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Take care of yourself

Enjoy diwali with care

Allahabad: त्योहार का दिन है। खुशियां बांटने का दिन। जश्न मनाने का दिन। दियों से घर रौशन करने का दिन। पटाखे बजाने का दिन। सेलीब्रेट करें लेकिन अपना ख्याल जरूर रखें। खास तौर से पटाखे बजाते समय। आसपास का कोई पटाखे बजा रहा है तब भी इसका ध्यान रखें। क्योंकि, एक चूक जिदंगी भर का दर्द दे जाती है.


सज चुकी है मार्केट

 इस दीपावली एक बार फिर मार्केट में एक से बढ़कर एक पटाखे मौजूद हैं। इंडियन ही नहीं चाइनीज कंपनियों ने भी अपने आइटम्स लांच कर दिए हैं। इनकी खरीद-फरोख्त भी जोरों पर है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि ये खुशी मनाने के लिए बजाए जाने वाले पटाखे आपको कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं? डॉक्टर्स की मानें तो इनसे सबसे ज्यादा खतरा आपकी आंखों और कान को है। जरा सी लापरवाही आपको जीवनभर के लिए अंधा और बहरा बना सकती है। लास्ट इयर के ऐसे कई एग्जाम्पल्स हैं, जिनमें पटाखों से लोगों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है। इसलिए तो एंज्वॉय करिए बट, टेक केयर योरसेल्फ.

एक चिंगारी ही काफी है

पटाखों से निकली एक चिंगारी ही आपको जीवनभर अंधा बनाने के लिए काफी है। इनसे निकलने वाली चिंगारी आंखों में चली जाए तो कार्निया में घाव हो जाता है। इससे पुतलियां सफेद हो जाती हैं और दिखाई पडऩा बंद हो जाता है। डॉक्टर्स बताते हैं कि हर साल दीपावली पर ऐसे कई केस आते हैं। इस सिचुएशन में इलाज द्वारा आंखों की रोशनी लौटना बेहद मुश्किल होता है। कई बार धुएं से एलर्जी होने से आंखें लाल भी हो जाती हैं। लास्ट इयर एमडीआई हॉस्पिटल में दीपावली की रात इमरजेंसी में लगभग दो दर्जन ऐसे मामले आए थे. 

तो डैमेज हो जाएंगी कान की नसें

मार्केट में कुछ पटाखे ऐसे भी हैं जिनकी आवाज सामान्य कैपेबिलिटी से कई गुना ज्यादा है। इन्हें दूर से बजाना ही बेहतर है। क्योंकि, अगर इसका असर हुआ तो कान की नसें डैमेज हो सकती हैं। कान के परदे में छेद हुआ तो पानी आने की शिकायत भी हो सकती है। कई बार धमाके के बाद कान में तेज सनसनाहट या सीटी की आवाज सुनाई पड़ती है। ये खतरनाक साइन माना जाता है। इसलिए अगर ऐसा होता है तो बिना देर किए डॉक्टर सलाह लें. 


आंखें खोल देंगे इनके experience 
 

-चौक के रहने वाले राकेश आज भी तीन साल पहले की दीपावली की रात नहीं भूल सकते। चौराहे पर अनार में आग लगाते समय वह अचानक फट गया और चिंगारी उनकी आंख में चली गई। दाईं आंख में तेज जलन और दर्द से उनका बुरा हाल था। आसपास के लोगों ने चीख सुनकर उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया। तीन महीने के लंबे इलाज के बाद उनकी आंखों की रोशनी सामान्य हो सकी. 

-खुल्दाबाद के संदीप ने पिछले पांच साल से पटाखों से तौबा कर ली है। वह बताते हैं कि सड़क से गुजरने के दौरान किसी ने बड़े बम में आग लगाकर उनके करीब फेंक दिया। उसकी आवाज इतनी तेज थी कि उनके दोनों कानों से सुनाई पडऩा बंद हो गया। डॉक्टर ने बताया कि उनके कान के परदे डैमेज हो गए हैं। फिलहाल अब वह ठीक हैं लेकिन दूसरों को होशियारी से पटाखे चलाने की हिदायत देने से नहीं चूकते. 

ऐसे करें खुद का बचाव

-पटाखों को खुद से चार से छह फीट की दूरी से जलाएं.
-आंख में जलन होती है तो उसे उबले पानी को ठंडा करके धोएं.
-आराम नहीं मिलता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
-बम चलाते समय कान में रुई या इयर फोन लगा लें.
-हो सके तो आंखों में नॉर्मल ग्लास का गॉगल लगाकर पटाखे चलाएं.



आंखें कीमती होती हैं। दीपावली पर ऐसे बहुत से मामले आते हैं जब पटाखे जलाते समय लोगों की आंखें जख्मी हो जाती हैं। ऐसे में अंधेपन के बहुत ज्यादा चांसेज होते हैं। इसलिए फेस्टिवल पर होशियारी बरतना बेहद जरूरी है. 
-डॉ। कमलजीत सिंह, आई सर्जन

कान के परदे काफी सेसेंटिव होते हैं। एक लिमिट से ज्यादा शोर-शराबा होने से इनके डैमेज हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। मेरी राय है कि बहुत तेज आवाज वाले पटाखों को अवॉयड करें। अगर दूसरा जला रहा है तो उससे दूरी बनाए रखने में ही भलाई है.
डॉ। अजय शुक्ला, ईएनटी सर्जन


Reported by vineet tiwari

सज चुकी है मार्केट

 इस दीपावली एक बार फिर मार्केट में एक से बढ़कर एक पटाखे मौजूद हैं। इंडियन ही नहीं चाइनीज कंपनियों ने भी अपने आइटम्स लांच कर दिए हैं। इनकी खरीद-फरोख्त भी जोरों पर है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि ये खुशी मनाने के लिए बजाए जाने वाले पटाखे आपको कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं? डॉक्टर्स की मानें तो इनसे सबसे ज्यादा खतरा आपकी आंखों और कान को है। जरा सी लापरवाही आपको जीवनभर के लिए अंधा और बहरा बना सकती है। लास्ट इयर के ऐसे कई एग्जाम्पल्स हैं, जिनमें पटाखों से लोगों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है। इसलिए तो एंज्वॉय करिए बट, टेक केयर योरसेल्फ।

एक चिंगारी ही काफी है

पटाखों से निकली एक चिंगारी ही आपको जीवनभर अंधा बनाने के लिए काफी है। इनसे निकलने वाली चिंगारी आंखों में चली जाए तो कार्निया में घाव हो जाता है। इससे पुतलियां सफेद हो जाती हैं और दिखाई पडऩा बंद हो जाता है। डॉक्टर्स बताते हैं कि हर साल दीपावली पर ऐसे कई केस आते हैं। इस सिचुएशन में इलाज द्वारा आंखों की रोशनी लौटना बेहद मुश्किल होता है। कई बार धुएं से एलर्जी होने से आंखें लाल भी हो जाती हैं। लास्ट इयर एमडीआई हॉस्पिटल में दीपावली की रात इमरजेंसी में लगभग दो दर्जन ऐसे मामले आए थे. 

तो डैमेज हो जाएंगी कान की नसें

मार्केट में कुछ पटाखे ऐसे भी हैं जिनकी आवाज सामान्य कैपेबिलिटी से कई गुना ज्यादा है। इन्हें दूर से बजाना ही बेहतर है। क्योंकि, अगर इसका असर हुआ तो कान की नसें डैमेज हो सकती हैं। कान के परदे में छेद हुआ तो पानी आने की शिकायत भी हो सकती है। कई बार धमाके के बाद कान में तेज सनसनाहट या सीटी की आवाज सुनाई पड़ती है। ये खतरनाक साइन माना जाता है। इसलिए अगर ऐसा होता है तो बिना देर किए डॉक्टर सलाह लें. 

आंखें खोल देंगे इनके experience 

-चौक के रहने वाले राकेश आज भी तीन साल पहले की दीपावली की रात नहीं भूल सकते। चौराहे पर अनार में आग लगाते समय वह अचानक फट गया और चिंगारी उनकी आंख में चली गई। दाईं आंख में तेज जलन और दर्द से उनका बुरा हाल था। आसपास के लोगों ने चीख सुनकर उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया। तीन महीने के लंबे इलाज के बाद उनकी आंखों की रोशनी सामान्य हो सकी. 

-खुल्दाबाद के संदीप ने पिछले पांच साल से पटाखों से तौबा कर ली है। वह बताते हैं कि सड़क से गुजरने के दौरान किसी ने बड़े बम में आग लगाकर उनके करीब फेंक दिया। उसकी आवाज इतनी तेज थी कि उनके दोनों कानों से सुनाई पडऩा बंद हो गया। डॉक्टर ने बताया कि उनके कान के परदे डैमेज हो गए हैं। फिलहाल अब वह ठीक हैं लेकिन दूसरों को होशियारी से पटाखे चलाने की हिदायत देने से नहीं चूकते. 

ऐसे करें खुद का बचाव

-पटाखों को खुद से चार से छह फीट की दूरी से जलाएं।

-आंख में जलन होती है तो उसे उबले पानी को ठंडा करके धोएं।

-आराम नहीं मिलता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

-बम चलाते समय कान में रुई या इयर फोन लगा लें।

-हो सके तो आंखों में नॉर्मल ग्लास का गॉगल लगाकर पटाखे चलाएं।

 

 

 

आंखें कीमती होती हैं। दीपावली पर ऐसे बहुत से मामले आते हैं जब पटाखे जलाते समय लोगों की आंखें जख्मी हो जाती हैं। ऐसे में अंधेपन के बहुत ज्यादा चांसेज होते हैं। इसलिए फेस्टिवल पर होशियारी बरतना बेहद जरूरी है. 

-डॉ। कमलजीत सिंह, आई सर्जन

 

कान के परदे काफी सेसेंटिव होते हैं। एक लिमिट से ज्यादा शोर-शराबा होने से इनके डैमेज हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। मेरी राय है कि बहुत तेज आवाज वाले पटाखों को अवॉयड करें। अगर दूसरा जला रहा है तो उससे दूरी बनाए रखने में ही भलाई है।

डॉ। अजय शुक्ला, ईएनटी सर्जन

 

 

Reported by vineet tiwari