परमाणु समझौता पर विराम

वाशिंगटन (प्रेट्र)। ट्रंप ने एक बयान जारी करते हुए कहा, 'यह मैं जानता हूं कि हम ईरान परमाणु बम को रोक नहीं सकते हैं। ईरान के साथ इस सौदा में थोड़ी कमी है। इसलिए, मैं आज घोषणा कर रहा हूं कि संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान परमाणु समझौते को आगे से समाप्त कर देगा।' इस कदम पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, 'संयुक्त प्रशासन की योजना (जेसीपीओए) से दूर चलना एक बड़ी गलती है।' उन्होंने कहा कि 'उनके प्रशासन द्वारा किए गए समझौते ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को वापस लाने में काम किया था।'

बड़े खतरों से निपटने के लिए तैयार रहे अमरीका

बराक ओबामा ने बुधवार को एक बयान जारी करते हुए कहा, 'मुझे लगता है कि किसी भी ईरानी उल्लंघन के बिना जेसीपीओए को खतरे में डालने का फैसला एक गंभीर गलती है।'  उन्होंने कहा, 'ईरान के साथ परमाणु समझौता विदेश निति की सबसे बड़ी उपलब्धि थी, इसे समाप्त करने से विश्व की बड़ी शक्तियों के साथ हमारे मतभेद पैदा होने का भी खतरा बढ़ गया है।' ओबामा ने कहा, 'इस समझौते को रद्द करने के बाद अमरीका को आने वाले खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना होगा।' ओबामा ने बताया, 'अब ईरान परमाणु बम और अन्य हथियार बनाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है, जो कि ठीक नहीं है।'

इन चीजों पर पड़ेगा असर

ओबामा के मुताबिक, ट्रंप का यह कदम अमरीका के सहयोगी देशों को अलग कर सकता है। इससे ईरान की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और पश्चिमी एशिया में तनाव बढ़ेगा। ईरान पर फिर से वे प्रतिबंध लागू हो जाएंगे, जिनकी चर्चा 2015 समझौते में हुई थी। इस फैसले से ईरान का तेल सेक्टर, विमान निर्यात, कीमती धातु का व्यापार और ईरानी सरकार के अमरीकी डॉलर खरीदने पर भी बड़ा असर होगा।

2015 में ओबामा प्रशासन ने किया था समझौता

बता दें कि जुलाई 2015 में ओबामा प्रशासन के दौरान अमरीका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था। समझौते के मुताबिक ईरान को अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना था और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलना था, बदले में उसपर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में आंशिक रियायत दी गई थी। लेकिन ट्रंप का आरोप है कि ईरान ने दुनिया से छिपकर अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखा।

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