-माल बरामदगी और डीवीआर की तलाश में जुटी एसटीएफ

BAREILLY: टॉप कैरेट ज्वैलरी कांड में एसटीएफ की टीमें एक लुटेरे के हत्थे चढ़ने के बाद सभी लुटेरों की धरपकड़ में लग गई हैं। वेडनसडे को लखनऊ एसटीएफ की टीम बरेली पहुंची और दिन में ज्वैलरी शॉप के आसपास विजिट की। उसके बाद रात में टीमें दबिश के लिए दूसरे शहरों में निकल गई हैं। एसटीएफ माल और डीवीआर की बरामदगी में लगी हुई हैं। वहीं लोकल पुलिस एसटीएफ के खुलासा करने से हताश हो गई है और अब लगभग इसपर केस पर काम करना ही बंद कर दिया है। एसटीएफ एक या दो दिन में पूरे मामले का खुलासा कर सकती है।

एक सीसीटीवी फुटेज से मिलान

बता दें कि एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल के एक लुटेरे को पकड़ा है। जिसके बाद उसके साथी को भी शाहजहांपुर से उठाने की बात सामने आयी है। यह शख्स बरेली में रहता था। इसी की मुखबिरी पर लुटेरे बरेली आए थे और लूट को अंजाम देकर चले गए थे। सोर्स से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने जो बाइक पर तीन लोगों की जाते हुए फुटेज जारी की थी। पुलिस ने बीसलपुर रोड से लुटेरों के भागने की थ्योरी पेश की थी जो एसटीएफ की पूछताछ में मिलती जुलती सामने आयी है। माना जा रहा है कि लुटेरे पश्चिम बंगाल से ट्रेन के रास्ते आए होंगे लेकिन उसके बाद उन्होंने बाइक को लूटा और वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए।

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बाहरी बदमाश बरेली में कर रहे वारदातें

डिस्ट्रिक्ट की अधिकांश बड़ी वारदातों में रहे हैं शामिल

बरेली में लूट की बड़ी वारदातों में बाहरी बदमाशों का ज्यादा हाथ पाया जा रहा है। इसके पुलिस के जानकार कई रीजन बता रहे हैं। एक तो यहां लुटेरों को लूट में अधिक माल मिल जाता है और दूसरा बदमाशों को यहां से भागने में भी आसानी रहती है। दूर का होने के चलते बदमाशों को पकड़ने में भी पुलिस के पसीने छूट जाते हैं। टॉप कैरेट लूटकांड में भी पश्चिम बंगाल के गैंग का हाथ सामने आया है। इससे पहले कोरल मोटर्स, मीरगंज में ज्वैलर के घर डकैती, नवाबगंज में डकैती, प्रेमनगर में डकैती में ही बाहरी बदमाश शामिल रहे थे। इसके अलावा बरेली में उड़ीसा, मुरादाबाद और दिल्ली के गैंग भी वारदात कर चुके हैं।

लोकल करते हैं मुखबिरी

डिस्ट्रिक्ट की बड़ी वारदातों में भले ही बाहर के गैंग शामिल रहे हों लेकिन सभी मामलों में लोकल ने ही मुखबिरी की थी। लोकल में रहने वाला लुटेरा या तो बदमाशों के संपर्क में जेल से आया था या फिर वह पहले कभी दूसरी जगह रहता था, वहां उसकी लुटेरों से मुलाकात हुई थी। बरेली के कई लुटेरे दूसरे जिलों व राज्यों में जाकर वारदात करते हैं।

यह हैं लूट की वजहें

-महानगर और बड़ा शहर होने के चलते कई बड़े व्यापारी और ज्वैलर हैं

-बड़े व्यापारी और ज्वैलर होने से लुटेरों को अधिक माल मिलता है

-शहर के आउटर में बदमाशों को बाइक से भागने में काफी आसानी होती है

-शहर में दूसरे शहरों से आने के लिए ट्रेन और बस की अच्छी सुविधा है

-बरेली के कई बदमाश बाहर जाकर रहते हैं तो वह बदमाशों के संपर्क में आ जाते हैं

-लोकल बदमाश बाहरी बदमाशों को बुलाकर वारदात को अंजाम देते हैं

-दूसरे डिस्ट्रिक्ट व राज्य के होने के चलते पुलिस के हत्थे जल्दी नहीं चढ़ते हैं

बाहरी बदमाशों ने की वारदातें

-21 मई 2018 को मिनी बाईपास पर बीज व्यापारी महिला से बाइक सवार बदमाशों ने मिनी बाइपास पर साढ़े 4 लाख रुपए लूट लिए थे। पुलिस लोकल बदमाशों की तलाश में थी लेकिन जब खुलासा हुआ था तो कानपुर नगर का बदमाश पकड़ा गया था।

-1 जून 2015 को प्रेमनगर में सरिया व्यापारी धर्मपाल गुप्ता की कार रोककर लुटेरों ने 21 लाख रुपए नकद लूट लिए थे। इस लूट में मेरठ के लुटेरे पकड़े गए थे, जिसे लोकल में रहने वाले राशिद ने मुखबिरी कर प्लान किया था।

-17 नवंबर 2015 को मीरगंज में ज्वैलर के घर 2 करोड़ की ज्वैलरी की डकैती की गई थी। इसमें भी मेरठ का गैंग शामिल था। इसकी रैकी पहले ही राशिद के जरिए की जा चुकी थी। जेल में बंद राशिद से पूछताछ के बाद खुलासा हुआ था।

-वर्ष 2013 में रामपुर गार्डन में कोरल मोटर्स के घर दो करोड़ की लूट हुई थी। जिसमें मेरठ के गैंग का हाथ आया था लेकिन मेन लुटेरा देवेंद्र जाट हरियाणा में पकड़ा गया था। वह हरियाणा में भी जाकर वारदात करता था। इस मामले में भी लोकल मुखबिरी हुई थी

-नवाबगंज में करीब दो वर्ष पूर्व ज्वैलर्स से बाइक सवार बदमाशों ने 1 करोड़ रुपए की ज्वैलरी लूट ली थी। बदमाश बाइक छोड़कर भाग गए थे। सीसीटीवी फुटेज में बदमाशों के चेहरे भी आए थे। इस वारदात को अलीगढ़, हरियाणा के बदमाशों ने अंजाम दिया था।