..आई एक्सक्लूसिव

-आईआईटी के सामने जमा हो चुका है 50 टन से अधिक कूड़ा, बदबू और सड़ांध से लोगों का जीना मुहाल

-आईजीआरएस में आई कंप्लेन के बाद 2 बार किया झूठा निस्तारण, नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने दी झूठी रिपोर्ट

kanpur@inext.co.in

KANPUR : नगर निगम सोर्स सेग्रीगेशन का ढोल पीट रहा है. लेकिन आईआईटी के पास इस कदर कूड़ा जमा है कि वह पहाड़ का रूप ले चुका है. आईआईटी की हवाई पट्टी के सामने जीटी रोड किनारे 50 टन से ज्यादा कूड़े का अंबार लग चुका है. हवाई पट्टी के नजदीक कूड़े की वजह से पशु और बड़े पक्षी भी आ रहे हैं, जो एयरक्राफ्ट के लिए घातक साबित हो सकते हैं. वहीं आईजीआरएस में इस संबंध में कंप्लेन की गई तो नगर निगम अधिकारियों ने मामले में 2 बार झूठी रिपोर्ट लगाकर कूड़े का निस्तारण कर दिया.

इस प्रकार है पूरा मामला

कई बार कंप्लेन करने के बाद भी नगर निगम की ओर से कूड़े का पहाड़ नहीं हटा तो नारामऊ निवासी संदीप सिंह ने 10 मार्च को आईजीआरएस में कंप्लेन रजिस्टर कराई. मामले में 18 मार्च को बिठूर एसओ ने पुष्टि करते हुए रिपोर्ट दी कि बड़ी मात्रा में जगह पर कूड़ा एकत्रित है. जोन-6 के जोनल स्वच्छता अधिकारी ने 4 अप्रैल को रिपोर्ट लगाते हुए कूड़े का झूठा निस्तारण कर दिया. इसके बाद फिर मामले में रिपोर्ट लगी तो 9 मई को नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने झूठी रिपोर्ट लगाते हुए कूड़ा हटाने की रिपोर्ट डीएम ऑफिस को सौंप दी. जबकि मौके पर टनों कूड़ा अब भी पड़ा हुआ है. मामले को रि-इन्क्वायरी के लिए फिर से भेज दिया गया है.

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जला दिया जाता है कूड़ा

महीनों से पड़ा कूड़ा अब मिट्टी के ढेर में तब्दील हो चुका है. वहीं सफाई कर्मी भी इसमें आग लगा देते हैं. इससे आसपास के इलाके और पास ही स्थित स्कूल में प्रदूषित धुएं का गुबार छा जाता है. भौंसिंह स्थित डंपिंग ग्राउंड की तरह ही यहां के हालात बेहद खराब हो चुके हैं.

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हादसाें का सबब

जीटी रोड किनारे कूड़ा के पहाड़ लगने से बड़ी संख्या में पशु और पक्षी यहां आते हैं. इसकी वजह से कई बार जानवरों के हाईवे पर आने से हादसे भी हो चुके हैं. नगर निगम के सफाई कर्मी भी रोजाना टनों कूड़ा यहां लाकर डाल रहे हैं.

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सोख्ता टैंकर कर रहे निस्तारण

नानकारी, मैनावती मार्ग बिठूर, मंधना सहित अन्य इलाकों में सोसाइटी क्षेत्र हैं. यहां सेप्टिक टैंक के जरिए घरों से सीवर भरा जाता है. रूल्स के मुताबिक सैप्टिक टैंक में भरे सीवेज का निस्तारण एसटीपी में किया जाना चाहिए. लेकिन अवैध तरीके से टैंकर वाले यहां सीवेज डाल जाते हैं. रोजाना यहां कम से कम 10 टैंकर सीवेज अवैध रूप से डाला जाता है.

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