हाल ही में देश के नॉर्थ-ईस्ट में आए भूकंप ने पूरे देश को हिला दिया. इससे एक दिन पहले ही नेशनल कैपिटल दिल्ली और एनसीआर में भी भूकंप का झटका आया था. इसको देखते हुए हर किसी के मन में भूकंप को लेकर एक आशंका और डर बना हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश का 68 परसेंट हिस्सा अर्थक्वैक डेंजर जोन में आता है. आइए एक नजर डालें कहां-कहां है भूकंप का खतरा...
813 शहरों पर खतरा
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट के एक ऑफिसर के मुताबिक देश के 344 टाउन्स जोन पांच में आते हैं. गौरतलब है कि जोन पांच में अर्थक्वैक का खतरा सबसे ज्यादा है. इसके अलावा देश की 813 सिटीज भी भूकंप के खतरे में हैं. देश की 24 मेट्रो सिटीज में से 7 जिनकी पॉपुलेशन दो लाख से ज्यादा है, जोन चार में आता है. इन मेट्रो सिटीज में दिल्ली, पटना, ठाणे, लुधियाना, अमृतसर, मेरठ और फरीदाबाद आते हैं.
मानकों का सही इस्तेमाल नहीं
एनडीएमए के इस ऑफिसर के मुताबिक देश में अर्थक्वैक से नुकसान की आशंका इसलिए भी अधिक है क्योंकि ज्यादा बिल्डिंग्स को बनाने में सही मानकों का यूज नहीं हुआ है. उनके मुताबिक केवल 3 परसेंट बिल्डिंग्स में कांक्रीट का यूज होता है. बाकी 85 परसेंट बिल्डिंग्स अभी भी ईंट-पत्थरों से बनती हैं. इसमें भी लोहे का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं होता.
लगातार बढ़ता खतरा
एक्सपट्र्स के मुताबिक पूरे हिमालयन रेंज में टेक्टोनिक प्लेट्स जम्मू कश्मीर की ओर से खिंचती हुई नॉर्थ ईस्ट की तरफ लगातार मूव कर रही हैं. उनका कहना है कि देश में अर्थक्वैक का खतरा तो लगातार बना ही हुआ है, साथ ही देश की लगातार बढ़ती आबादी ने और भी खतरा बढ़ा दिया है. गौरतलब है कि हाल ही में अर्थक्वैक का शिकार बने मंगन गांव में पॉपुलेशन डेंसिटी 10 परसन पर स्क्वॉयर किलोमीटर थी. जबकि दिल्ली में इससे कई गुना ज्यादा 37,000 परसन पर स्क्वॉयर किलोमीटर की पॉपुलेशन डेंसिटी है. देश में 1990 से 2006 के बीच छह बड़े अर्थक्वैक आए और इसमें 23,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
Engineers भी नहीं जानते
हाल ही में देशभर में हुए एक सर्वे में यह पता चला था कि अहमदाबाद जैसे शहरों में बनी बहुत से नई बिल्डिंग्स को बनाते समय भूकंप के खतरों को ध्यान में नहीं रखा गया है. एक चौंकाने वाला फैक्ट यह भी है कि देश के 8.22 लाख इंजीनियर्स और आर्किटेक्ट्स में से सिर्फ 14,700 यह मानते हैं कि वे सेफ सेस्मिक इंजीनियरिंग में ट्रेंड हैं. वहीं देशभर के करीब 32 लाख राजगीरों में से सिर्फ 34,000 को सेस्मिक डिजाइन की जानकारी है.
पूरे देश को भूकंप के खतरे को देखते हुए कुल पांच जोन में बांटा गया है. आइए देखें किस जोन में कौन से एरियाज आते हैं..
Zone1
इस जोन में भूकंप का खतरा सबसे कम है. इस जोन में देश का कोई भी हिस्सा नहीं आता है.
Zone 2
यह जोन थोड़ा खतरे वाला है. इस जोन में उड़ीसा, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु समेत कुछ एरियाज आते हैं.
Zone 3
इस जोन में उत्तर प्रदेश, कानपुर, पश्चिम बंगाल, मुंबई वगैरह आते हैं.
Zone 4
उत्तर प्रदेश, देश की राजधानी दिल्ली, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, चेन्नई और कोलकाता इस जोन में आते हैं.
Zone 4
यह जोन भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा खतरनाक है. उत्तराखंड, नॉर्थ ईस्ट के सात जिले कश्मीर, और गुजरात इस जोन में आते हैं.
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