- स्पो‌र्ट्स कॉलेज में एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के काम में होती रही लापरवाही

- सिकुड़ गया एस्ट्रोटर्फ का आधा हिस्सा, कंपनी को दोबारा करना पड़ा खर्च

GORAKHPUR: इंटरनेशनल लेवल पर खुद को स्टेब्लिश करने और इंटरनेशनल मैचेज देखने का ख्वाब सजाए गोरखपुराइट्स को अभी थोड़ा और सब्र करना पड़ेगा। करीब सवा साल डिले होने के बाद एक बार फिर एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड शुरू होने में फंसा रोड़ा अब जाकर हट सका है। जगह-जगह फूल जाने और समतल न होने की वजह से एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के आधे हिस्से को दोबारा उखाड़कर दुरुस्त करना पड़ा है। काफी मशक्कतों के बाद जाकर यह मैदान अब दोबारा तैयार हुआ है। सिर्फ गोल पोस्ट लगना बाकी है, जिसके बाद इसका इनॉगरेशन किया जा सकेगा।

कई माह खुले में पड़ा था टर्फ

वीर बहादुर सिंह स्पो‌र्ट्स कॉलेज में पिछले दिनों पहले तीन गद्दों वाले कुश्ती हॉल की छत गिरने का मामला सामने आया था। अभी इसकी जांच भी पूरी नहीं हुई थी और लापरवाही के पीछे जिम्मेदारी तय की जा रही थी कि इस बीच करीब सात करोड़ रुपए की लागत से बने हॉकी के एस्ट्रोटर्फ मैदान में भी कमी सामने आ गई। काम में सुस्ती और कई माह खुले में टर्फ पड़ा होने की वजह से काफी दिक्कतें आ गई हैं, एस्ट्रोटर्फ के कई हिस्से फूल गए, जिसे बिछाने के बाद भी कमी नहीं दूर हो सकी। खास हॉलैंड से इंपोर्ट किए टर्फ की जब शिकायत की गई, तो कंपनी ने अपने खर्च पर इसे बदलने के लिए सहमति दे दी, जिसके बाद इसको बदलने के लिए न सिर्फ हॉलैंड से टर्फ आया, बल्कि वहां से इंजीनियर भी यहां पहुंचे और उसे सही तरीके से पेस्ट कर वापस लौट गए।

डीएम ने किया था इंस्पेक्शन

एस्ट्रोटर्फ मैदान का काम पूरा होने के बाद डीएम राजीव रौतेला ने 19 जनवरी 2018 को उसका निरीक्षण किया था। इस दौरान टर्फ में सिकुड़न देखकर उन्होंने उसे ठीक कराने के निर्देश दिए थे। खेल विभाग ने इसकी जानकारी निर्माण एजेंसी को दी। इसके बाद टर्फ देने वाली हॉलैंड की कंपनी के इंजीनियर गोरखपुर आए और टर्फ का इंस्पेक्शन किया। उन्होंने टर्फ बिछाने में गड़बड़ी की बात कही थी। विदेशी इंजीनियरों ने काफी कोशिश की, लेकिन टर्फ को ठीक नहीं किया जा सका और उसे बदलने का फैसला लेना पड़ा।

हमने उठाया था मुद्दा

एस्ट्रोटर्फ के लिए जमीनी काम करीब पूरा हो चुका था, वहां का फर्श भी पक्का कर दिया गया है, लेकिन जगह समतल न हो पाने की वजह से टर्फ इस पर पेस्ट नहीं हुआ था और वहीं किनारे पड़ा था। इसकी हालत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने रीडर्स को बताई थी। उस वक्त हालत यह थी कि टर्फ की मैट किनारे पड़ी खराब हो रही थी। चारों तरफ झाडि़यां उगी हुई थीं, वहीं बारिश का पानी रुकने की वजह से यहां टर्फ गंदी भी होने लगी थी। हमने यह भी आगाह किया था कि अगर यही हाल रहा तो जब टर्फ बिछेगी, तो इसकी हालत पहले से ज्यादा खराब हो जाएगी। मगर जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है और लाखों की मैट खराब होती रही, जिसकी वजह से इसे बदलना पड़ गया।

दिसंबर 2015 में मिली थी सौगात

वीर बहादुर सिंह स्पो‌र्ट्स कॉलेज में एस्ट्रोटर्फ की सौगात दिसंबर 2015 में ही मिली थी। तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के लिए पहले 5.59 करोड़ रुपए फंड अलॉट किया। बाद में इसकी लागत बढ़ गई और टोटल बजट 694.55 लाख हो गया। यहां का निर्माण कार्य शुरू हो गया। कुछ दिन चलने के बाद इसमें पेंच फंसा और मामला पेंडिंग पड़ना शुरू हो गया। कई बार जिम्मेदारों ने इस मामले में निरीक्षण किया और काम में ढुलमुल रवैये पर फटकार लगाई, मगर इसके बाद भी सूरत नहीं बदल सकी। अप्रैल 2017 में गोरखपुर पहुंचे स्पो‌र्ट्स डायरेक्टर ने कड़ी फटकार लगाते हुए जुलाई तक काम पूरा कराने के निर्देश दिए थे, मगर डेडलाइन बीतने के बाद भी अब तक टर्फ लगाने का काम पूरा नहीं हो सका है।

बॉक्स

शहर में भी होंगे नेशनल मैच

गोरखपुर हॉकी का सबसे बड़ा हब रहा है। यहां से दर्जनों प्लेयर्स ने टीम इंडिया में जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है। एस्ट्रोटर्फ मिलने के बाद हॉकी की यह नर्सरी और फले-फूलेगी। इसके बाद जहां गोरखपुर में भी स्टेट और नेशनल लेवल के मैचेज हो सकेंगे। वहीं गोरखपुर के खिलाडि़यों को भी यह मौका मिलेगा कि एस्ट्रोटर्फ पर किस तरह से हॉकी खेली जाती है। फिलहाल यह हॉस्टलर्स के लिए ही बनाई जा रही है, लेकिन जल्द ही गोरखपुर के रीजनल स्टेडियम को भी एक एस्ट्रोटर्फ की सौगात मिल सकती है।

वर्जन

टर्फ में कुछ दिक्कत आ गई थी, जिसकी निर्माण एजेंसी से कंप्लेन की गई थी। इसके बाद हॉलैंड के इंजीनियर यहां पहुंचे और उन्होंने निरीक्षण किया। बाद में टर्फ बदलने का फैसला हुआ। अब उन्होंने टर्फ बदल दिया है। कॉलेज प्रशासन इसको अपने हाथ में तभी लेगा जब व‌र्ल्ड फेडरेशन हॉकी के प्रतिनिधि यहां आकर ग्राउंड का निरीक्षण कर लेंगे। उनके एनओसी देने के बाद ही हैंडओवर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

- अरुणेंद्र पांडेय, प्रिंसिपल इन चार्ज, वीर बहादुर सिंह स्पो‌र्ट्स कॉलेज