कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार के आदेश पर संयुक्त सचिव ने कराई महिला समेत 3 एमडीए कर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट

फर्जी रजिस्ट्री के मामले में थाना सिविल लाइन पुलिस ने दो को किया गिरफ्तार, महिला की तलाश जारी

Meerut। फर्जी रजिस्ट्री के मामले में गुरुवार को मेरठ विकास प्राधिकरण(एमडीए) के रिटायर्ड कर्मचारी समेत 3 कर्मचारियों के खिलाफ थाना सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज कराया गया। जिस पर सिविल लाइंस पुलिस ने दबिश देकर रिटायर्ड कर्मचारी एवं एक अन्य कर्मचारी को गिरफ्तार भी कर लिया। जबकि महिला कर्मचारी की तलाश की जा रही है। बता दें कि कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार के आदेश के बाद गुरुवार को संयुक्त सचिव अजय कुमार ने एमडीए के 3 क्लर्को के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।

फर्जी रजिस्ट्री पर कमाए करोड़ों

प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्राधिकरण की आवासीय योजना लोहिया नगर में पैसा जमा न करने पर निरस्त हुए भू-खंडों की फर्जी रजिस्ट्री का खेल पिछले दिनों उजागर हुआ था। मामला उस समय संज्ञान में आया जब एक शिकायतकर्ता मो। वाहिद ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत प्राधिकरण के उपाध्यक्ष साहब सिंह से की थी। वहीं एक अन्य शिकायतकर्ता रोहित गुर्जर ने गत 16 सितंबर, 2017 को एक शिकायती पत्र कमिश्नर को देकर भी एमडीए के भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।

कमिश्नर ने बैठाई जांच

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कमिश्नर डॉ। प्रभात कुमार ने सचिव राजकुमार को जांच समिति का गठन करने का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिए कि सचिव खुद जांच रिपोर्ट दें। सचिव की जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हो गया और लिपिक रजनी कन्नौजिया को कमिश्नर के आदेश के बाद निलंबित कर दिया गया। महिलाकर्मी के अलावा शिव गोपाल वाजपेयी, जो वर्तमान में विधि व संपत्ति का कार्य देख रहे हैं और तारा सिंह जो तीन माह पूर्व रिटायर्ड हो चुके हैं, को भी दोषी पाया गया। कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट को देखने के बाद गुरुवार को संयुक्त सचिव अजय कुमार को सभी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए।

पूर्व कर्मी समेत 2 पकड़े

संयुक्त सचिव की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करते हुए थाना सिविल लाइंस पुलिस ने पूर्व लिपिक तारा सिंह को पाडंव नगर एलआईजी नंबर बी-101 आवास से गिरफ्तार कर लिया। जबकि लिपिक शिव गोपाल वाजपेयी को प्राधिकरण परिसर से गिरफ्तार किया। वहीं निलंबित चल रही लिपिक रजनी कन्नौजिया के शास्त्रीनगर स्थित आवास पर भी पुलिस ने दबिश दी लेकिन वह नहीं मिली। पुलिस महिलाकर्मी की तलाश में छापेमारी कर रही है। आरोपियों पर पुलिस ने धारा 474, 467, 420, 471, 136बी के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

यहां हुआ भ्रष्टाचार

एमडीए सचिव ने बताया कि जांच में पाया गया कि भू-खंड संख्या के-1439, क-1438, के-1450 के विक्रय अभिलेखों पर तत्कालीन संपत्ति अधिकारी के हस्ताक्षर मूलरूप से नहीं किए गए हैं, बल्कि हस्ताक्षर स्कैन किए गए हैं। के-788, के-1432, आई-204 में संपत्ति अधिकारी के हस्ताक्षर तो हैं, लेकिन लिपिक रजनी कन्नौजिया ने बताया कि उसकी पत्रावली उन्हें नहीं मिली। के-195, के-1442, के-190, के-138, के-184, के-112 की पत्रावली गायब मिली। जांच के दौरान लिपिक बार-बार जांच अधिकारी को गुमराह भी करते रहे।

एमडीए के तीनों कर्मचारियों के खिलाफ आरोप सिद्ध होने के बाद कमिश्नर के निर्देश पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है, फर्जी रजिस्ट्री के कितने केसेस हैं यह जांच का विषय है।

राजकुमार, सचिव, एमडीए