-जीएसटीआर-1 भरने का समय दस दिन हो गया कम

-सोमवार को अचानक जारी किया गया नोटिफिकेशन

ALLAHABAD: केंद्र सरकार ने कहा था कि जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों का बोझ कम होगा। लेकिन यहां तो सरकार ने व्यापारी को बाबू बना दिया है। एक रिटर्न से राहत नहीं मिलती कि दूसरा रिटर्न भरने की बारी आ जाती है। हर महीने का जीएसटीआर-1 रिटर्न भरने और सेल-परचेज का डाटा सबमिट करने के लिए व्यापारियों को अभी तक 40 दिन का समय मिलता था। लेकिन अब 30 दिन के अंदर व्यापारियों को रिटर्न भरना होगा। जीएसटी काउंसिल द्वारा दस दिन का समय घटाने से व्यापारी परेशान हैं।

बढ़ गई मुश्किल

एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद अभी तक हर महीने का जीएसटीआर-1 यानी सेल परचेज का डाटा पोर्टल पर अपडेट करने के लिए व्यापारियों को अगले महीने और उसके बाद दस दिन का अतिरिक्त समय मिलता था। यानी 40 दिन के अंदर व्यापारी को जीएसटीआर-1 भरना होता था। लेकिन सोमवार देर शाम जीएसटी काउंसिल के नए नोटिफिकेशन में कहा गया कि अब जीएसटीआर-1 को एक महीने के अंदर भरना अनिवार्य होगा। यानी अप्रैल महीने का जीएसटीआर-1 व्यापारियों को 31 मई तक हर हाल में भरना होगा। जिन व्यापारियों ने अभी तक 10 जून तक आराम से जीएसटीआर-1 भरने का प्लान बनाया था, उन्हें अब आराम छोड़ना होगा। 31 मई तक जीएसटीआर-1 नहीं भरा तो फिर पेनाल्टी भरना पड़ सकता है।

बॉक्स

संशोधन के बाद भी नहीं दिख रहा संशोधन

जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों को ये सुविधा दी गई थी कि जीएसटीआर-1 में सेल परचेज छूटने पर अगले महीने के जीएसटीआर-1 और एनुअल रिटर्न में उसे रेक्टीफाई किया जा सकता है। इसके आधार पर व्यापारियों ने भूल-सुधार किया। भूल-सुधार में परचेज तो चढ़ गया, लेकिन आईटीसी लेजर में नहीं दिख रहा है। अकाउंट कुछ और रिटर्न कुछ और ही कह रहा है।

कॉलिंग

जीएसटी काउंसिल व्यापारियों को व्यापार नहीं करने दे रहा है। आए दिन नियम-कानून बदल कर व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है। जीएसटी के नियमों में स्थायित्व लाना होगा।

-संतोष पनामा

संयोजक उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति

व्यापारी को पूरी तरह से बाबू बना दिया गया है। उसका सारा समय बस लिखा-पढ़ी में ही बीत रहा है। व्यापारी जब व्यापार नहीं करेगा तो फिर सरकार को टैक्स कहां से देगा।

-सतीश चंद्र केसरवानी

अध्यक्ष

गल्ला एवं तिलहन संघ

अभी तक जीएसटीआर-3 बी में उलझे हुए थे। सोचा था कि आराम से जीएसटीआर-1 भर लेंगे। लेकिन अब सारा काम छोड़ कर जीएसटीआर-1 में लगना होगा।

-राजकुमार माहेश्वरी

कागज व्यापारी