-जिले को टीबी जैसी गंभीर बीमारी से मुक्त कराने को 2022 तक का दिया गया है समय

-स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयास के बाद भी बनारस में घटने के बजाए बढ़ रहे हैं टीबी के मरीज

देश भर से टीबी जैसी गंभीर बीमारी के खात्मे के लिए केन्द्र सरकार ने 2025 तक का समय दे रखा है, लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल ही लग रहा है. एग्जाम्पल के तौर पर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को ही ले लीजिये. यहां टीबी के मरीजों की संख्या घटने के बजाए लगातार बढ़ती ही जा रही है. स्वास्थ्य विभाग टीबी के इस रोग पर कंट्रोल पाने के लिए भले ही तमाम प्रयास कर रहा हो, लेकिन यहां साल दर साल टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं. बनारस में 2017 की तुलना में 2018 में टीबी के 2,730 ज्यादा मरीज पाए गए. चौंकाने वाले इस आंकड़े को देख यह कहना गलत नहीं होगा कि बनारस को 2022 तक टीबी से मुक्ति दिला पाना आसान नहीं है.

ये कर रहा है विभाग

जिले को टीबी से मुक्त कराने के लिए एक ओर जहां स्वास्थ्य विभाग की मुहिम जारी है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक संयुक्त पहल फाइंड ट्रीट ऑल फॉर इंड टीबी शुरू की है. इसके अलावा हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से निक्षय पोषण मिशन योजना के तहत टीबी के मरीजों को पोषाहार का सेवन करने के लिए आर्थिक मदद 500 रुपये सीधे उनके खातों में भेजी जा रही है. जिले में 2017 में टीबी के 101 मरीजों को 500 रुपये दिये गए. वहीं 2018 में 4,536 और 2019 में टीबी के अब तक 280 मरीजों को 500 रुपये दिया जा चुका है.

घर-घर हो रही खोजाई

प्रदेश व जिला स्तर पर टीबी से निपटने के लिए पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस दौरान मरीजों के घर के नजदीक डॉट्स सेंटर बनाया गया है. जिससे मरीज को दवा खाने में कोई परेशानी न हो. इसके साथ ही सक्रिय टीबी खोज अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें घर-घर जाकर टीबी के छिपे मरीजों को खोजा जा रहा है. इतना के बाद भी लोगों के इस मर्ज की चपेट में आने का क्रम जारी है.

क्यों बढ़ रहे मरीज?

अधिकारियों का कहना है कि टीबी के फैलने की वजह इस बीमारी को लेकर लोगों का सचेत न होना है. विशेषज्ञों का मानना है कि टीबी के मरीजों का ठीक ढंग से देखभाल नहीं होने के कारण यह रोग तेजी से फैल रहा है. शुरुआत में लोग इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते, जिसकी वजह से ये अन्य को भी प्रभावित कर देता है. टीबी किसी को भी हो सकता है. इसके अलावा जन्म के तुरंत बाद या छह माह बाद शिशु को बीसीजी का एक टीका क्षयरोग से बचाता है. यह टीका सभी स्वास्थ्य केंद्र पर नि:शुल्क लगाया जाता है ताकि देश की भावी पीढ़ी को क्षय रोग से बचाया जा सके.

एक नजर

जिला क्षय रोग केंद्र के मुताबिक

5,032

टीबी के मरीज देखे गए 2017 में

7,762

टीबी के मरीज देखे गए 2018 में

1,571

मरीज नोटिफाइड किए गए जनवरी 2019 से 15 मार्च तक

3,652

मरीजों का ट्रीटमेंट पूरा किया गया 2017 से 18 मार्च 2019 तक में

1,685

मरीजों को अब तक टीबी से दिलाई गई मुक्ति

नोट-(टीबी के अन्य मरीजों को इस बीमारी से मुक्ति दिलाने के लिए उनका लगातार फालोअप हो रहा है. )

वर्जन--

जिले को टीबी से मुक्त करने के लिए विभाग की ओर से लगातार प्रयास जारी है. समय समय पर कैंपेन चलाकर टीबी के मरीजों को ढूंढा जा रहा है.

डॉ. राकेश कुमार सिंह, जिला क्षयरोग अधिकारी