ड्राइवर ने कुछ पाने की चाहत में डिब्बे पर बंधे तार नोच डाले मगर, अंदर अजीब सी घड़ी और तार देखकर उसके होश उड़ गए। जैसे ही उसने पुलिस चौकी के पास सडक़ पर डिब्बा रखा, हर तरफ केऑस फैल गया। कुछ देर ही में बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वायड स्पॉट पर पहुंच गया। पूरी सिचुएशन को हैंडल करने में और बॉम्ब को स्पॉट से दूर ले जाने में पूरे दो घंटे लगे.दोपहर 2.30 बजे किदवईनगर साइट नंबर वन वाले चौराहे पर ठीकठाक चहल-पहल थी। ठीक 2.40 बजे नसीम ने सवारियों से भरा अपना ऑटो लाकर स्टैड पर रोका। एक-डेढ़ मिनट के अंदर सवारियों से पैसे-वैसे लेकर  उसने ऑटो में देखा तो दोनों सीटों के बीच वाले प्लैटफॉर्म पर तार लिपटा जूते का डिब्बा रखा मिला।

लालच बन गया वरदान?

नसीम ने झट से डिब्बा उठाया और उसके अंदर रखी चीज पाने के चक्कर में जल्दी-जल्दी तार नोच डाले। अंदर घड़ी और तार-वार देखकर उसके पैरों तले से जमीन खिंच गई। ऑटो स्टैंड पर खड़े दूसरे लोगों ने डिब्बा देखा तो बॉम्ब है बॉम्ब है का शोर मच गया। बौखलाकर नसीम ने पास ही बनी पुलिस चौकी के पास सडक़ पर ही वो डिब्बा रख दिया। स्टैंड पर भगदड़ मच गई। नसीम भी ऑटो छोडक़र भागने लगा। चौकी में उस टाइम दो सिपाही (रणवीर और चिंतामणी) थे। उन्होंने डिब्बे को देखा तो वे भी सकपका गए और फौरन वहां दूर हो गए। अब तक पूरे एरिया में बॉम्ब है बॉम्ब है का शोर गूंजने लगा था। सिपाहियों ने दौडक़र नसीम को पकड़ लिया।
Bomb

अगले ही पल पुलिस चौकी से बाबूपुरवा थाने को फोन करके पुलिस बुला ली गई। तब तक 2.45 हो चुका था। इंस्पेक्टर ने सीनियर ऑफिसर्स को फोन किया जो उस टाइम लॉ एंड ऑर्डर की मीटिंग में बैठे थे। इस इन्फॉरमेशन के आधे घंटे के बाद डॉग स्क्वायड स्पॉट पर पहुंचा। इसके भी 15 मिनट के बाद बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वायड पहुंचा। दोनों स्क्वायड्स के आने के दौरान ही आईजी और डीआईजी भी पहुंच गए।

कन्फर्म  हुआ कि बॉम्ब है

इतनी देर में दूर तक दायरा बना चुकी भीड़ मानो जम चुकी थी। स्क्वायड्स के आने पर यह सर्किल धीरे-धीरे सिकुडऩे लगा और बॉम्ब की तरफ मूव करने लगा। बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वायड का लीड मेंबर बिना सुरक्षा कवच पहने ही स्पॉट पर पहुंचा था। पहले उसने ऐसे ही जाकर डिब्बे को देखा। डिब्बे के अंदर झांकते ही वह भी सकपका गया। उसने दूर भागो-दूर भागो का शोर मचाया तो पब्लिक फिर से भागने लगी।

एक-एक कर काटे कई तार

इसके बाद बॉम्ब डिजपोजल एक्सपर्ट ने सुरक्षा कवच पहना और डिब्बे में एक लीड अटैक करके जल्दी से लौट आया। कुछ इक्विपमेंट्स लेकर वह फिर डिब्बे के पास वापस गया। इस बार उसके साथ तीन और लोग भी थे मगर, उनमें से किसी ने सुरक्षा कवच नहीं पहना था। लीड मेंबर ने कटर से एक-एक करके कई तार काटे।

थोड़ी दूर पर हुआ धमाका

इधर टीम तार काट ही रही थी कि सौ मीटर दूर एक जोरदार धमाका हुआ। सब घबरा गए कि शायद दूसरा बॉम्ब फट गया है। भगदड़ मच गई। अफसर सकते में आ गए। पता चला कि वहां  ट्रक का टायर फटा था। झूम उठे लोग
तार काटने के बाद लीड मेंबर ने इशारे से अपने बाकी टीम मेंबर्स को पास बुला लिया। अब लोगों की जान में जान आई। सबके सब एक साथ मानो झूम उठे। माहौल अचानक बदल गया और पब्लिक तालियां बजाने लगी।

डिटोनेटर था


बॉम्ब डिस्पोज करने वाले शिववीर सिंह ने वहीं स्पॉट पर मीडिया को बताया कि वो डिटोनेटर बॉम्ब था। इसके अलावा उन्होंने कोई और डीटेल नहीं दी। इस पूरी एक्टिविटी में दो घंटे बीत गए। जब श्योर हो गया कि अब बॉम्ब फटेगा नहीं तो डिब्बे के अंदर ध्यान से देखा गया। उसमें पॉलिथीन में लिपटा स्टील का एक टिफिन मिला, जिसमें किसी पाउडरी  सब्सटैंस के ऊपर एक घड़ी जैसा डिवाइस रखा था। इस डिवाइस पर 2.50 बजे का टाइम सेट था। इसके अलावा कुछ तार, दो बड़े बैटरी सेल्स भी थे।

Blast
ऑफिसर्स ने एनाउंसमेंट करके पब्लिक को बताया कि खतरा टल चुका है। अब बॉम्ब नहीं फटेगा। इसके बावजूद काफी देर तक वहां अफरातफरी का माहौल रहा। कुछ देर में ऑफिसर्स और सारी टीम्स उस डिब्बे को वहां से ले गए। साथ में ऑटो ड्राइवर नसीम को भी हिरासत में ले लिया गया। उसे ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी गई। एटीएस भी इन्वॉल्व्ड इस केस में एंटी टेररिस्ट स्क्वायड और मिलिट्री इंटेलीजेंस को भी इन्वॉल्व कर लिया गया है। इसके अलावा बाकी सभी एजेंसीज को भी अलर्ट कर दिया गया है।