- दहशत में आए गांव वाले, स्कूल की करा दी गई छुट्टी

-महावत पर भी कर चुका है हमला, इलाज को पहुंचे विशेषज्ञ

बरेली : नेपाली हाथियों को कंट्रोल करने के लिए गांव परचई में दुधवा नेशनल पार्क से लगाया गया प्रशिक्षित हाथी भी हमलावर होने लगा। मंडे को हाथी ने पैरों की जंजीर तोड़ डाली। उसका गुस्सा देखकर गांव के सरकारी स्कूल में छुट्टी करा दी गई।

महावत को भी पटक चुका

आठ जुलाई को दुधवा नेशनल पार्क से एक नर हाथी गजराज व तीन मादा हाथी बुलाई गई थीं। इनमें गजराज बीमार हो गया। सैटरडे को उसने महावत व चारा कटर को सूंड़ से उठाकर पटक दिया था। मंडे को उसने पैरों की जंजीर तोड़ दी। उसका गुस्सा ठंडा हुआ तब दोबारा बांधी गई।

नहीं जा सकीं मादा हाथी

नेपाली हाथी अब रामपुर जिले में हैं। जबकि दुधवा से आए चारों हाथियों को सीमा से सटे बरेली जिले के परचई गांव में रखा गया है। उनमें से तीन मादा हाथियों को रामपुर ले जाने के लिए मंडे को टीम पहुंची मगर वे वाहन में नहीं चढ़ सके। इस बीच पहुंचे ग्रामीणों ने कहा कि यदि तीनों मादा हाथी को ले जाएंगे तो अकेला बचा गजराज और उत्पात करेगा। विरोध के बीच मादा हाथियों को भी नहीं ले जाया जा सका। बाद में जिम कार्बेट से पहुंचे डॉ। दुष्यंत कुमार व दुधवा के डॉ। दया शंकर ने विमर्श के बाद शाम छह बजे गजराज को ट्रेंकुलाइज गन से बेहोशी की दो डोज दी। ट्रेंकुलाइज करने के लिए पहला इंजेक्शन पांच बजकर 15 मिनट दूसरा छह बजकर तीन मिनट पर। इसके बाद हाथी देर रात बेहेाश हुआ। जिसके बाद वन विभाग अफसरों ने उसे ट्रक में लादा और दुधवा को लेकर रवाना हो गए।

हाथी को खिलाए केले

वन विभाग की टीम के सामने जब हाथी का गुस्सा ठंडा नहीं हो रहा था, तब उन्होंने हाथी को ठंडा करने के लिए ग्रामीणों के केले काटकर भी खिलाए, इसके बाद हाथी कुछ शांत हुआ। तो उसके पैरों में दोबारा जंजीर बांधी गई।

क्या है मामला

27 जून को जिले में दाखिल होने वाले दो नेपाली हाथियों को बेहोश करने में मदद के लिए नौ जुलाई को दुधवा से चार हाथी बुलाए गए थे। मगर बारिश हो गई। इस बीच शुक्रवार को हाथी मीरगंज क्षेत्र से सटे रामपुर जिले में पहुंच गए।

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-हाथी को ट्रेंकुलाइज करने के बाद उसे कब्जे में ले लिया। इसे रबर फैक्ट्री के लिए भेज दिया, क्योकि डेढ़ घंटे बाद ही हाथी को होश आ सकता है। जबकि दुधवा पहुंचने के लिए अधिक समय लगेगा।

पीपी सिंह, मुख्य वन संरक्षक