- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की खबर के बाद जागे जिम्मेदार

- यूपीआरएनएन ने मांगी तीन हफ्ते में वाईफाई का काम पूरा करने का दिया आश्वासन

- दो हॉस्टल का वाईफाई हो चुका है हैंडओवर

- अभी चार हॉस्टल का भी बाकी है वाईफाई का काम

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पिछले कई सालों से हैंडओवर के इंतजार में पड़े वाईफाई सिस्टम का अब कायाकल्प होने की उम्मीद जग गई है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में 16 मई के अंक में 'डीडीयू वाई-फाई से हो रही थी हैकिंग' हेडिंग से खबर पब्लिश होने के बाद जहां यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है, वहीं यूनिवर्सिटी लेटर मिलने के बाद आनन-फानन में कार्यदायी संस्था ने तीन हफ्ते में काम पूरा करने के लिए मोहल्लत मांगी है। उन्होंने दैवीय आपदा (आंधी-तूफान) का बहाना बनाते हुए यह लिखा है कि इसकी वजह से वाईफाई का टॉवर क्षतिग्रस्त हो गया है और इससे कनेक्टिविटी प्रॉब्लम उत्पन्न हो गई। उन्होंने आश्वासन दिया है कि तीन सप्ताह में निगम, सभी हॉस्टल्स में वाईफाई सुविधा शुरू करने के लिए कोश्ि1ाश करेगा।

नहीं थे कोई सिक्योरिटी मेजर्स

यूनिवर्सिटी के दो हॉस्टल्स में यूपीआरएनएन ने वाई-फाई फैसिलिटी फरवरी 2015 में ही स्टार्ट दी थी, लेकिन हैकिंग और अनऑथराइज एक्टिविटी को रोकने के लिए जहां कोई सिक्योरिटी मेजर्स नहीं अपनाए गए थे। वहीं, जिम्मेदारों ने कार्यदायी संस्था को खुली आजादी देते हुए बिना किसी टेक्निकल सेंक्शन और बिना एग्रीमेंट के ही काम शुरू करा दिया गया। ऑडिट में यह भी बात सामने आई है कि यूनिवर्सिटी और कार्यदायी संस्था के बीच न तो एग्रीमेंट ही हुआ और न ही दस्तावेजों पर जिम्मेदारों के सिग्नेचर ही हैं। वहीं काम में देर होने पर न तो किसी की लाइबिल्टी तय की गई है और न ही पेनाल्टी क्लॉज का ही जिक्र है।

सवा दो करोड़ हो गया पेमेंट

शासन की ओर से वाई-फाई के लिए 2.14 करोड़ रुपए स्वीकृत हुआ। यूपी राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) को काम सौंपा गया। इसमें कार्यदायी संस्था को मार्च 2014 में ही 1.06 करोड़ रुपए पेमेंट कर दिया। इसके बाद निर्माण कार्य तो शुरू हो गया। वहीं, जुलाई 2015 में सेंक्शन 1.08 करोड़ का पेमेंट दिसंबर 2015 में कर दिया गया। फरवरी 2015 से यूनिवर्सिटी के दो हॉस्टल में इसकी फैसिलिटी भी मिलने लग गई। लेकिन ऑडिट में यह बात सामने आई कि महज तीन मंथ यानि मई 2015 में एनआईसी ने टेक्निकल सिक्योरिटी न होने की वजह से अनऑथराइज एक्टिविटी होती पाई और इससे उन्होंने इंटरनेट फैसिलिटी पर रोक लगा दी, जो अब तक बहाल नहीं हाे सकी है।

अखिलेश यादव ने दी थी सौगात

गोरखपुर यूनिवर्सिटी को मार्च 2013 में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने स्टेडियम के साथ ही वाई-फाई की सौगात दी थी। यूनिवर्सिटी में ऑर्गनाइज फ‌र्स्ट साइंस कांग्रेस में पहुंचे सीएम ने सौगातों का पिटारा खोलते हुए इसकी मंजूरी दी थी। यूनिवर्सिटी के जिम्मेदारों ने करीब 484.89 लाख रुपए से स्टेडियम बनना था, वहीं 2.14 करोड़ से वाईफाई की फैसिलिटी शुरू होनी थी

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खुद वाईफाई दे रहा है यूनिवर्सिटी

शासन की ओर से मिली वाईफाई फैसिलिटी के लिए इंस्ट्रूमेंट्स भले ही हॉस्टल्स में इंस्टॉल किए जा चुके हों, लेकिन स्टूडेंट्स को वाईफाई फैसिलिटी यूनिवर्सिटी अपने लेवल से प्रोवाइड करा रहा है। जिम्मेदारों की मानें तो इसमें इंटरनेट के साथ ही सिक्योरिटी मेजर्स यूनिवर्सिटी लेवल पर लगाए गए हैं और उसकी मॉनीटरिंग वहीं से हो रही है। जबकि शासन की ओर से शुरू की जाने वाली वाईफाई फैसिलिटी को अब भी शुरू होने का इंतजार है।

वर्जन

यूपीआरएनएन के यूनिट प्रभारी की ओर से लेटर मिला है। उन्होंने तीन सप्ताह में वाई-फाई फैसिलिटी शुरू करने की बात कही है। उन्होंने इसके लिए रिटेन में लेटर दिया है। उन्हें एक मौका दिया जा रहा है। अगर इसके बाद भी काम पूरा नहीं हुआ, तो उनको ब्लैक लिस्ट करने के लिए शासन को लेटर लिखा जाएगा।

-बीरेंद्र चौबे, फाइनेंस ऑफिसर, डीडीयूजीयू