घटनाक्रम को छिपाने में डीपीओ और केयर टेकर की भूमिका भी हुई उजागर

डीएम ने शासन को भेजी पूरे मामले की रिपोर्ट

सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र प्रताप सिंह ने एक बार फिर बाल गृह का दौरा किया।

Meerut। सूरजकुंड राजकीय बाल संरक्षण गृह मेरठ में पीडि़त मासूम मई 2018 को 10 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद शिशु सदन रामपुर से आया था। बालगृह की देख-रेख करने वाले इकलौते कर्मचारी जावेद की मासूम पर कई दिनों से गंदी नजर थी। बाल गृह में ही रह रहे अन्य बालकों ने कई बार जावेद को मासूम के साथ हरकत करते हुए देखा था। 8 जुलाई की रात्रि अंधेरे का फायदा उठाकर जावेद अपने मंसूबे में कामयाब हो गया। आरोपी जावेद ने मासूम को किसी को कुछ बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी थी। 21 अगस्त को बाल गृह में निरीक्षण के दौरान प्रधान मजिस्ट्रेट को मासूम ने रो-रोकर अपनी व्यथा बताई।

डीपीओ व केयर टेकर दोषी

कुकर्म की घटना के खुलासे के बाद शनिवार को सूरजकुंड स्थित राजकीय बाल संरक्षण गृह में खामोशी बरकरार थी। वहीं सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र प्रताप सिंह ने एक बार फिर बाल गृह का दौरा किया। शनिवार को डीएम अनिल ढींगरा की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट में घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी के साथ ही कुकर्म के आरोपी जावेद अंसारी, बाल संरक्षण के तत्कालीन केयर टेकर अय्यूब हसन और जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रवण कुमार गुप्ता को प्रथम दृष्टया दोषी पाया है। जघन्य घटनाक्रम के आरोपी के अलावा अन्य को घटनाक्रम को छिपाने की कोशिश में दोषी पाया गया है। डीएम के आदेश के बाद केयर टेकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए टीम बना दी गई है तो वहीं डीपीओ के निलंबन की संस्तुति डीएम ने शासन से की है।

डीपीओ ने छिपाया प्रकरण

प्रधान मजिस्ट्रेट ने घटनाक्रम की गंभीरता को समझते हुए तत्काल मेरठ डीएम और एसएसपी को आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए। साथ ही हाईकोर्ट को घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट दी। प्रकरण की गंभीरता को पुलिस-प्रशासन भी नजरअंदाज नहीं कर सके और तत्काल जांच कर आरोपी जावेद को आईपीसी की धारा 377 और पास्को एक्ट के तहत जेल भेज दिया। डीएम की जांच में खुलासा हुआ कि घटनाक्रम की जानकारी उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी/जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रवण कुमार गुप्ता को थी। उन्होंने जानबूझकर प्रकरण को दबाए रखा। साथ ही जांच में यह भी निकलकर आया कि घटनाक्रम के बाद से आरोपी जावेद और तत्कालीन केयर टेकर अय्यूब हसन बाल गृह से गायब थे। दोनों कर्मचारियों के गायब होने की जानकारी डीपीओ ने उच्चाधिकारियोंको नहीं दी।

घटनाक्रम की जानकारी के बाद आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया और आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। मजिस्ट्रेट जांच की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। घटनाक्रम को छिपाने में डीपीओ और केयर टेकर की भूमिका भी उजागर हुई है।

अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी, मेरठ