kanpur@inext.co.in

KANPUR : स्कैन डिवाइस की मदद से रेलवे ट्रैक के टूटने या फिर चटकने की जानकारी फौरन अधिकारियों को मिल जाएगी, जिससे हादसों को रोका जा सकेगा। अधिकारियों के मुताबिक बीते दो-तीन सालों से आरडीएसओ इस डिवाइस को बनाने में लगा हुआ था। जिसका ट्रायल भी हो चुका है। एनसीआर जोन के अधिकारियों के मुताबिक अगले तीन माह में यह डिवाइस रेलवे ट्रैक पर लगना शुरू हो जाएंगी। दिल्ली-हावड़ा रूट से शुरुआत आरडीएसओ अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली-हावड़ा रूट में ट्रेनों का ओवरलोड होने से ट्रैक चटकने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। जिसके चलते इस रूट पर सबसे पहले इस डिवाइस को लगाया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक रेलवे ट्रैक पर लगी यह डिवाइस ट्रैक टूटने व चटकने की जानकारी नजदीकी केबिन मैन को देगी।

'स्कैन डिवाइस' रोकेगी ट्रेन हादसे

डबल रेल टेस्टर स्कैन तकनीक एनसीआर सीपीआरओ गौरव कृष्ण बंसल ने बताया कि वर्तमान में रेलवे ट्रैक की जांच मैन्यूअली सिंगल व डबल रेल टेस्टर स्कैन विधि से किया जा रहा है। जल्द ही यह डिवाइस ट्रैक पर लगनी शुरू हो जाएगी। जिससे मैन्यूअली काम करने वाले ऑपरेटर की जरूरत नहीं पड़ेगी। अभी तक ऑपरेटर की जरा सी लापरवाही से सही डाटा मिलने में दिक्कत होती थी। वहीं अब पटरी की खामियों को पकडऩे के लिए अल्ट्रासोनिक स्कैन विधि विकसित कर ली गई है। जिसके जरिए आटोमेटिक जांच जा सकेगी। यह डिवाइस अपने आप समय व स्थान का डाटा रिकॉर्ड करती रहेगी। जिसे बाद में भी देखा जा सकेगा।

ट्रैक चटकने से ज्यादा हादसे

रेलवे सोर्सेज के मुताबिक ट्रेन हादसों की सबसे बड़ी वजह ट्रैक का चटकना और टूटना ही है। बीते वर्षों में हुए हादसों की जांच के दौरान यह बात सामने आ चुकी है। इसलिए रेलवे

अधिकारियों को रेलवे ट्रैकों पर नजर रखने के लिए आधुनिक तकनीकी की जरूरत पड़ी। रेलवे की जरूरत को देखते हुए आरडीएसओ ने इस स्कैन डिवाइस को तैयार किया है।

सुरक्षा को देखते हुए आरडीएसओ ने यह स्कैन डिवाइस तैयार की है। जिसको रेलवे ट्रैकों पर लगाने का काम तीन माह में शुरू कर दिया जाएगा। इस डिवाइस से ट्रेन हादसों को पर अंकुश लगेगा। गौरव कृष्ण बंसल, सीपीआरओ, एनसीआर

जानें क्या कहते हैं लोग

रेलवे का ये अच्छा कदम है। अगर सभी जगहों पर डिवाइस लगा दी जाएगी तो जाहिर तौर पर हादसों को रोका जा सकेगा।

राहुल सिंह

इससे पहले भी रेलवे ने हादसों को रोकने के लिए तमाम योजनाए बनाई, लेकिन हकीकत में कोई भी योजना कारगर साबित नहीं हो पाई।

संतोष बाजपेई

पिछले कुछ वर्षों में ट्रैक के खराब होने की वजह से कई हादसे हुए हैं, जिनमें कई लोगों की जान चली गई। अगर ये डिवाइस ट्रैक पर लगाई गई तो हादसों और उनमें जाने वाली जान को बचाया जा सकेगा। रितेश गुप्ता

फैक्ट फाइल

* 05 से अधिक ट्रेन

हादसे हुए दो

सालों में

* 160 यात्रियों की मौत

हो गई थी ट्रेन

दुर्घटना में

* 30 से ज्यादा ट्रैक

चटकने की घटनाएं

जनवरी से अब तक

* 400 से अधिक ट्रेनों का

आवागमन दिल्ली-

हावड़ा रूट में

* 03 लाख यात्रियों

का आवागमन

कानपुर सेंट्रल स

National News inextlive from India News Desk