ट्रांसपोर्टर की आईडी न होने पर कट सकता है चालान, गैर पंजीकृत ट्रांसपोर्टर्स की सेवा नहीं ले सकेंगे

ALLAHABAD: अगर आप कारोबार करते हैं और अपना सामान एक से दूसरे राज्य में भेजते हैं तो ई-वे बिल के बारे में जानकारी जरूर होगी। कई बार इसकी जानकारी न होने से काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। एक अक्टूबर से अब ई-वे बिल जेनरेट करने के नियम में बदलाव किया गया है।

ट्रंासपोर्टर की आईडी नहीं तो पेनाल्टी

जीएसटी काउंसिल द्वारा एक अक्टूबर से ई-वे बिल जेनरेट करने के नियम में बदलाव किया गया है। नए नियम के तहत ट्रांसपोर्टर की आईडी लगानी होगी। आईडी न लगा पाने की स्थिति में ई-वे बिल पर आपत्ति के साथ ही पेनाल्टी लगाई जा सकती है।

ज्यादातर ट्रांसपोर्टर हैं अनरजिस्टर्ड

अब नॉन रजिस्टर्ड ट्रांसपोर्टर से माल मंगाना व्यापारियों को भारी पड़ सकता है। क्योंकि जीएसटी काउंसिल ने ई-वे बिल का पार्ट-ए जेनरेट करने के लिए ट्रांसपोर्टर की आईडी अपलोड करना अनिवार्य कर दिया है। जबकि स्थिति ये है कि 70 प्रतिशत से अधिक ट्रांसपोर्टर अन रजिस्टर्ड हैं।

एक अक्टूबर से कई नियम लागू

नए प्रावधानों के तहत अगर ट्रेडर ट्रांसपॉर्टर के गोदाम को अपना अतिरिक्त कार्यस्थल घोषित कर देता है तो माल गोदाम तक पहुंचते ही ट्रांसपोर्टेशन खत्म माना जाएगा। इसके बाद ट्रांसपॉर्टर को ई-वे बिल की वैलिडिटी बढ़वाने की जरूरत नहीं होगी।

अधिकतम एक हजार जुर्माना

जीएसटी काउंसिल द्वारा किये गये नए प्रावधानों के हिसाब से अब छोटी-मोटी गलतियों के लिए अधिकतम जुर्माना 1,000 रुपये तय कर दिया गया है। इससे बीच रास्ते में अफसरों की मनमानी खत्म होगी। ई-वे बिल के नए फॉर्मट में ज्यादा ऑटोपॉपुलेटेड फील्ड जोड़ा गया है। ई-कॉमर्स कंपनियों को अब एक अक्टूबर से हर ट्रांजेक्शन पर एक प्रतिशत टीसीएस काट कर जमा कराने की जवाबदेही के बाद उन्हें हर राज्य में पंजीकरण कराना होगा।

आए दिन एक नया नियम व्यापारी पर थोप दिया जाता है। व्यापारी को नियम के बारे में पता ही नहीं चल पाता है। किसी नियम को लागू करने के बाद व्यापारी को बताना चाहिए। परिवर्तन की जानकारी प्रॉपर तरीके से बताई जानी चाहिए।

संतोष पनामा

संयोजक उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति