GORAKHPUR: टेरर फंडिंग मामले में हुई मास्टमाइंड रमेश शाह की गिरफ्तारी के बाद जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम उससे जुड़ी पड़ताल करने निकली तो रमेश से जुड़े कई चौकाने वाली बातें सामने आई। टेरर फंडिंग के जरिए देश भर में करोड़ों रुपए इधर से उधर भेजने वाले रमेश ने खुद आतंक के पैसों के भरोसे करीब 50 लाख रुपए से अधिक की रकम उधार ले रखी है। इनमें करीब तीस लाख से अधिक रकम उसने अलग-अलग लोगों से ब्याज पर ले रखी है। उसके फरार हो जाने के बाद से सभी उसकी सरगर्मी से तलाश कर रहे हैं, लेकिन डर की वजह से किसी ने पुलिस की मदद नहीं ली। ऐसे में उसकी गिरफ्तारी के बाद आशंका जताई जा रही है कि बेताहाशा रकम ब्याज पर और उधार लेने के पीछे रमेश को टेरर फंडिंग के पैसों का ही सहारा होगा। उसे उम्मीद होगी कि इसके जरिए होने वाली कमाई से वह अपनी उधारी चुका लेगा। हालांकि इससे पहले ही वह एटीएस के हत्थे चढ़ गया।

छह लाख से अधिक बाकी है किराया

जब इसकी पड़ताल करने हमारी टीम शाहपुर इलाके के असुरन चौक स्थित रमेश के प्रतिष्ठान सत्यम मार्ट पर पहुंची तो वहां आसपास के लोगों ने रमेश से जुड़े कई चौकाने वाले खुलासे किए। एटीएस के अलावा उधार दिए लोगों को भी उसकी तलाश है। रमेश ने सत्यम मार्ट के लिए जो जगह ले रखी है वह जगह हुंमायुपुर के रहने वाले मोहम्मद दिलशाद की है। रमेश ने यह जगह दिलशाद से एक लाख रुपए महीना किराए पर ली थी, जबकि साथ में एक गोदाम भी लिया था जिसका किराया अलग है। दिलशाद के मुताबिक यह दुकान रमेश ने उससे करीब डेढ़ साल पहले ली थी, लेकिन मार्ट की ओपनिंग उसने बीते अक्टूबर महीने में की थी। हालांकि इससे पहले वह दुकान का किराया आदि समय पर देता रहा, लेकिन तीन महीने से फरार होने के बाद करीब चार लाख से अधिक दुकान का किराया और दो लाख से अधिक का बिजली बिल बाकी है। इसे लेकर दिलशाद ने उससे कई बार संपर्क किया। जिसके जवाब में वह कहता था कि किसी मामले में गलती से फंस गया हूं, लौटकर पूरी उधारी चूका दूंगा।

मार्ट के लिए भी ले रखा था ब्याज पर पैसा

दिलशाद ने बताया कि वह करीब डेढ़ साल पहले हुंमायुपुर के रहने वाले अख्तर के जरिए उसके संपर्क में आया था। अख्तर के जरिए उसने कुछ दिनों पहले सावंरिया रिटेल नाम की एक कंपनी की फ्रेंचाईजी ली थी, लेकिन कंपनी बाद में भाग गई और रमेश का करीब 15 लाख रुपए डूब गया। इसे लेकर अख्तर व रमेश में संबंध भी खराब हो गए। दोनों एक दूसरे के दुश्मन हो गए। हालांकि अख्तर के ही कहने पर दिलशाद ने उसे किराए पर सिर्फ दुकान ही नहीं दी, बल्कि अपने किसी परिचित से छह लाख रुपए पांच प्रतिशत महीने की ब्याज पर भी दिलाया। अब रमेश के जेल जाने के बाद दिलशाद की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

8 मई को दिलशाद को किया था मैसेज

जब मार्च महीने में टेरर फंडिंग की छापेमारी के दौरान एटीएस टीम रमेश के असुरन स्थित सत्यम मार्ट पहुंची तो उसके बाद से ही वह फरार हो गया। मोबाइल भी स्वीच ऑफ कर दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद वह दूसरे नंबर से दिलशाद आदि से संपर्क में रहा। दिलशाद के मुताबिक उसकी रमेश से आखिरी मुलाकात पांच मार्च को हुई थी। जबकि फरार होने के बाद दिलशाद ने रमेश के व्ह़ाट्सअप पर मैसेज कर दुकान का किराया मांगा था। जिसका जवाब भी उसने दिया और जल्द ही वापस आकर हिसाब करने की बात कही थी।

तमाम लोगों से ले रखा है ब्याज पर रकम

इस तरह से रमेश का सिर्फ सत्यम मार्ट के लिए किराया और ब्याज पर ली गई रकम मिलाकर करीब 15 लाख से अधिक बकाया है। वहीं, परिवार के मुताबिक उसने अलग-अलग तीन लोगों से दस-दस लाख रुपए ब्याज पर ले रखा था। ऐसे में उसने तमाम लोगों से मिलाकर करीब 50 लाख रुपए उधार ले रखा था। हालांकि दिलशाद व रमेश के पिता के मुताबिक यह तो सिर्फ वह रकम है जिसकी उन लोगों को जानकारी है। जबकि अभी न जाने ऐसी कितनी रकम होगी जो रमेश ने लोगों से ले रखी है।