फेयर मेले का उद्घाटन तक नहीं हुआ

- प्रचार-प्रसार न होने से बुक स्टॉल सेलर मायूस

आगरा। कहा जाता है कि पुस्तकें इंसान की सबसे अच्छी मित्र हैं, लेकिन आगरा कॉलेज ग्राउंड में इंसान की ये मित्र सूनी आंखों से अपने पाठकों की राह निहार रही हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं ताज महोत्सव के उपलक्ष्य में शुरू किए गए बुक फेयर की। बुक फेयर के सेलर पाठकों की बेरुखी से मायूस हैं। 28वें ताज महोत्सव के उपलक्ष्य में आगरा कॉलेज ग्राउन्ड में बुक फेयर का अनूठा संसार सजा है, लेकिन पाठकों के न पहुंचने से बुक स्टॉल सेलर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रिपोर्टर ने गुरुवार को बुक फेयर का जायजा लिया, तो बुक सेलर का दर्द उनकी जुबां पर छलक पड़ा। पेश है एक रिपोर्ट

उद्घाटन तक नहीं किया गया

दिल्ली-मुम्बई से आगरा पहुंचे कई बुक सेलर का कहना था कि ताज महोत्सव का तो 18 फरवरी को उद्घाटन कर दिया गया, लेकिन बुक फेयर के उद्घाटन की औपचारिकता की रश्म अदायगी तक नहीं की गई। यहां तक कि बुक फेयर का प्रवेश द्वार तक नहीं बनाया गया।

प्रचार-प्रसार न होने की कसक

देश भर से आए हुए बुक सेलरों की एक ही कसक थी कि जिस तरीके से पहले इसका प्रचार-प्रसार हुआ था, वो इस बार नहीं हुआ है। होर्डिग भी हम सबने आपस में चंदा कर लगाया है। आने-जाने को रास्ता तक नहीं है। ग्राउन्ड को कवर्ड तक नहीं किया है। एक बुक सेलर ने बताया कि पहले की अपेक्षा इस बार रिस्पांस बहुत कम है। हालांकि अभी 6 दिन शेष हैं और उम्मीदें बाकी हैं।

पहले एनबीटी ने किया था आयोजन

बुक सेलर ने बताया कि पहले एनबीटी (नेशनल बुक ट्रस्ट) ने आयोजन किया था। उस दौरान व्यवस्थाएं बहुत अच्छी थी। पाठकों का रिस्पांस भी बहुत अच्छा मिला था। इस बार आयोजन जिला प्रशासन द्वारा किया गया है, व्यवस्थाएं भी ठीक नहीं है। रिस्पांस भी न के बराबर है। अगली बार आएंगे तो कई बार सोचेंगे।

महोत्सव के पास ही होता बुक फेयर

बुक सेलरों का कहना था कि ताज महोत्सव से 10 किमी। दूर बुक फेयर का आयोजन किया गया है। ये ताज महोत्सव के पास ही होना चाहिए था। इससे ताज महोत्सव में आने वाले दर्शक बुक फेयर का भी लाभ ले पाते। आयोजन समिति को यह जरूर देखना चाहिए था।

फोटो वर्जन

इस बार हम उम्मीद लेकर आए थे कि अच्छा रिस्पांस मिलेगा, लेंकिन इस बारे में ताज महोत्सव आयोजन समिति द्वारा बुक फेयर को लेकर कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया गया है। पाठक ही नहीं आ रहे हैं।

ताराचंद ठाकुर, पूजा बुक सेंटर, फरीदाबाद

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इस समय एक तो छात्रों की परीक्षाएं चल रही हैं। बुक फेयर के बारे में लोगों को पता ही नहीं है। होर्डिग तक नहीं लगाए गए हैं। सोशल मीडिया पर कोई प्रचार-प्रसार नहीं है। इसलिए लोग न के बराबर आ रहे हैं। मौसम खराब हो रहा है। कवर्ड न होने से बंदरों की भी दिक्कत है। अभी एक बंदर कई कीमती बुक को लेकर भाग गया।

रमन चौधरी, प्रकाशन संस्थान, दिल्ली

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हमारे पास हिन्दी साहित्य के सभी लेखकों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। हम पिछली बार आए थे तो अच्छा रिस्पांस मिला था। इस बार ऐसा नहीं है। बुक फेयर का प्रचार ठीक से नहीं हुआ है। कोई भी अधिकारी देखने तक नहीं आया है।

रामनरेश, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली

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हम हिन्दी, अंग्रेजी बुक पर 50 से 80 फीसदी का डिस्काउंट दे रहे हैं। यहां तक कि हमारे खर्चे तक नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि आगरा में साहित्य की रुचि रखने वालों की कमी है। यहां के लोग साहित्य के मुरीद हैं। प्रशासन के प्रचार न होने से लोग नहीं पहुंच रहे हैं। आज चार दिन हो गए। हमने अपने खर्चे से बाहर होर्डिग लगवाया है।

राजकुमार, आरुषि बुक इंटरप्राइजेज, मुम्बई