जिंदगी की यही रीत है..
आमतौर पर हम सभी ने एक गाना सुना होगा, जिंदगी की यही रीत है...हार के बाद ही जीत है. इस गाने की गहराई में जाऐं, तो लगेगा कि कितना मोटिवेशनल सॉन्ग है. अब अगर इसके शब्दों पर गौर करें, तो हम सभी को आईने के सामने आना होगा और खुद से एक सवाल करना होगा, कि क्या हमने पूरी जिदंगी में सिर्फ जीत ही देखी है? या कभी हारे भी हैं. अब शायद इसका उत्तर जानकर आप खुद को जज कर सकते हैं. जी हां, जब आपको जिंदगी में हमेशा जीत नहीं मिलती है, तो हम इंडियन टीम से हमेशा जीत की उम्मीद क्यों करते हैं. और जब यह उम्मीद टूटती है, तो फिर इतना गुस्सा क्यों? इसके साथ ही कल तक जिस सोशल साइट्स पर हम ब्लीड ब्ूल को चियर कर रहे थे, वहीं एक मैच के परिणाम के बाद हमारी मनोस्थिति इतनी गिर गई. हम अपना गुस्सा टीवी फोड़कर या पुतला जलाकर निकाल सकते हैं, लेकिन वो प्लेयर्स क्या करें जो मैदान पर खुद को हारता हुआ देख रहे थे. उनके बारे में कौन सोचेगा ? इस समय जब हमारी साथ देने की बारी आई, तो हम मुंहमोड़ कर बैठे हैं. फिलहाल इस मसले पर कुछ लोगों की अपनी-अपनी राय हो सकती है, लेकिन हमें एकबार शांति से सोचना होगा कि हम आखिर ऐसा क्या और क्यों कर रहे हैं?

शुक्रिया....टीम इंडिया

एक देश की राष्ट्रीय टीम को इस कदर कोसना शोभा नहीं देता. वैसे भी क्रिकेट को खेल के नजरिए से देखा जाना चाहिए नाकि धर्म से. अब ऐसे में यहां कोई चीज धर्म से जुड़ती है, तो उसका परिणाम हम सभी जानते हैं. तो अपनी सोच को बदलकर इसे सिर्फ एक खेल का हिस्सा मानें. अगर पिछले रिकॉर्ड पर नजर डालें, तो हमें खुशी मनाने का मौका इसी इंडियन टीम ने दिया था. इससे पहले कई टूर्नामेंट रहे जिसमें हमारी टीम ने देश का गौरव बढ़ाया. ऐसे में हमें उन मौकों को याद करना होगा नाकि एक मैच में हार को लेकर मातम मनाएं. अब वैसे भी गुस्से और प्रदर्शन से सेमीफाइनल मैच का परिणाम तो बदला नहीं जा सकता. तो क्यों न हम पिछली जीत पर शुक्रिया बोलते हुए इस हार के गम को भुलाने की एक कोशिश कर लें और टीम इंडिया को एक जादू की झप्पी दे दें...

इतने मौके आए खुश होने के :-


(1) 1983 वर्ल्ड कप :-
इंडिया वर्ल्ड कप इतिहास में पहली बार 1983 में चैंपियन बनी थी. कपिल देव की अगुवाई में इंडिया ने उस दौर की सबसे ताकतवर कैरेबियाई टीम को पटखनी दी थी. इंग्लैंड में खेला गया यह मैच इंडिया ने 43 रन से जीता.

(2) 2007 टी-20 वर्ल्ड कप :- इंडियन कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी ने करियर की शुरुआत से ही इंडिया को बुलंदी पर लाना शुरु कर दिया था. 2007 में खेले गए पहले टी-20 वर्ल्ड कप में इंडिया ने बहुत ही लाजवाब प्रदर्शन किया. भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को 5 रन से हराकर खिताब अपने नाम किया.

(3) ICC चैंपियन्स ट्राफी 2013 :- इंग्लैंड में आयोजित की गई आईसीसी चैंपियन्स ट्राफी में भी बड़ी-बड़ी टीमें मुकाबला कर रही थीं. लेकिन इंडिया ने एक बार फिर देशवासियों को जश्न मनाने का मौका दिया और यह खिताब अपने नाम किया. इंडिया ने फाइनल में इंग्लैंड को 5 रन से हराया.

(4) 2011 वर्ल्ड कप :- मुंबई के वानखेड़े में इंडिया और श्रीलंका के बीच खेला गया फाइनल मैच हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में बसा है. इस मैच में इंडिया ने श्रीलंका को 6 विकेट से करारी शिकस्त देकर दूसरी बार वर्ल्ड कप पर कब्जा किया.

(5) एशिया कप :- एशिया कप की बात करें, तो इंडिया ने यह खिताब 1984, 1988, 1991,1995 और 2010 में जीता.

इन बड़े-बड़े टूर्नामेंट में जीत का अवसर मिला, हमने इस जीत को अपने-अपने तरीके से सेलिब्रेट किया. तो आज फिर क्यों हम उन 11 प्लेयर्स के दुश्मन बने जा रहे. धैर्य के साथ इस हार को स्वीकार करिए और एक नई जीत की आशा में इंडियन टीम को चियर करने की तैयारी कर लें. और हां अगले साल टी-20 वर्ल्डकप होने वाला है, तो एक बार फिर आएगा जश्न मनाने का मौका....

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