15 से 20 जून तक यूपी में कर देगा इंट्री करेगा मानसून

05 से 10 जुलाई के बीच लास्ट ईयर आया था मानसून

एक्टिव मानसून के लिए रहें तैयार, मौसमविदों ने जारी किए बेहतर बारिश का पूर्वानुमान

जितनी पड़ेगी गर्मी उतनी ही अच्छी होगी बारिश, बीत गया प्री मानसून

ALLAHABAD: गर्मी शुरू होते ही मानसून का इंतजार कर रहे किसानों के लिए अच्छी खबर है। अबकी मानसून बेहतर रहने के पूर्वानुमान जारी किए गए हैं। जानकारों की मानें तो मानसून 28 या 29 मई को केरला के तट पर और 15 से 20 जून के बीच यूपी में एंट्री करेगा। लास्ट ईयर यूपी में मानसून की दस्तक 05 से 10 जुलाई के आसपास हुई थी।

अभी और तपेगी ये गर्मी

अच्छे मानसून के पूर्वानुमान का कारण इस बार पड़ी अच्छी गर्मी को ही माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षो में अप्रैल से ही गर्मी की शुरुआत हो जाती थी। लेकिन अबकी बीच-बीच में आंधी और बूंदाबांदी के साथ आने वाली नमी ने गर्मी पर ब्रेक भी लगाया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आटोमेटिक वेदर सेंटर के हेड प्रो। सुनीत द्विवेदी कहते हैं कि अबकी जून वाली गर्मी मई में ही पड़ रही है। इस लिए अभी ह्यूमिडिटी और बढ़ेगी। इससे लोग पसीना-पसीना हो जाएंगे। लोकल वेदर की कंडीशन कुछ दिनों और तगड़ी गर्माहट की ओर इशारा कर रहे हैं। यह गर्मी अच्छे मानसून का संकेत देती है।

मानसून का सीजन होता है चार माह

इविवि में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के प्रो। बीएन मिश्रा ने बताया कि देश में मानसून का सीजन चार महीने का होता है। अमूमन मई के दूसरे सप्ताह में बंगाल की खाड़ी अंडमान निकोबार द्वीप समूह में मानसून दस्तक देता है, और एक जून को केरल में पहुंचता है। मानसूनी हवाएं बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ कर हिमालय से टकराकर वापस लौटते हुए उत्तर भारत के मैदानी इलाकों को भिगोती हैं।

यह है मानसून बनने की प्रक्रिया

ग्रीष्म ऋतु में जब हिन्द महासागर में सूर्य विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होता है तो मानसून बनता है। इस प्रक्रिया में समुद्र गरमाने लगता है और उसका तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है। उस दौरान धरती का तापमान 45 से 46 डिग्री तक होता है। ऐसी स्थिति में हिन्द महासागर के दक्षिणी हिस्से में सक्रिय हुई मानसूनी हवाएं आपस में क्रॉस करते हुए विषुवत रेखा पार कर एशिया की तरफ बढ़ने लगती हैं। इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। विषुवत रेखा पार करकेहवाएं और बादल बारिश करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का रुख करते हैं। इस दौरान देश के तमाम हिस्सों का तापमान समुद्र तल के तापमान से अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में हवाएं समुद्र से जमीन की ओर बहनी शुरू हो जाती हैं। ये हवाएं समुद्री जल के वाष्पन से उत्पन्न जल वाष्प को सोख लेती हैं और पृथ्वी पर आते ही ऊपर उठ कर वर्षा करती हैं।

बीते कुछ वर्ष मानसून के लिए अच्छे नहीं रहे। सामान्य से बहुत कम बारिश हुई। फिलहाल इस बार पड़ रही गर्मी और बाकी परिस्थितियां सामान्य मानसून का संकेत दे रही हैं। उम्मीद है मानसून किसानों के लिए राहत लेकर आएगा।

-प्रोफेसर बीएन मिश्रा, एक्स। एचओडी ज्योग्राफी डिपार्टमेंट इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

प्री-मानसूनी इफेक्ट बीत चुका है। अब एक्टिव मानसून का इंतजार है। अरेबियन सी में एक तूफान बन रहा है जोकि अच्छे मानसून में सहायक सिद्ध होगा। मानसून समय से इंट्री कर जाए। इसके लिए जरूरी है कि तेज हवाएं उन्हें अपनी ओर खींचे।

-प्रो। सुनीत द्विवेदी, ऑटोमेटिक वेदर सेंटर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी