कानपुर। स्वरा भास्कर का कहना है कि उन्हें पता था कि फिल्म में दिखाए गए मास्टरबेशनसीन को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी होगी लेकिन उन्हें ये भी पता था कि इसके जरिए फीमेल डिजायर को लेकर बातें शुरू होने का एक मौका भी मिलेगा। वो कहती हैं कि फीमेल डिजायर ऐसा टॉपिक है जो अभी भी इंडियन सोसाइटी और सिनेमा से काफी दूर है। 
लोग मुझ पर अटैक करने का नहीं छोड़ते मौका: स्वरा कहती हैं, 'मैं जानती थी कि मुझे ट्रोल किया जाएगा लेकिन मैं इन चीजों को लेकर ओपेन हूं। मैं पॉलिटिकल इश्यूज पर भी ओपीनियन देती हूं तो लोग मुझ पर अटैक करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। लेकिन फिल्म उस सीन से कहीं ज्यादा है। 
'फीमेल डिजायर पर सबका अपना- अपना नजरिया: स्वरा कहती हैं, 'फीमेल डिजायर को लेकर सभी का अपना नजरिया होता है लेकिन अच्छी बात ये है कि कम से कम बात तो शुरू हुई। इसके अलावा पूरे साउथ एशिया में फीमेल सेक्सुएलिटी, फीमेल बॉडी और डिजायर को लेकर हमेशा शांति बनी रहती है। हम इसे लेकर चुप रहते हैं और इसे बड़े ही मेटाफोरिकल तरीके से दिखाते हैं जैसे गाने और फिलोसोफी। लेकिन इसमें शर्म जैसी बात ही क्यों है? 
मेरा कंफर्ट जोन गांव: इस फिल्म में स्वरा पहली बार एक मॉडर्न अप्रोच वाली लड़की के रोल में दिखीं। इसकी प्रिपरेशन के बारे में वह कहतीं हैं, 'मेरा एक कंफर्ट जोन है और वो है गांव और जमीन से जुड़ी हुई चीजें। लेकिन जब ये रोल मेरे सामने आया तो मुझे पता ही नहीं था कि मैं कैसे तैयारी करूं। मेरे लिए ये नया था और इससे मुझे काफी डर भी लग रहा था। 
फीमले-सेंट्रिक स्टोरीज में लोग इंटरेस्टेड: वहीं दूसरी तरफ स्वरा फीमेल सेंट्रिक फिल्मों की भी तारीफ और उनके स्कोप के बारे में बात करती हैं। उनका कहा है कि जिस तरह से एनएच 10, क्वीन, मैरी कॉम, पिंक, मर्दानी, नीरजा, निल बटे सन्नाटा जैसी फिल्मों को सक्सेस मिली है, उसे देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि लोग फीमले-सेंट्रिक स्टोरीज में न सिर्फ इंटरेस्टेड हैं बल्कि फीमेल्स को अलग रोल्स में देखना चाहते हैं।  

 

कानपुर। स्वरा भास्कर का कहना है कि उन्हें पता था कि फिल्म में दिखाए गए मास्टरबेशनसीन को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी होगी लेकिन उन्हें ये भी पता था कि इसके जरिए फीमेल डिजायर को लेकर बातें शुरू होने का एक मौका भी मिलेगा। वो कहती हैं कि फीमेल डिजायर ऐसा टॉपिक है जो अभी भी इंडियन सोसाइटी और सिनेमा से काफी दूर है। 

लोग मुझ पर अटैक करने का नहीं छोड़ते मौका: स्वरा कहती हैं, 'मैं जानती थी कि मुझे ट्रोल किया जाएगा लेकिन मैं इन चीजों को लेकर ओपेन हूं। मैं पॉलिटिकल इश्यूज पर भी ओपीनियन देती हूं तो लोग मुझ पर अटैक करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। लेकिन फिल्म उस सीन से कहीं ज्यादा है। 

'फीमेल डिजायर पर सबका अपना- अपना नजरिया: स्वरा कहती हैं, 'फीमेल डिजायर को लेकर सभी का अपना नजरिया होता है लेकिन अच्छी बात ये है कि कम से कम बात तो शुरू हुई। इसके अलावा पूरे साउथ एशिया में फीमेल सेक्सुएलिटी, फीमेल बॉडी और डिजायर को लेकर हमेशा शांति बनी रहती है। हम इसे लेकर चुप रहते हैं और इसे बड़े ही मेटाफोरिकल तरीके से दिखाते हैं जैसे गाने और फिलोसोफी। लेकिन इसमें शर्म जैसी बात ही क्यों है? 

मेरा कंफर्ट जोन गांव: इस फिल्म में स्वरा पहली बार एक मॉडर्न अप्रोच वाली लड़की के रोल में दिखीं। इसकी प्रिपरेशन के बारे में वह कहतीं हैं, 'मेरा एक कंफर्ट जोन है और वो है गांव और जमीन से जुड़ी हुई चीजें। लेकिन जब ये रोल मेरे सामने आया तो मुझे पता ही नहीं था कि मैं कैसे तैयारी करूं। मेरे लिए ये नया था और इससे मुझे काफी डर भी लग रहा था। 

फीमेल-सेंट्रिक स्टोरीज में लोग इंटरेस्टेड: वहीं दूसरी तरफ स्वरा फीमेल सेंट्रिक फिल्मों की भी तारीफ और उनके स्कोप के बारे में बात करती हैं। उनका कहा है कि जिस तरह से एनएच 10, क्वीन, मैरी कॉम, पिंक, मर्दानी, नीरजा, निल बटे सन्नाटा जैसी फिल्मों को सक्सेस मिली है, उसे देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि लोग फीमले-सेंट्रिक स्टोरीज में न सिर्फ इंटरेस्टेड हैं बल्कि फीमेल्स को अलग रोल्स में देखना चाहते हैं।  

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