आगरा। ऊपर खबर की दी गई हेडलाइन आपको अटपटी लगे, लेकिन ये हकीकत है। आगरा के सरकारी हॉस्पिटल लेडीलॉयल में कमोवेश ऐसी ही स्थिति है। यहां आने वाले मरीज और राहगीर चौथ देने के बाद ही हॉस्पिटल में एंट्री पा सकते हैं। बिना चौथ दिए एंट्री तो दूर उनका सुरक्षित वापस लौटना भी मुश्किल हो जाता है। लोगों के हाथ से महंगी दवाओं को छीन ले जाते हैं।
लोगों को खर्चा करना होता है
लेडी लॉयल हॉस्पिटल में लोगों ने बताया कि सूजर ढलते ही वार्ड के रास्ते में बंदरों की भीड़ कब्जा कर लेती है। इसके बाद इस रास्ते से कोई भी थैला लेकर नहीं निकल सकता। बंदर हाथ में से सामान छीन लेते हैं। लोगों ने बताया कि जब तक बंदरों को खरीद कर कुछ खाने के लिए नहीं लाते तब तक बंदर यहां से निकलने नहीं देते। इस तरह दिन ढलते ही बंदरों की वसूली शुरु हो जाती है।
महंगी दवाओं को बनाते हैं निशाना
लोगों ने बताया कि यहां पर कई बार बंदर हाथ से महंगी-महंगी दवाओं को छीन ले जाते हैं। गुरुवार को भी बंदरों से एक महिला के हाथ से पांच सौ रुपये के पाउडर का डिब्बा छीन लिया। लोगों की मदद से किसी तरह डिब्बा बंदर से छुड़वाया गया और छत पर जाकर उठाया। इसी तरह कई बार लोगों की दवाएं मिल नहीं पाती। बंदर एक छत से दूसरी छत पर भाग जाते हैं।
रोज जूझना होता है बंदरों से
लेडी लॉयल में अपने पेसेंट को लेकर आने वाले लोग रोज बंदरों से परेशान रहते हैं। प्रगनेंट लेडी के साथ उसके तीमारदार भी होते हैं जो वार्ड से बाहर बैठते हैं। यहां पर वह कुछ भी नहीं खा सकते चूंकि बंदर उनके हाथ से खाने का सामान छीन ले जाते हैं। बंदर खाने के लिए लोगों पर हमला कर देते हैं। कई बार लोगों को काट चुके हैं। पूरे लेडी लॉयल में बंदरों का जमघट लगा रहता है। रात में बंदर खूंखार हो जाते हैं।
जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरा
लेडी लॉयल में गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशु होते हैं। इन पर हमेशा बंदरों का खतरा मंडराता रहता है। लोग बताते हैं कि यहां पर पूर्व में बंदर एक बच्चे को उठा चुके हैं। इसके बाद भी यहां पर कोई कड़ी व्यवस्था नहीं है। लोगों ने बताया कि सिक्योरिटी गार्ड अंदर बैठते हैं जबकि बाहर भी सुरक्षा होनी चाहिए।