क्कन्ञ्जहृन्: योग से निरोगी बनाने के संकल्प ने धीरज वशिष्ठ को योगगुरु बना दिया। सपना समाज को सामाजिक सेवा से जगाने का था लेकिन लोगों पर बीमारियों के कहर ने उन्हें योग से जोड़कर योग गुरु तक पहुंचा दिया। भागलपुर के मूल निवासी इस युवा ने आम लोगों को योग से निरोगी बनाने के साथ जेलों में खूंखार बंदियों की मनोदशा में बदलाव लाने का बड़ा प्रयास किया है। पटना की बेउर जेल हो या फिर खतरनाक तिहाड़ जेल धीरज के अनुलोम विलोम के आगे कैदी भी कपाल भांति करने लगते हैं। योग दिवस पर एक बार फिर उन्होने बिहार की राजधानी पटना सहित देश की जनता को निरोगी बनाने का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि वह इस संकल्प के साथ साल के 365 दिन देश की जनता को योग कराते हैं।

बेउर जेल की बदल दी आबोहवा

धीरज वशिष्ठ ने पटना की बेउर जेल में योग से कैदियों की मनोदशा बदलने का काम किया है। वह कारागार में कई बार खूंखार अपराधियों को योग से बदलाव का मंत्र दिया है। जेल में बदलाव की बयार ऐसी बही कि अफसरों ने भी इसकी प्रसंशा की और यह सिलसिला हमेशा के लिए चल पड़ा। बदलाव ऐसा हुआ कि अब कैदी ही योग सीख कर योग करा रहे हैं। धीरज तिहाड़ जेल, बेउर जेल पटना, भागलपुर जेल, साबरमती जेल, राजकोट जैसे कई जेलों में योग से कैदियों की मनोदशा बदलने व निरोगी बनाने का प्रयास कर चुके हैं। वह निशुल्क योग शिविर लगाकर बिहार के साथ गुजरात सहित देश के कई प्रदेशों में कम्युनिटी योग के जरिए सेहत और जीवन के प्रति जागरुकता अभियान चला रहे हैं। अनाथालय, दिव्यांग बच्चों, बाल-सुधार गृह जैसे केंद्रों में योग कर लोगों को योग के प्रति जगा रहे हैं।