सूर्य उपासना का चार दिवसीय कठिन पर्व छठ नहाय खाय के साथ आज होगा शुरू
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PRAYAGRAJ: लोक आस्था और भगवान सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा और कठिन पर्व छठ का शुभारंभ रविवार से होगा। नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले छठ पर्व पर इस बार कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। ये व्रती महिलाओं और उनके परिजनों के लिए समृद्धि का कारक बनेंगे। रविवार को भगवान सूर्य देव का दिन माना जाता है और रविवार से ही पर्व आरंभ हो रहा है। पर्व के पहले दिन ही सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है। इसका मान दिनभर रहेगा। पाराशर ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान के निदेशक पं। विद्याकांत पांडेय की मानें तो सिद्धि योग व रविवार को सूर्य उपासना का पर्व शुरू होने की वजह से शुभ फलदायी और समृद्धि दायक साबित होगा।
तीसरे और चौथे दिन भी संयोग
नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले पर्व के तीसरे दिन यानि तेरह नवम्बर को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। इस दिन अमृत योग और सवार्थ सिद्धि योग एक साथ बन रहा है। यही नहीं पर्व का समापन चौदह नवम्बर को उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ होगा और उस दिन सूर्योदय के समय छत्र योग का संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य पं। विनय कृष्ण तिवारी ने बताया कि अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि व छत्र योग का संयोग लम्बे समय तक धन वृद्धि का कारक बनेगा।
पर्व के चार दिनों का महत्व
11 नवंबर
नहाय खाय के साथ पर्व का शुभारंभ। इस दिन महिलाएं व पुरुष नदियों में स्नान करने के बाद विशेष रूप से कद्दू की सब्जी व अरवा चावल ग्रहण करेंगे।
12 नवंबर
दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला उपवास रखकर शाम को प्रसाद के रूप में रोटी और गुड़ की खीर खाई जाएगी। फिर 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाएगा।
13 नवंबर
डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए नदी के किनारे व्रती महिलाएं व उनके परिजन जाएंगे, बांस की टोकरी में प्रसाद व फल लेकर। पूजन सूर्यास्त से पहले किया जाएगा और डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद व्रत करने वाले घर लौटेंगे।
14 नवंबर
उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। इसके लिए व्रत करने वाले भोर से ही उसी स्थान पर मौजूद रहेंगे, जहां डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए एकत्र हुए थे। उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ व्रत का समापन होगा।
इस बार चार दिवसीय छठ पर्व के तीन दिन दुर्लभ संयोग बन रहा है। शुभारंभ रविवार को हो रहा है जिसे भगवान सूर्य का ही दिन माना जाता है। सिद्धि योग भी बन रहा है। जो श्रद्धालुओं के जीवन में समृद्धि का कारक सिद्ध होगा।
पं। विद्याकांत पांडेय, ज्योतिषाचार्य