1960 से लेकर 2012 तक हुए साइकोलॉजिकल टेस्ट में बहुत कुछ आया सामने

कानपुर। अमेरिका में हाल ही में प्रकाशित हुई एक साइकोलॉजिस्ट रिसर्च रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि आजकल के बच्चों में 1960 के दशक में पैदा हुए बच्चों की तुलना में ज्यादा विल पावर होती है। इस कारण किसी भी काम में उनके जीतने की संभावना भी ज्यादा होती है। डेलीमेल ने इस रिसर्च रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि पिछले कई दशक के दौरान बच्चों के आई क्यू लेवल में लगातार बढ़ोतरी हुई है। उनके आस-पास मौजूद टेक्नोलॉजीस में जबरदस्त सुधार के कारण दुनिया को देखने का बच्चों का नजरिया काफी बदला है। साथ ही किसी भी नई स्किल को सीखने और विकसित करने उनकी क्षमता भी पहले से फास्ट हो गई है।


मार्शमैलो टेस्ट के आधार पर सामने आई बात

न्यूजवीक की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की मिनोस्टा यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने 60 साल पहले पहली बार किए गए ओरिजिनल मार्शमैलो टेस्ट के आधार पर यह निष्कर्ष निकाले हैं। यह टेस्ट हर दशक के बाद किए गए जैसे 1980, सन 2000 फिर 2010। इस टेस्ट में एक कमरे में बच्चों के सामने उनकी मीठी चीजें (मार्शमैलो) रखी गईं और सभी लोग कमरे से बाहर चले गए। उनसे कहा गया कि अगर उन्होंने 15 मिनट तक मिठाई के पहले टुकड़े को खाने से खुद को रोक लिया, तो उन्हें मीठे के एक के बदले दो टुकड़े खाने को मिलेंगे। बच्चे मिठाई के उस पहले टुकड़े को खाने से खुद को कितनी देर तक रोक पाते हैं। यही फैक्ट बताता है कि उनमें कि कितनी विल पावर और सेल्फ कंट्रोल है। बता दें कि मार्शमैलो टेस्ट का परिकल्पना पहली बार स्टैनफोर्ड के मनोवैज्ञानिक Walter Mischel ने पहली बार 1960 में ही की थी। तब से आजतक यह टेस्ट बच्चों पर किया जा रहा है।

1960 में पैदा हुए बच्‍चों की तुलना में आज के बच्चों के पास है ज्यादा 'विल पावर'! रिसर्च में हुआ खुलासा


1960
से लेकर 2012 में हुए टेस्ट के मिलान पार पता चला बढ़ी हुई Willpower का

रिसर्च में खुलासा हुआ कि 1960 के दशक में पैदा हुए बच्चों के मुकाबले साल 2012 में उसी उम्र के बच्चे 2 मिनट ज्यादा देर तक खुद को रोक सकते हैं, जबकि 1980 के मुकाबले यह आंकड़ा करीब 1 मिनट ज्यादा है। यानी कि आजकल के बच्चों में खुद को रोक पाने की क्षमता पहले से अधिक है यह उनकी विल पावर का ही नमूना है। हालांकि इसी टेस्ट रिजल्ट्स को लेकर जब मनोवैज्ञानिकों ने वयस्कों के बीच एक ऑनलाइन सर्वे किया और करीब 358 लोगों से पूछा कि इस टेस्ट में बच्चे 1960 के दशक के बच्चों की तुलना में आज के बच्चे कितनी ज्यादा देर तक रुक पाएंगे। तो सर्वे में 72 परसेंट लोगों का कहना था कि आजकल के बच्चे इंतजार नहीं करेंगे जबकि 75 परसेंट लोगों ने माना कि आजकल के बच्चों में सेल्फ कंट्रोल यानी कि आत्म नियंत्रण बहुत कम है।

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