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PATNA : अगर आप से ये कहें कि भारतीय रेल इंजन को पिछले 165 साल से शौचालय का इंतजार है तो सुनकर आश्चर्य होगा मगर ये हकीकत है। देश में रेल की शुरुआत होने के बाद आजतक इंजनों में टॉयलेट की व्यवस्था नहीं की गई है। इस वजह से रेल ड्राइवरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों और मालगाड़ी के ड्राइवर को घंटों पेशाब रोक कर रखना पड़ता है। इस कारण रेल ड्राइवरों की किडनी में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वर्ष 2016 में शौचालय युक्त रेल इंजन का उद्घाटन किया था। लेकिन दो साल गुजरने के बाद भी किसी अन्य इंजन में शौचालय की व्यवस्था नहीं की गई। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की स्पेशल स्टोरी में पढि़ए ट्रेन के इंजन में टायलेट की व्यवस्था नहीं होने से किस तरह ड्राइवर होते हैं परेशान।

किडनी हो सकती है खराब

इंजन के केबिन में टायलेट की व्यवस्था नहीं होने के चलते ड्राइवरों को कई घंटो तक पेशाब रोकना पड़ता है। एक्सपर्ट की माने तो पेशाब रोकने वाले लोगों को डायबटीज और बीपी बढ़ने की संभावना रहती है। इतना ही नहीं गैस और कब्ज की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही पेशाब में वैक्टीरिया होने की वजह से इंफेक्शन की संभावना रहती है जिससे पेशाब मार्ग में स्टोन बनकर खून आने लगता है। लगातार पेशाब को रोका गया तो किडनी खराब भी खराब हो सकती है।

देश में लगभग 60 हजार हैं रेल ड्राइवर

देशभर के तकरीबन 60 हजार ट्रेन ड्राइवरों की समस्या को ध्यान मे रखते हुए 7 मई 2016 को टायलेट युक्त इंजन का उद्घाटन किया गया था। मगर दो साल गुजरने के बाद भी अन्य इंजनों में इस व्यवस्था को लागू नहीं किया गया। नाम न छापने की शर्त पर एक ड्राइवर ने बताया कि इंजन में टायलेट की व्यवस्था नहीं होने की वजह से लंबी दूरी की कम स्टॉपेज वाली ट्रेनों में बॉटल में ही पेशाब करना पड़ता है।