ट्री ब्रेक का लोगो

- दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की मुहिम के तहत पांच जगह किया गया प्लांटेशन

- पौधा लगाने वालों ने ली इनकी रक्षा की शपथ

LUCKNOW : 'अलखनंदा' को गोमती किनारे आशियाना मिला तो 'सजर ए रमजान' ईदगाह में आने वालों को छांव देगा। एनिमेशन व‌र्ल्ड से जुड़े लोग भी पेड़ों के महत्व को बखूबी समझते हैं इसीलिए जब उन्होंने पिकासो ट्री लगाया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। 'सद्भावना' और 'उम्मीद' की छांव को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों ने शपथ भी ली। दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट की मुहिम ट्री ब्रेक के तहत राजधानी में सैटरडे को पांच जगह पौधे लगाए गए। प्लांटेशन करने वालों ने लोगों से पर्यावरण बचाने की अपील की और पौधों को बचाने की शपथ भी ली।

'पर्यावरण बचाना सभी की जिम्मेदारी'

मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरी ने शनिवार को गोमती तट पर बने गोमती नदी आरती स्थल पर अशोक का पौधा लगाया। उन्होंने इसका नाम अलखनंदा नदी के नाम पर 'अलखनंदा' रखा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अलखनंदा नदी से लेागों को शुद्ध और निर्मल पानी मिलता है, उसी तरह से यह पेड़ भी यहां पर वातावरण को साफ कर लोगों को साफ हवा देगा। आस्था का प्रतीक अलखनंदा का यह पेड़ लोगों को प्लांटेशन के लिए भी प्रेरित करेगा। पर्यावरण बचाना किसी एक की नहीं हम सभी की जिम्मेदारी है।

'साइकस को ईदगाह में मिली पनाह'

रमजान के पाक महीने में साइकस पेड़ को ऐशबाग स्थित ईदगाह में पनाह मिली। खुद मौलाना खालिद रशीद ने इस पौधे को लगाकर जहां पर्यावरण बचाओ का संदेश दिया वहीं अधिक से अधिक प्लांटेशन की अपील की। उन्होंने इस पेड़ का नाम 'सजर ए रमजान' रखा। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाना सभी लोगों की जिम्मेदारी है। यह महज किसी एक धर्म का हिस्सा नहीं है। पेड़ ही वातावरण को प्रदूषित होने से बचाते हैं। ऐसे में सभी को प्लांटेशन के लिए आगे आना चाहिए।

'स्टूडेंट्स को आना होगा आगे'

बालाजी इंस्टीट्यूट फीनिक्स शाखा के डायरेक्टर अजय दुबे ने अपने इंस्टीट्यूट के सामने साइकस का पेड़ लगाया और इसका नाम 'सद्भावना' रखा। उन्होंने कहा कि सही मायनों में पेड़ ही सद्भावना केच्सच्चे प्रतीक हैं। वे निश्छल भाव के साथ वायु प्रदूषण को दूर करते हैं जिससे लोगों को साफ और च्वच्छ हवा मिल सके। इसी तरह से लोगों को भी सद्भावना का परिचय देते हुए अधिक से अधिक प्लांटेशन करना चाहिए। खुद प्लांटेशन करने के साथ ही और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिये। छात्रों को तो हर महीने आठ से दस पेड़ लगाने चाहिए।

'पौधे के बिना जीवन की कल्पना नहीं'

विशाल सक्सेना क्लासेज के डायरेक्टर डॉ। विशाल सक्सेना ने सहारा इस्टेट जानकीपुरम में प्लांटेशन किया। उन्होंने पौधे का नाम 'उम्मीद की छांव' रखा। उन्होंने कहा कि लगातार पेड़ों की कटान के चलते पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। सिर्फ प्लांटेशन के माध्यम से ही हम इससे बच सकते हैं। जितना अधिक प्लांटेशन होगा, उतना ही मानव जाति का फायदा होगा। फिर पेड़ के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।

'विकास की दौड़ में न करे पेड़ो को अनदेखा'

निराला नगर स्थित पिकासो इंस्टीट्यूट के सीएमडी अरुण श्रीवास्तव ने एक पौधा लगाया और इसका नाम अपने इंस्टीट्यूट के नाम पर 'पिकासो ट्री' रखा। उन्होंने कहा कि भले ही हम लाख विकास की ओर बढ़ते रहे, लेकिन पेड़ों की अनदेखी नहीं की जा सकती। पर्यावरण में पेड़ों का मूल्य अनमोल है। पेड़ की बदौलत ही हमें साफ हवा नसीब होती है। हमारे जीवन में पेड़ों का योगदान अमूल्य है। ऐसे में आधुनिकता की दौड़ में पेड़ लगाना भी जरूरी है।