-जिला अस्पताल और मेडिकल में एक हफ्ते से खत्म एंटी रैबीज वैक्सीन

-एंटी रैबीज वैक्सीन न मिलने से भटक रहे मरीज

Meerut। एक ओर शहर में जहां डॉग बाइट के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन का स्टॉक खत्म हो गया है। ऐसे में अस्पताल पहुंच रहे मरीजों को बिना वैक्सीन के ही वापस लौटना पड़ रहा है। बीते कई दिनों से ऐसा ही नजारा जिला अस्पताल के आरएबी डिपार्टमेंट में देखने को मिल रहा है। दवाई न मिलने के कारण सैकड़ों मरीजों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।

नहीं मिल रही वैक्सीन

जिला अस्पताल में पिछले कई दिनों से एंटी रैबीज वैक्सीन नहीं दी जा रही है। ऐसे में रोजाना आ रहे मरीज बिना दवा के ही वापस लौट रहे हैं।

नहीं है पर्याप्त स्टॉक

डॉ। नीलम ने बताया कि आचार संहिता के कारण दवाई का पर्याप्त स्टॉक नहीं आ पाया है। जिसके चलते दवाइयों की टेंप्रेरी शॉटेज पैदा हो गई है। उन्होंने बताया कि ऐसे में कुछ दवा रिजर्व रखी गई है, जो क्रिटिकल पेशेंट्स को दी जा रही है।

ऐसे करें बचाव -

-यदि पालतू या बाहरी कुत्ता काट ले तो घाव को तत्काल बहते हुए पानी में दस मिनट तक धोएं।

-यदि 15 दिन तक कुत्ते पर नजर रख रहे हैं तो भी तीन इंजेक्शन नियमित अंतराल पर जरूर लें।

-यदि कुत्ता पानी पीना बंद कर दे, और नाक सूखने लगे तो सतर्क हो जाएं।

-कुत्ते का नाखून रक्त में धंस जाए तो भी वैक्सीन लेनी चाहिए।

15 दिन तक रखें नजर

रेबीज का वायरस सौ फीसद जानलेवा होता है। इसके संक्रमण से बचाने के लिए पालतू कुत्तों को वैक्सीन लगाई जाती है। अगर कुत्ता काट ले तो तुरंत एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाएं।

ये हैं हालात

- 200 से 250 मरीज जिला अस्पताल में रोजाना आते हैं

- 150 से 200 लोग लगवाते हैं इंजेक्शन।

-12 सीएचसी में प्रत्येक सप्ताह पहुंचते हैं मरीज

- 2000 मरीजों को दी जाती हैं दवाइयां

- 6000 लोग निजी अस्पताल में लगवाते है एंटी रेबीज वैक्सीन।

डॉग बाइट के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। रोजाना सौ से अधिक मरीजों का पंजीकरण कराया जा रहा है। ऐसे मरीजों को एहतियात के तौर पर एंटी रैबीज वैक्सीन की डोज दी जा रही है।

-डॉ। पीके बंसल, एसआईसी जिला अस्पताल

वर्जन

पिछले दो दिनों से अस्पताल के चक्कर काट रही हूं। लेकिन डॉक्टर दवाई खत्म बता रहे हैं। बड़े डॉक्टर इस बारे में कोई जवाब नहीं दे रहे।

-परवीन, मेडिकल क्षेत्र

जिला अस्पताल में दवा नहीं मिल रही है। मैं दवा के लिए कई बार चक्कर काट चुका हूं।

-शिवा, माधवपुरम

आज तीसरी बार जिला अस्पताल आया हूं। फिर भी दवा नहीं मिली। यदि दवाई नहीं तो अस्पताल बंद कर देना चाहिए।

-सलीम, श्याम नगर