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PATNA (18 March): अगमकुआं थाना क्षेत्र में बड़ी पहाड़ी के समीप सोमवार दोपहर करीब डेढ़ बजे बड़े भाई के साथ घर जाने के लिए रोड क्रॉस कर रही पांच साल की बच्ची को अनियंत्रित ट्रक ने रौंद दिया. बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई. बच्ची का नाम डॉली है. इस दुर्घटना में बच्ची का भाई जख्मी हो गया. उसे इलाज के लिए एनएमसीएच भेजा गया. बच्ची की मौत से आक्रोशित लोगों ने ट्रक के चालक और खलासी को बंधक बना लिया और दोनों की जमकर पिटाई की. टायर जला कर पटना-बख्तियारपुर एनएच को जाम कर दिया. इस दौरान वाहनों के शीशे फोड़े और राहगीरों को भी पीटा. जाम की वजह से वाहनों की लाइन लग गई. दो घंटे तक एनएच जाम रहा. लोगों ने छोटी और बड़ी पहाड़ी के मोहल्लों को जोड़ने वाले एनएच के नीचे पुलिया बनाने की मांग की.

दो घंटे तक हाइवे पर लगा रहा जाम

विरोध प्रदर्शन के दौरान एनएच के दोनों ओर वाहनों की लंबी लाइन लग गई. जाम का असर गांधी सेतु पर भी पड़ा. घटना की सूचना पाकर पहुंचे सहायक पुलिस अधीक्षक और आधा दर्जन थाने की पुलिस ने लोगों को समझाकर सड़क जाम हटाया.

मीठापुर से लेकर जीरो माइल तक की सड़क बनी डेंजर जोन

राजधानी के हाइवे पर चलने का मतलब ये है अपनी मौत को दावत देना. आए दिन हादसे होते रहते हैं. नया मामला अकमकुआं थाना क्षेत्र की है जहां पर रोड पार कर रही एक पांच साल की मासूम बच्ची डॉली को अनियंत्रित ट्रक ने रौंद दिया. यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी कई बार इस तरह के हादसे हो चुके हैं लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. लोगों ने कहा कि यहां पर तेज रफ्तार में वाहन चलते हैं. इनके खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है. जिस मोड़ पर ये हादसा हुआ वो ट्रैफिक पुलिस के रिकॉर्ड में ब्लैक स्पॉट है.

कितनी मौत के बाद पुल का होगा निर्माण?

करीब दो घंटों तक मसौढ़ी मोड़ से जीरो माइल तक अफरा-तफरी मची रही. दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लगने से राहगीर परेशान हुए. चौतरफा जाम से वाहनों के पहिए थम गए. सूचना पाकर पहुंची अगमकुआं, बाइपास, यातायात थाना के पुलिस को भी नागरिकों ने खरी-खोटी सुनाई. आक्रोशित नागरिक पुलिस से सवाल कर रहे थे कि आखिर कितनी मौत के बाद पुलिया का निर्माण होगा? वे अविलंब पुलिया बनाने की मांग पर अड़े रहे.

यहां जान की कीमत नहीं

राजधानी में 7 चौराहे ऐसे हैं, जहां आए दिन खून से सड़क लाल हो जाती है. ट्रैफिक पुलिस ने भी खूनी चौराहा मान लिया है. एक साल में इन चौराहों पर 68 हादसे हो चुके हैं. जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई.