थी।

खत्म हुई दबाव सहन करने की क्षमता

हाल के दिनों में हुए सुसाइड केसेज की जांच में पुलिस ने पाया है कि युवाओं में दबाव सहन करने की क्षमता बिल्कुल खत्म हो गई है। इस माह सुसाइड करने वाले लोगों में ज्यादातर लोग 20 साल से 28 साल उम्र के पाए गए। उनमें ऐसे युवा शामिल हैं जिनकी शादी दो साल के भीतर हुई। लेकिन पत्नी से अनबन होने से वह मायके चली गई। परदेस में रहकर कमाने वाले युवकों ने घर लौटने पर मौत को गले लगाया। इनमें आत्महत्या को अस्थायी समस्या का परमानेंट समाधान मानने वाले युवक भी शामिल हैं।

फैक्ट फाइल

15 नवंबर तक सुसाइड की घटनाएं- 11

पति-पत्नी के बीच कलह की वजह - 07

अन्य कारणों से डिप्रेशन में आकर सुसाइड- 04

इन घटनाओं में सामने आया विवाद

16 नवंबर 2018: तिवारीपुर एरिया के सूर्यकुंड में गौतम कुमार की डेडबॉडी फंदे से झूलती मिली। मोबाइल की दुकान चलाने वाला युवक डिप्रेशन में था।

15 नवंबर 2018: चिलुआताल एरिया में रोहिन नदी में लेखपाल की डेडबॉडी मिली। वह नौ नवंबर से लापता थे। उनका पत्नी से विवाद चल रहा था।

11 नवंबर 2018: गुलरिहा के करमौरा में एक किशोरी ने जहर खाकर जान दे दी। घरवालों से विवाद में उसने यह कदम उठाया।

10 नवंबर 2018: गुलरिहा के मोगलहा में 28 साल की महिला ने खुदकुशी कर ली। उसका पति संग अक्सर विवाद होता रहता था।

02 नवंबर 2018: शाहपुर एरिया के राप्ती नगर मोहल्ले में विवाद की वजह से युवती फंदे से झूली।

01 नवंबर 2018: गोरखनाथ एरिया के शिवनगर कॉलोनी में प्राइवेट नौकरी करने वाले 23 साल के युवक ने फंदे से झूलकर जान गंवा दी।

30 अक्टूबर 2018: गोला के सुअरज में युवक फंदे से झूल गया। उसका पत्नी से विवाद चल रहा था। मनमुटाव से उसकी पत्नी एक साल पूर्व मायके चली गई थी।

29 अक्टूबर 2018: गुलरिहा एरिया के बूढ़ाडीह में युवक ने छत की कुंडी से झूलकर जाने दे दी। पति-पत्नी के बीच विवाद में पत्नी नाराज होकर मायके चली गई थी।

वर्जन

सुसाइड के मामलों की जांच में सामने आया है कि आत्मघाती कदम उठाने वाले हिम्मत हार चुके थे। इसलिए उन लोगों ने जान गवां दी। ऐसे में जरूरत है कि हर परिवार में समस्याओं की जड़ को खोजकर खत्म किया जाए। दंपति के बीच होने वाली कलह को रोकने की कोशिश हो।

- रोहित सिंह सजवाण, एसपी नॉर्थ

आत्महत्या के लिए तमाम वजहें काम करती हैं। इनमें आजकल सबसे ज्यादा प्रॉब्लम घरेलू कलह को लेकर है। आपसी रिश्तों में कम होता भरोसा, तमाम तरह की गलतफहमियां भी इसकी वजह बन रही है।

- संदीप श्रीवास्तव, फैमिली काउंसलर

मानसिक दबाव झेलने की क्षमता खत्म होने लगी है। छोटी-छोटी वजहों से लोग जान देने पर आमादा हो जा रहे हैं। सामाजिक और सार्वजनिक जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव सहित कई फैक्टर इसके लिए जिम्मेदार हैं।

- डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट