ऑनलाइन भेजी जाएगी शासन को रिपोर्ट

200 प्राइवेट डॉक्टर्स ने नहीं दिया ड्रग विभाग व डीटीओ को रिकार्ड

Meerut। टीबी को जड़ से खत्म करने में जुटी सरकार की कवायद में प्राइवेट चिकित्सक व मेडिकल स्टोर पलीता लगा रहे हैं। हालत यह है कि करीब 200 प्राइवेट डॉक्टर्स ने स्वास्थ्य विभाग को टीबी मरीजों का रिकार्ड नहीं दिया है। इसके मद्देनजर शनिवार को जिला अस्पताल स्थित रेडक्रास भवन में केमिस्ट व ड्रगिस्ट की बैठक की गई। इस दौरान जिला टीबी अधिकारी डॉ। एमएस फौजदार ने कहा कि बिना प्रिस्क्रिपशन या रिकार्ड के टीबी की दवा बेचते पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई होगी। डीटीओ ने इस संबंध में ड्रग इंस्पेक्टर पवन शाक्य को भी निर्देश्दिए हैं।

हो सकती है जेल

दरअसल, टीबी मरीजों की जानकारी न देने पर प्राइवेट अस्पतालों व डॉक्टर व ड्रग स्टोर संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। धारा 269 व धारा 270 के अंर्तगत जुर्माना और सजा का प्रावधान है। सभी जानकारी विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन भेजी जाएगी। डीटीओ ने बताया कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमावली 1945 के नियम 65 के अनुसार शेड्यूल एच 1 (जिनकी बिक्री बगैर प्रिस्क्रिप्शन के नहीं की जा सकती) के तहत आने वाली टीबी की 13 दवाइयों को बेचने के लिए रजिस्टर मेनटेन करना जरूरी है।

ये हैं 13 दवाइयां

इन औषधियों में एथियोनामाइड, एथमबुटोल हाइड्रोक्लोराइड, साइक्लोसिरीन, सोडियम पैरा अमीनो सैलिसिएट, रिफैंपसिन, थियासिटजोन, लिवोफ्लॉक्सेसिन, रिफैबुटिन, कैप्रियोमायसिन, क्लेफैजिमाइन, मॉक्सीफ्लाक्सेसिन, पाइरेजिनामाइड, आइसोनियाजिड शामिल हैं।