- जालसाज की रिहाई के लिए लखनऊ जेल में टूटते रहे नियम

- जेलर का दावा, फोर्स नहीं मिलने से नहीं भेजा जा सका मेरठ

- एडीजी जेल ने डीआईजी से मांगी रिपोर्ट, गिर सकती है गाज

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LUCKNOW: लखनऊ जेल से जालसाज साजी अहमद सिद्दीकी को रिहा करने के मामले में नया खुलासा हुआ है। 'दैनिक जागरण आई नेक्स्ट' के पास लखनऊ जेल से 11 अक्टूबर को जारी हुआ वह आदेश है जिसमें साजी को मेरठ जेल भेजने का जिक्र है। हालांकि वरिष्ठ जेलर का दावा है कि फोर्स न मिलने की वजह से साजी को मेरठ नहीं भेजा जा सका और अगले दिन उसे रिहा करना पड़ गया। उन्होंने मेरठ कोर्ट से साजी के खिलाफ जारी बी वारंट मिलने से भी साफ इंकार कर दिया है। वहीं रेडियोग्राम द्वारा भेजे गये संदेशों को भी नकार दिया है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में एडीजी जेल चंद्रप्रकाश ने डीआईजी जेल को पूरे प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। सूत्रों की मानें तो इस मामले में लखनऊ जेल के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की तैयारी है।

14 को भी भेजा पत्र

वहीं दूसरी ओर यह जानकारी भी सामने आई है कि साजी को 12 अक्टूबर को रिहा करने के बाद 14 अक्टूबर को लखनऊ जेल से मेरठ कोर्ट एक पत्र भेजा गया जिसमें बताया गया कि साजी को इस निर्देश के साथ रिहा किया गया है कि वह 15 अक्टूबर को मेरठ कोर्ट में जाकर हाजिर होगा। हालांकि इस बाबत जब वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीएन पांडे से बात की गयी तो उन्होंने पत्र साझा देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वे बिना किसी स्पष्ट आदेश के साजी को ज्यादा दिन तक जेल में नहीं रख सकते थे। इसी वजह से उसे रिहा करने का फैसला लिया गया। हालांकि मेरठ कोर्ट के आदेश के बावजूद रिहाई के सवाल पर कोई वे कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। वहीं जेलर सीपी तिवारी से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया पर उनका फोन नॉट रिचीबल बताता रहा। इस मामले में यह भी सामने आया है कि विगत 20 अगस्त को मेरठ कोर्ट ने लखनऊ जेल एक पत्र भेजा जिसमें साजी को अदालत में पेश न करने की वजह से बी वारंट का निष्पादन न होने की बात कही गयी है। साथ ही उसे 27 अगस्त को पेश करने के निर्देश दिए गये। विगत 23 अगस्त को साजी को मेरठ भेजने की औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गयी पर अचानक यह फैसला भी बदल गया।

डीआईजी ने लगाई फटकार

जेल विभाग के सूत्रों की मानें तो दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा इस मामले का खुलासा करने के बाद एडीजी जेल चंद्रप्रकाश ने डीआईजी जेल को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए जिसके बाद डीआईजी ने लखनऊ जेल के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए इस मामले से संबंधित सारे दस्तावेज तलब कर लिए है। जेल सूत्रों की मानें तो 12 अक्टूबर को साजी को मेरठ जेल भेजने के लिए वज्र वाहन भी मंगवा लिया गया था पर अचानक उसे रिहा करने का फैसला ले लिया गया।

कोट

इस प्रकरण में न्यायालय से कोई भी प्रोडक्शन वारंट प्राप्त नहीं है। अभियुक्त को अभिरक्षा में रखने के जितने भी आदेश, वारंट प्राप्त थे, उसमें रिहाई के आदेश आ चुके हैं। मात्र रेडियोग्राम के आधार पर जिसमें बंदी को प्रस्तुत करने की आगामी तिथि अंकित थी, उसके आधार पर बंदी को रखना विधि विरुद्ध होता। ऐसा करने से कारागार अधिकारी दोषी होता। रिहाई से पूर्व मेरठ न्यायालय से लिखित और मौखिक संपर्क किया गया था।

पीएन पांडे

वरिष्ठ जेल अधीक्षक

लखनऊ जेल

कोट

इस प्रकरण में डीआईजी जेल से रिपोर्ट मांगी गयी थी जो देर शाम मिल गयी है। इसमें हाईकोर्ट द्वारा उसे जमानत दिए जाने का जिक्र है जिसका परीक्षण किया जा रहा है। मेरठ कोर्ट से भेजे गये आदेश और लखनऊ जेल में इस बाबत हुई कार्यवाहियों की जानकारी भी जुटाई जा रही है। इस प्रकरण में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

चंद्रप्रकाश

एडीजी जेल