- डुमरांव में शू¨टग करने पहुंचे बॉलीवुड के कलाकार
PATNA/ BUXAR: तपती दोपहरी, क्रोध से लाल पछिया की परवा किए बगैर राजपाल अभिनय में मशगूल थे। बुधवार को संत जान सेकेन्ड्री स्कूल में सू¨टग चल रही थी। फिल्म इंशा अल्लहा में उनकी सशक्त भूमिका है। उनके साथ फिल्म की नायिका शेफाली सिंह और नायक शाहिद तलवार के साथ निर्देशक नजर मोसर्वी, प्रोड़़यूसर हेमंत यादव, कैमरामैन दिलीप कुमार सहित पूरी टीम अपने काम में जुटी थी। राजपाल यादव ने कहा कि डुमरांव की धरती पर पहली बार आए हैं। काली मां का दर्शन करने के बाद फिल्म के सेट पर पहुंचे। यह एक पारिवारिक नारी प्रधान फिल्म है, जिसमें कौमी एकता की झलक मिलेगी। कला जितनी बिखरेगी उतनी ही सुधरेगी। राजपाल यादव ने ¨हदी सिनेमा के सफर पर खुलकर बात की। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के मुख्य अंश।
- सिनेमा में व्यापक बदलाव दिख रहा हैआप इसे किस नजरिए से देखते हैं?
तकनीक में बड़ा बदलाव आया है। यह पूरी तरह से साकारात्मक है। विषय वस्तु में सामयिकता का समावेश बढ़ा है। नकारात्मक कुछ भी नहीं है।
- कंटेंट के मामले में क्या भारतीय सिनेमा कमजोर पड़ा है। सिनेमा से ग्रामीण तस्वीरें गायब हो रही हैं। भारतीय संस्कृति का लोप रहा है। क्या कहेंगे आप?
यह बहस का मुद़दा है। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। भारतीय संस्कृति और ग्रामीण परिवेश्ा से पंगा लेने का कोई साहस नहीं कर सकता। इसके बगैर तो सबकुछ अधूरा है।
-रील लाइफ और रीयल लाइफ में किसे अधिक तवाज्जो देते हैं.?
रीयल लाइफ रीयल लाइफ होती है। रील तो रील है। मैं रील को रीयल लाइफ में नहीं घुसेड़ता।
- भारतीय सिनेमा में आपने अलग पहचान बनाई। क्या है जो अभी भी आपका सपना है?
पिक्चर अभी बाकी है। मैं अभी भी मानता हूं कि मेरी शुरुआत भर हुई है। जो मिल गया मैं उसे हकीकत मानता हूं जिसके लिए कोशिश कर रहा हूं वह सपना है।
- भोजपुरी फिल्मों का स्वरूप बिगड़ रहा है। क्या कहेंगे?
फ्फ् करोड़ लोग भोजपुरी बोलने वाले हैं। यह दुनिया की सबसे मीठी बोली है। इसकी संस्कृति भी सबसे समृद्ध है। मैं पांच साल से इस कोशिश में हूं कि भोजपुरी फिल्म में काम मिले। अगर मिल गया तो मुफ्त भी करने को तैयार हूं। भोजपुरी फिल्मों के साथ घिनौना खेल हुआ है। तीन फीसदी दर्शकों के चक्कर में 97 फीसदी को दरकिनार किया गया है।
- भोजपुरी फिल्मों की साख गिराने वालों से क्या कहेंगे?
कुछ लोग साख गिराते हैं तो कुछ उठाते भी हैं। संवारने वाले लोग ही उनका जवाब हैं। भोजपुरी सिनेमा को कोई नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि इसकी संस्कृति इतनी समृद्ध है कि सारे आयाम तोड़ सकती है।