यह भी जानें

-50 से ज्यादा फैक्ट्रियां बना रही ईटेबल आइस, जबकि दो ही रजिस्टर्ड

-5 हजार किलो की पहले हो रही थी खपत

-8 हजार किलो की खपत अभी हो रही डेली

-घर पर तो लोग आरओ पानी करते हैं यूज, लेकिन फंक्शन में जाते हैं भूल

- मैंगो शेक, शिकंजी, लस्सी और कोल्ड्रिंक आदि यूज होती है आइस

बरेली:

शहर में धूप का प्रकोप बढ़ते ही लोग इससे राहत पाने के लिए गन्ने का रस, मैंगो शेक, शिकंजी, लस्सी और कोल्ड्रिंक आदि पेय पदार्थो का खूब आनंद उठा रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इनमें यूज होने वाली आइस आपको बीमार भी कर रही है. शादी-पार्टी में भी हम खूब मजे से इन पेय पदार्थो का आनंद लेते हैं, लेकिन इनमें कौन सी आइस यानि बर्फ यूज हो रही है, यह कभी नहीं देखते हैं.

कैंसर और किडनी की हो सकती बीमारी

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन अनईटेबल आइस से सबसे अधिक इन्फेक्शन का खतरा रहता है. कई बार पेस्टी साइड का असर होने से कैंसर लीवर और किडनी के लिए खतरनाक हो सकता है. अनईटेबल आइस के पानी में हैवी मेटल भी हो सकता है तो वह किडनी संबंधी बीमारी पैदा कर सकता है. साथ ही खुले में बर्फ रखकर बेचे जाने से कई बैक्टीरिया हो जाते हैं, जिससे बीमारी का खतरा बना रहता है.

ऐसे करें पहचान

आपकी जानकारी के लिए बता दें ईटेबल आइस प्योर वाइट कलर की होती है. वहीं अनईटेबल आइस हल्की सी ब्लू कलर की होती है. अनईटेबल आइस और ईटेबल आइस को अलग-अलग दिखाने के लिए उसको नीला करना जरूरी होता है. साथ ही जिस फैक्ट्री में अनईटेबल आइस बनाई जाती है, वहां पर बोर्ड भी लगाना होता है, जिससे उसकी पहचान की जा सके.

कई फैक्ट्रियां बना रही अनईटेबल आइस

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार बर्फ की दो श्रेणियां होती है. पहली ईटेबल आइस, जो पेय पदार्थो में यूज होती है. दूसरी अनईटेबल आइस, जो आइसक्रीम जमाने और डेथ बॉडी आदि में यूज होती है. विभाग के अनुसार शहर में करीब 50 से अधिक बर्फ बनाने की बड़ी फैक्ट्रियां हैं. जबकि ईटेबल आइस बनाने के लिए लाइसेंस सिर्फ दो फैक्ट्रियों के पास है. बाकी की फैक्ट्रियां रजिस्टर्ड भी नहीं हैं.

लेना होता है लाइसेंस

ईटेबल आइस बनाने के लिए लाइसेंस लेना होता है, लेकिन अनईटेबल आइस के लिए लाइसेंस जरूरी नहीं है. लाइसेंस नहीं लेने पर निर्माता अपने यहां पर यह लिख देता है कि वह उनके यहां पर अनईटेबल आइस बनाई जाती है और वह उसको ईटेबेल आइस बताकर बेच देते हैं. शहर में रोजाना बात करे 5 हजार किलो बर्फ की खपत हो रही है, लेकिन मई जून में यह 8 हजार किलो से अधिक प्रतिदिन हो जाएगी.

अफसर भी परेशान

बर्फ बनाने वाली फैक्ट्री की जांच और उसके नमूने लेने का काम खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी करते हैं. वहीं अनईटेबल आइस का अधिकारी नमूना नहीं ले सकते हैं. इनकी बिक्री में खरीददार बिल भी नहीं लेते हैं. निर्माताओं की इसकी हकीकत जानने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी बर्फ की खपत वाले स्थानों से नमूने ले सकते हैं. साथ ही खरीदार के लिए बिल अनिवार्य किए जाने का अनिवार्य प्रावधान भी किया जा सकता है.

अधिकारी नहीं देते ध्यान

अखाद्य बर्फ से का शादी विवाह व अन्य समारोह में जमकर उपयोग होता है. जबकि शहर में खाने योग्य बर्फ बनाने वाली दो ही फैक्ट्रियां हैं.इसके बावजूद इनकी बिक्री होती है. इसके बाद भी हेल्थ विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारी इनकी जांच करने आज तक ऑफिस से निकले ही नहीं. विभाग की ही माने तो शहर में कितनी फैक्ट्रियां चल रही उनके पास रिकॉर्ड ही नहीं है.

समय-समय पर अभियान चलाकर चेंिकंग की जाती है, लेकिन अभी कोई शिकायत नहीं आई है. शिकायत आने पर कार्रवाई की जाएगी.

धर्मराज मिश्र, डीओ